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BEGUSARAI : भीड़ के कारण छूट गई वैशाली एक्सप्रेस, यात्री परेशान

बरौनी जंक्शन के प्लेटफार्म संख्या-7 पर मंगलवार की रात वैशाली एक्सप्रेस में इतनी भीड़ थी कि दिल्ली जाने वाले सैकड़ों यात्री ट्रेन में चढ़ने से वंचित रह गए। मंगलवार की सुबह बरौनी व उसके आसपास के सैकड़ों...

BEGUSARAI : भीड़ के कारण छूट गई वैशाली एक्सप्रेस, यात्री परेशान
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 07 Dec 2016 06:22 PM
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बरौनी जंक्शन के प्लेटफार्म संख्या-7 पर मंगलवार की रात वैशाली एक्सप्रेस में इतनी भीड़ थी कि दिल्ली जाने वाले सैकड़ों यात्री ट्रेन में चढ़ने से वंचित रह गए। मंगलवार की सुबह बरौनी व उसके आसपास के सैकड़ों यात्री जंक्शन पहुंचे़, लेकिन लगभग दिल्ली की तरफ जाने वाली द्रुतगामी ट्रेनों के घंटों विलंब से चलने के कारण उन्हें घंटों इंतजार करना पड़ा।

कोई दरवाजे पर, तो कोई इंजन पर चढ़ किया सफर

दिनभर के लंबे इंतजार के बाद रात 11 बजे बरौनी-नई दिल्ली वैशाली एक्सप्रेस के प्लेटफार्म पर लगते ही अनारक्षित कोचों में सफर करने वाले श्रमिकों की टोली उक्त ट्रेन में जैसे-तैसे चढ़ी। इसके बावजूद बड़ी संख्या में कई श्रमिक ट्रेन में चढ़ने से वंचित रह गए। कई यात्री कोच में जगह नहीं मिलने के कारण दरवाजे पर बैठकर यात्रा करते दिखे।

12 घंटे लेट नॉर्थईस्ट, तो 7 घंटे विलंब से चली बाघ एक्सप्रेस

बुधवार को नॉर्थईस्ट एक्सप्रेस 12 घंटे, तिरहुत एक्सप्रेस 3 घंटे, टाटा-छपरा एक्सप्रेस 4 घंटे, बाघ एक्सप्रेस 7 घंटे, अवध असम एक्सप्रेस 8 घंटे, महानंदा एक्सप्रेस 14 घंटे विलंब से चलने की सूचना है। वहीं, बरौनी-ग्वालियर नेट पर दिखाई नहीं दे रही है।

ट्रेनों के विलंब की नहीं मिल रही सही जानकारी

ट्रेनों के सही परिचालन व विलंबन समय बताने में बरौनी के स्थानीय अधिकारी भी हाथ उठा रहे हैं। ऐसी स्थिति में पूर्व से इन ट्रेनों में आरक्षण लेकर यात्रा के लिए जाने वाले लोग नियत समय पर बरौनी जंक्शन पर पहुंच तो रहे हैं लेकिन ट्रेनों के घंटों विलंब से चलने के कारण इस भीषण ठंड में प्लेटफार्मों पर ट्रेनों के इंतजार में बैठना एक कठिन समस्या बनी है।

दर्जा जंक्शन का, लेकिन पूछताछ के लिए टेलीफोन भी नहीं

यात्रियों की सबसे बड़ी शिकायत है कि बरौनी जंक्शन कार्यालय की टेलीफोन व्यवस्था पूर्णत: समाप्त कर दी गई है जबकि इंटरनेट से ट्रेनों की सही स्थिति की जानकारी मुहैया नहीं हो पाती है। नतीजतन प्रतिदिन हजारों यात्रियों को ट्रेनों की वास्तविक जानकारी से वंचित होने के कारण फजीहत झेलनी पड़ रही है।

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