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अपनी गलती सुधारी नहीं, मरीजों के लिए जारी किया नया फरमान

मायागंज अस्पताल प्रबंधन अपनी गलती सुधारने के बजाय लापरवाही छुपाने के लिए आए दिन एक नया हथकंडा अपनाने लगा है। पहले मीडिया के फोटो करने पर पाबंदी लगाई और अब आईसीयू में ताला लगाकर मरीजों का इलाज करने का...

अपनी गलती सुधारी नहीं, मरीजों के लिए जारी किया नया फरमान
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 12 Mar 2017 02:12 AM
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मायागंज अस्पताल प्रबंधन अपनी गलती सुधारने के बजाय लापरवाही छुपाने के लिए आए दिन एक नया हथकंडा अपनाने लगा है। पहले मीडिया के फोटो करने पर पाबंदी लगाई और अब आईसीयू में ताला लगाकर मरीजों का इलाज करने का फरमान जारी कर दिया।

यह ताला तभी खुलता है, जब डॉक्टर आते हैं और तीमारदार भी तभी मरीज को देख पाते हैं, जब डॉक्टर बुलाते हैं। यानी इस बीच मरीज का क्या उपचार हुआ। उपचार हुआ भी या नहीं, तीमारदार घंटों तक इससे भी बेखबर रहते हैं।

यह नया हथकंडा भी सिर्फ इसलिए अपनाया गया, क्योंकि गुरुवार को लापरवाही के कारण ही आईसीयू में महज 10 मिनट के अंदर दो मरीजों की मौत हो गई थी।

इसके बाद परिजनों ने हंगामा किया था। प्रमंडलीय आयुक्त अजय कुमार चौधरी भी इसे गंभीर मामला मानते हुए जांच कराने की बात कह चुके हैं, लेकिन इसी बीच अस्पताल अधीक्षक डॉ. आरसी मंडल ने नया आदेश जारी कर दिया। हालांकि, वे इसे हंगामा रोकने के लिए उठाया गया कदम बता रहे हैं।

टकटकी लगाए खड़े रहते हैं तीमारदार

आईसीयू के बाहर खड़े मरीज के परिजनों ने बताया कि जब डॉक्टर राउंड देते हैं, उन्हें तभी बुलाया जाता है। इसके बाद या पहले कैसे इलाज होता है, क्या होता है, इसकी जानकारी तक नहीं दी जाती है। इसलिए टकटकी लगाए खड़े रहना पड़ता है। आईसीयू में भर्ती मरीज के परिजन राजीव ने कहा कि अगर ताला लगाकर ही इलाज करना है तो बाहर खड़े तीमारदारों को हर घंटे मरीज के बारे में जानकारी देने की भी व्यवस्था होनी चाहिए।

अधीक्षक बोले, हंगामा रोकने को उठाया कदम

अस्पताल अधीक्षक डॉ. आरसी मंडल ने कहा कि अस्पताल में हंगामे की वजह से दूसरे मरीज को किसी तरह का नुकसान न हो और डॉक्टर को इलाज में परेशानी न आए। इसलिए यह कदम उठाया गया है। जिन मरीज की स्थिति नाजुक रहती है। उनके साथ परिजन को भी रहने दिया जाता है।

तालाबंदी पर तुरंत अमल, इन आदेशों का क्या हुआ

(1) इमरजेंसी और आईसीयू में पास सिस्टम लागू नहीं

छह माह पूर्व ही अस्पताल अधीक्षक डॉ. आरसी मंडल ने कहा कि था कि अस्पताल में आने-जाने वाले मरीज के परिजनों के लिए पास सिस्टम लागू कराया जाएगा। अब तक इस दिशा में काम नहीं हो पाया है। इस वजह से भीड़ अंदर चली जाती है और गरीब मरीजों के तीमारदारों को घंटों गेट के बाहर रहना पड़ता है।

(2) वार्ड से मोबाइल-पैसे तो बाहर से चोरी हो रही गाड़ी

अस्पताल प्रबंधन ने नई सुरक्षा एजेंसी को सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता करने का आदेश दिया था। एजेंसी ने भी ऐसा ही करने का दावा किया था। लेकिन, विभिन्न वार्डों में भर्ती मरीज के पैसे, मोबाइल और अन्य सामान आए दिन गायब होते रहते हैं। 15 दिन पहले अधीक्षक कार्यालय के पास से डॉक्टर की ही कार चोरी हो गई।

(3) आईसीयू घटना : आयुक्त के आदेश के इंतजार में जांच तक नहीं

आईसीयू में गुरुवार को 10 मिनट में दो मरीजों की मौत की जांच का अधीक्षक को आयुक्त का आदेश अभी नहीं मिला है। प्रबंधन भी अपने स्तर पर जांच करने के बजाय आदेश का ही इंतजार कर रहा है। अधीक्षक ने कहा कि जैसा आदेश आएगा, उसी आधार पर जांच होगी। हालांकि, प्रबंधन ने बिना जांच किए ही मरीज के परिजनों को मौत का जिम्मेदार ठहरा चुका है।

अस्पताल की व्यवस्था भगवान भरोसे

- एक सप्ताह पहले अधीक्षक कार्यालय के पास से डॉक्टर की कार चोरी

- इमरजेंसी के पास लगी गाड़ियां भी गायब होने की शिकायतें आती हैं

- कुछ माह पूर्व पहले प्रसूति विभाग से बच्चा चोरी, अब तक पता नहीं

- तीमारदारों को खुद ही इमरजेंसी से वार्ड तक मरीजों को शिफ्ट करना पड़ता है

- देर रात वार्डों में नर्स तक नहीं दिखतीं, इमरजेंसी के डॉक्टर के भरोसे वार्ड

- कोई बड़ी घटना हो तो सीसीटीवी कैमरे की फुटेज ही खराब बताई जाती है

- अधीक्षक कार्यालय की तरफ अब तक नहीं लगाए गए हैं सीसीटीवी कैमरे

- वार्डों में अब तक चौबीस घंटे डॉक्टर की नहीं रहती है तैनाती

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