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नरेंद्र मोदी बातें अच्छी करते हैं: शबाना आजमी

चर्चित फिल्म अभिनेत्री एवं सामाजिक कार्यकर्ता शबाना आजमी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तारीफ तो की पर कुछ तल्ख सवाल भी उठाए। उनकी राय में मोदी बातें तो अच्छी करते हैं पर असल में हो क्या रहा। वे...

नरेंद्र मोदी बातें अच्छी करते हैं: शबाना आजमी
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 23 May 2015 07:41 PM
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चर्चित फिल्म अभिनेत्री एवं सामाजिक कार्यकर्ता शबाना आजमी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तारीफ तो की पर कुछ तल्ख सवाल भी उठाए। उनकी राय में मोदी बातें तो अच्छी करते हैं पर असल में हो क्या रहा। वे सबको साथ लेकर चलने की बात तो करते हैं, लेकिन संघ परिवार के लोग तनाव की बात कर रहे हैं। इस देश की गंगा-जमुनी तहजीब को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। इनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे मोदी ? दरअसल राजनीतिक फायदे के लिए सांप्रदायिकता का जहर फैलाया जा रहा है। इसके खिलाफ जनता को सख्ती से खड़ा होना चाहिए, पर ऐसा हो नहीं पा रहा है। वहीं, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महिला सशक्तीकरण के लिए जमकर तारीफ की।

राष्ट्रीय सांस्कृतिक नीति बने
शबाना आजमी शनिवार को पटना के एक होटल में मीडिया और विद्यापति भवन में आम लोगों से रूबरू थीं। इसके पहले उन्होंने एग्जीबिशन रोड स्थित इंडियन पीपुल्स थिएटर एसोसिएशन (इप्टा) बिहार के नए स्वरूप में आए कार्यालय कैफी आजमी सांस्कृतिक केन्द्र का उद्घाटन किया। उनके साथ इप्टा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रणवीर सिंह भी थे। इस मौके पर उन्होंने एक राष्ट्रीय सांस्कृतिक नीति की भी वकालत की। राज्य स्तर पर सांस्कृतिक नीतियां बननी चाहिए। ऐसी नीति जो लोगों को मजहब के आधार पर बंटने नहीं दे।

लड़ाई हिन्दू-मुसलमान की नहीं है
शबाना ने एक सवाल के जवाब में कहा कि अपने देश में दो तरह की सांप्रदायिकता की बात होती है। एक तरफ हिन्दू बोलता है तो दूसरी ओर मुसलमान। दरअसल लड़ाई हिन्दू और मुसलमान की नहीं है। यह लड़ाई तो प्रगतिशील हिन्दू-मुसलमान और असहिष्णुता की है। हर मुसलमान को भी तय करना होगा कि वह मौलाना बुखारी के साथ है कि अबुल कलाम के साथ। वहीं हिन्दू को तय करना होगा कि वे स्वामी विवकानंद के आदर्श पर चलेंगे कि विश्व हिन्दू परिषद के सिद्धांतों के साथ हैं।

बिहार का मजाक बनाए जाने को गंभीरता से न लें
फिल्मों में बिहार को लेकर मजाक उड़ाए जाने की बाबत कहा कि इसे गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं है। इसकी परवाह नहीं करें, क्योंकि बिहार की संस्कृति काफी मजबूत है। साठ के दशक में फिल्मों में महिलाओं को त्याग और ममतामयी चेहरा दिखाया जाता था। पर आज कामकाजी महिलाओं के संघर्ष को जगह मिल रही है। काफी बदलाव आ गया है। कंगना रनाउत, दीपिका पादुकोण, रानी मुखर्जी, प्रियंका चोपड़ा महिला केंद्रित फिल्मों में काम कर रही हैं। दरअसल आज पूरे देश के लिए एक तरह की फिल्में नहीं बनती हैं। मल्टीप्लेक्स आ जाने से नई तरह की फिल्में बनने लगीं हैं। फार्मूला फिल्में बन रहीं हैं तो क्षेत्रीय स्तर पर खासकर मराठी में अच्छी फिल्में बन रही हैं।

फायर का विरोध राजनीतिक फायदे के लिए
अपनी चर्चित फिल्म फायर के विरोध के बारे में कहा कि शिवसेना ने राजनीतिक फायदे के लिए ऐसा किया था। फिल्म तीन हफ्ते तक चली तब जाकर विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ था। बाद में जनता ने विरोध किया तो फिल्म फिर से थिएटर में लगाई गई।

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