मधेपुरा, कार्यालय संवाददाता (अमिताभ)
बीएनएमयू एक बार फिर वित्तीय अनियमितताओं के आरोपं में घिर गया है। विवि के 73 एसोसिएट प्रोफेसर को पिछले चार महीने का रीडर स्केल में वेतन भुगतान कर दिया गया है। अतिरिक्त भुगतान की राशि लगभग 6 करोड़ रुपये...
बीएनएमयू एक बार फिर वित्तीय अनियमितताओं के आरोपं में घिर गया है। विवि के 73 एसोसिएट प्रोफेसर को पिछले चार महीने का रीडर स्केल में वेतन भुगतान कर दिया गया है। अतिरिक्त भुगतान की राशि लगभग 6 करोड़ रुपये बतायी जा रही है। अब शिक्षकों का एक खेमा करोड़ों के वित्तीय घोटाले की आशंका जता रहा है।
मजेदार यह कि मामले में पूछने पर कुलसचिव डॉ. केपी सिंह और वित्त पदाधिकारी हरिकेश नारायण सिंह ने कुछ भी बताने से इंकार कर दिया। कुलपति डॉ. विनोद कुमार ने भी मामले से अनभिज्ञता जाहिर की है। कुछ साल पहले रीडर के पद पर प्रोन्नत इन सभी 73 एसोसिएट प्रोफेसर को हाईकोर्ट और राज्य सरकार के आदेश पर खुद विवि ने ही डिमोट किया था।
बीएनएमयू में 2011-12 में तत्कालीन प्रभारी कुलपति डॉ. अरुण कुमार ने दो चरणों में 98 और 211 शिक्षकों को विभिन्न पदों पर प्रोन्नति दी थी। इनमें से कछ एसोसिएट प्रोफेसर को टाइम बांड प्रमोशन के तहत रीडर बनाया गया था। हालांकि प्रोन्नति प्राप्त ऐसे शिक्षकों को जब लंबे समय तक नया वेतनमान नहीं मिला तो कुछ लोग कोर्ट की शरण में चले गये। कोर्ट ने इनके सीडब्ल्यूजेसी और एमजेसी को खारिज कर दिया और उन्हें मामले में विवि को सहयोग करने का निर्देश दिया। इसके बाद विवि की तीन सदस्यीय कमेटी ने इन 73 रीडरों को डिमोट करते हुए दोबारा एसोसिएट प्रोफेसर बनाने की अधिसूचना जारी कर दी।
इसकी एक प्रतिलिपि उच्च शिक्षा निदेशक और हाईकोर्ट को भी भेजी गयी। विवि के इस आदेश के खिलाफ दूसरा पक्ष फिर कोर्ट चला गया। सुनवाई चल ही रही थी कि इस बीच सरकार ने एक दूसरे विवि के इसी तरह के मामले में सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर दी। फिलहाल मामला सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में चल ही रहा है। उधर, इस प्रमोशन के खिलाफ कुछ शिक्षकों ने भी हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और हाईकोर्ट के आदेश के आलोक में उन्होंने राजभवन में इसकी शिकायत की, जहां मामला अभी लंबित है।
इस संबंध में सीआर डिग्वाल, एफए, बीएनएमयू ने बताया कि मामले में विवि ने हाई कोर्ट में एलपीए दायर किया था। आदेश शिक्षकों के पक्ष में आया। इसलिए उन्हें भुगतान किया गया है।