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बच्चों को पढ़ाने का शौक है तो बीएड जरूरी नहीं, यहां है मौका

अगर आप बिहार के सरकारी स्‍कूलों में पढ़ाना चाहते हैं तो आपको बीएड करने की जरूरत नहीं है। सर्व शिक्षा अभियान ने विद्यांजलि कार्यक्रम शुरू किया है, जिसके तहत प्राथमिक और मध्य विद्यालयों में आम लोग...

बच्चों को पढ़ाने का शौक है तो बीएड जरूरी नहीं, यहां है मौका
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 11 Jun 2016 03:58 PM
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अगर आप बिहार के सरकारी स्‍कूलों में पढ़ाना चाहते हैं तो आपको बीएड करने की जरूरत नहीं है। सर्व शिक्षा अभियान ने विद्यांजलि कार्यक्रम शुरू किया है, जिसके तहत प्राथमिक और मध्य विद्यालयों में आम लोग भी पढ़ा सकते हैं। लेकिन उन्हें यह सेवा नि:शुल्क देनी होगी। 

स्कूल के हेडमास्टर की अनुमति के बाद कोई भी ग्रेजुएट व्यक्ति स्कूल में विद्या दान दे सकता है। फिलहाल, भागलपुर में योजना के तहत तीन स्कूलों का चयन किया गया है। इनमें मध्य विद्यालय यमुना टोला कहलगांव, कन्या मध्य विद्यालय खलीफाबाग और कन्या मध्य विद्यालय तिलकामांझी शामिल हैं। पूरे बिहार में यह योजना शुरू की जा रही है।

डीपीओ एसएसए नसीम अहमद ने बताया कि स्कूलों में पढ़ाई के स्तर को सुधारने और शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने यह योजना शुरू की है। चयनित स्कूलों को पहले माडल के रूप में विकसित किया जाएगा। यहां अगर शिक्षकों की कमी होगी तो उसे भी खत्म करने की कोशिश की जाएगी। इसके अलावा स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। स्कूल के हेडमास्टरों को यह निर्देश भेज दिया गया है कि वह ऐसे इच्छुक लोगों को स्कूल में पढ़ाने का अवसर दें। विद्यांजलि कार्यक्रम पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) के तहत ही शुरू किया जा रहा है। केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय ने तय किया है कि इसमें कुछ पीएसयू भी शामिल होंगे। स्कूलों में पढ़ाने वाले वोलंटियर कहलाएंगे।

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