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पुस्तकालय में एक कंप्यूटर, बता दिया डिजिटल लाइब्रेरी

सबौर कॉलेज का नैक पीयर टीम ने सोमवार से मूल्यांकन शुरू किया। कॉलेज की व्यवस्था पर मूल्यांकन के लिए पहुंची पीयर टीम की मिलीजुली प्रतिक्रिया रही। पुस्तकालय में एक ही कंप्यूटर था वह भी ऑपरेटर उपयोग कर...

पुस्तकालय में एक कंप्यूटर, बता दिया डिजिटल लाइब्रेरी
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 28 Mar 2017 02:01 AM
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सबौर कॉलेज का नैक पीयर टीम ने सोमवार से मूल्यांकन शुरू किया। कॉलेज की व्यवस्था पर मूल्यांकन के लिए पहुंची पीयर टीम की मिलीजुली प्रतिक्रिया रही। पुस्तकालय में एक ही कंप्यूटर था वह भी ऑपरेटर उपयोग कर रहा था। टीम के आते ही उसी कंप्यूटर के आधार पर पुस्तकालय को डिजिटल बता दिया गया।

टीम के सदस्य प्रो. एमके दुर्गा प्रसाद, डा. सीएसएस ठाकुर और डा. सुमत टी अग्रवाल कहीं सुझाव देते दिखे तो कहीं नाखुश नजर आए। हालत यह थी कि किसी कक्ष में सिर्फ छात्र थे और शिक्षक गायब तो किसी कक्षा में 10-15 छात्र बैठा दिए गए थे। पुस्तकालय में यूं तो अलमारियों में हर विषय की किताबें अलग-अलग रखी थीं लेकिन रेफरेंस सेक्शन और जर्नल की संख्या टीम को पता नहीं चल सकी। टीम ने इनके बारे में पूछा तो शिक्षक और लाइब्रेरियन रजिस्टर खंगालने लगे। टीम इससे नाखुश दिखी।

छात्रों से पूछे सवाल:

बॉटनी विभाग में टीम पहुंची तो हर टेबुल पर माइक्रोस्कोप रखे मिले और टेबुल के आगे छात्र खड़े थे। लेकिन माइक्रोस्कोप का उपयोग हो ही नहीं रहा था। ज्यादातरण उपकरण या तो अलमारी में बंद थे। क्योंकि प्रयोग टेबुल पर दूसरा उपकरण नजर नहीं आ रहा था। टीम शिक्षक से एक-दो सवाल कर तुरंत बाहर निकल गई। भूगोल विभाग में गिनती के दस छात्र मौजूद थे। शिक्षक नजर नहीं आए। पीयर टीम ने इस विभाग में भी ज्यादा समय नहीं दिया।

केमिस्ट्री की प्रयोगशाला में केवल दो छात्राएं मौजूद थीं। टीम ने एक शिक्षक से पूछा कि बैलेंस रूम कहां है। बताया गया कि यह उपलब्ध नहीं है। टीम ने स्टोर के बारे में पूछा तो वहीं जवाब मिला कि पूरी प्रयोगशाला के लिए एक ही कमरा है, इसलिए और चीजें नहीं हैं।

केवल जंतुविज्ञान की प्रयोगशाला में छात्र भरे मिले। यहां टीम जैसे ही छात्रों से कुछ पूछने को हुई, एक शिक्षक ने बताया- सर ये छात्र हिन्दी माध्यम के हैं। इसके बाद टीम ने छात्रों से हिन्दी में सवाल पूछे कि प्लांट और एनिमल में क्या अंतर है, दो-दो अंतर बताएं। एक छात्र ने अंतर बताया तो टीम ने अलग-अलग पौधे और जंतु के वर्ग व कुल का नाम पूछा। उसी छात्र ने फिर जवाब दिया। तब टीम के एक सदस्य ने पूछा कि क्या प्रयोग के लिए मेंढक की चीरफाड़ होती है? कुछ छात्र ने हां में उत्तर दिया तो कुछ ने नहीं कहा। हालांकि छात्रों को टीम ने कई सुझाव भी दिए। एक छात्रा से टीम ने पूछा कि जूलॉजी पढ़कर क्या बनोगी। छात्रा ने कहा डॉक्टर। तब दूसरी छात्रा ने कहा प्रोफेसर बनूंगी।

शिक्षकों से भी पूछी योग्यता

इससे पहले टीम ने शिक्षकों को बुला-बुलाकर उनसे बात की और उनकी योग्यता पूछी। जब यह सिलसिला चल रहा था तब यह तय ही नहीं हो पा रहा था कि अगले कौन शिक्षक टीम के पास जाएंगे। टीम ने एनसीसी में कितने छात्र हैं, कितने इसके आधार पर सेना में गए, की भी जानकारी ली।

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