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महागठबंधन में महादरार: अलग हुई सपा, भाजपा बोली ये तो होना ही था

समाजवादी पार्टी (सपा) की ओर से आगामी बिहार विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने की घोषणा करने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने कहा है कि महागठबंधन चुनाव के पहले ही बिखर...

महागठबंधन में महादरार: अलग हुई सपा, भाजपा बोली ये तो होना ही था
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 03 Sep 2015 05:31 PM
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समाजवादी पार्टी (सपा) की ओर से आगामी बिहार विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने की घोषणा करने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने कहा है कि महागठबंधन चुनाव के पहले ही बिखर गया, तो ये राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से क्या मुकाबला करेंगे।

शाहनवाज ने कहा कि राजग से मुकाबला करने के लिए गठबंधन तैयार किया गया था और सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव को माला पहना दी गई थी, लेकिन बिहार विधानसभा सीट बंटवारे को लेकर उनसे पूछा तक नहीं गया। अब सपा अलग हो गई है। यह तो होना ही था। उन्होंने कहा कि आगामी बिहार विधानसभा चुनाव तक लालू और नीतीश भी साथ-साथ रहेंगे या नहीं, यह भी अब देखना होगा। पूर्व में ही कहा गया था कि महागठबंधन का भविष्य नहीं है।

इधर, बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल (यूनाइटेड) के प्रवक्ता अजय आलोक ने कहा कि राजनीति में बड़े परिदृश्य को ध्यान में रखकर गठबंधन बनाया गया था। वैसे अभी हड़बड़ाने की जरूरत नहीं है। गठबंधन के बड़े नेता अभी सपा प्रमुख का फैसला बदलने की कोशिश करेंगे। उल्लेखनीय है कि गुरुवार को लखनऊ में सपा के संसदीय दल की बैठक के बाद पार्टी के महासचिव राम गोपाल यादव ने बिहार में अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी।

आगामी बिहार विधानसभा चुनाव के लिए राष्ट्रीय जनता दल (राजद), जदयू, कांग्रेस और सपा में गठबंधन हुआ था, जिसे 'महागठबंधन' नाम दिया गया था। महागठबंधन में सीट बंटवारे में सपा को पांच सीटें दी गई थीं, जिसे लेकर सपा की बिहार इकाई नाराज थी।

समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने एक बार फिर साबित कर दिया कि उनमें सियासी धुरी को काबू में रखने का पूरा माद्दा है। बिहार चुनाव में महागठबंधन को आकार देने में मुलायम की अहम भूमिका थी। अब सीट बंटवारे पर उन्हें किनारा किए जाने से वह नाराज होकर महागठबंधन से अलग हो गए हैं। महागठबंधन के तौर पर उन्हें मात्र 5 सीटें दी गईं थीं वो भी राजद सुप्रीम लालू प्रसाद यादव ने अपने कोटे से दिया है।

इससे पहले सोमवार को पार्टी के महासचिव राम गोपाल यादव की भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की थी। तभी से ये माना जा रहा था कि मुलायम करीब 50 सीटों पर डमी कैंडिडेट खड़े करने की सोच रहे हैं। इससे भले ही उन्हें एक भी सीट का फायदा न हो लेकिन इससे भाजपा को बहुत फायदा होगा। जिन सीटों पर सपा के प्रत्याशी होंगे वहां यादव वोट कटेंगे और इससे भाजपा को फायदा होगा। ऐसा वह पिछले चुनाव में भी कर चुके हैं।

स्वाभिमान रैली में नहीं आए थे मुलायम
महागठबंधन की ओर से बीते रविवार को पटना के गांधी मैदान में हुई स्वाभिमान रैली में भी मुलायम सिंह यादव नहीं पहुंचे थे। जबकि महागठबंधन के नीतीश कुमार, लालू प्रसाद, सोनिया गांधी और शरद यादव जैसे दिग्गज नेता मौजूद थे। इस रैली में सपा की तरफ से मुलायम के भाई शिवपाल सिंह यादव शामिल हुए थे।

पिछले चुनाव में 146 सीटों पर चुनाव लड़ी थी सपा
ये पहली बार नहीं जब सपा के बिहार चुनाव में भागीदारी से भाजपा को फायदा हुआ हो। इससे पिछले चुनाव में सपा 240 सीटों में से 146 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। चुनाव में भले ही एक भी सीट पर उसको सफलता न मिली हो लेकिन यादव वोट काटने की वजह से इन सीटों पर भाजपा को जरूर फायदा हुआ था। इसी तरह का चुनावी खेल सपा महाराष्ट्र में 22 सीटों, गुजरात में 67 सीटों और मध्य प्रदेश में 164 सीटों पर चुनाव लड़कर खेल चुकी है।

त्वरित टिप्पणी: कहां ले जाएगा यह मुलायम दांव

समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव बिहार के महागंठबंधन से अलग हो गए- यह खबर कई तरह से चौंकाती है। कुछ लोग यह भी पूछ सकते हैं कि वे इस गंठबंधन में थे ही कब? महागंठबंधन बिहार विधानसभा चुनाव के लिए बना है इससे उत्तर प्रदेश के समाजवादी नेता का क्या लेना-देना?

सात्विक किस्म के इस आश्चर्य को अगर थोड़ी देर के लिए छोड़ दें तो उत्तर प्रदेश के समाजवादी नेता की नाराजगी का कारण यह बताया जा रहा है कि महागठबंधन बिहार चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी को सिर्फ सिर्फ पांच सीटें देने के लिए ही राजी था और यह फार्मूला समाजवादी पार्टी को हजम नहीं हुआ।

संसद सदस्य और मुलायम सिंह यादव के भाई रामगोपाल यादव ने कहा कि पार्टी अब अपने बूते ही बिहार चुनाव में उतरेगी। यह ठीक है कि मुलायम सिंह यादव और उनकी पार्टी का बिहार में कोई खास आधार नहीं है। वे बड़ा लाभ तो हासिल नहीं कर सकते लेकिन बड़ा नुकसान तो पहुंचा ही सकते हैं। खासकर वहां जहां टक्कर कांटे की हो।

इसमें हैरत इसलिए है कि मुलायम सिंह यादव के लालू यादव से पारिवारिक रिश्ते हैं, और लालू यादव महागठबंधन को कामयाब बनाने के लिए जी-जान से जुटे हैं। और लालू यादव को वह समय भी याद ही होगा जब उन्होंने राम बिलास पासवान के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए सिर्फ एक ही सीट छोड़ी थी। चुनाव का नतीजा तो उनके खिलाफ गया ही था, उसके बाद केंद्र में जो सरकार बनी उसमें न लालू यादव थे, न राम बिलास पासवान और न उनकी पार्टियां। इस समय बिहार की बाजी जितनी बड़ी है, उससे बड़े उसके जोखिम हैं।

 

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