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उड़ीसा की कूजी भेड़ों में मौजूद है खास जीन, किसानों कर देगी मालामाल

आईवीआरआई के वैज्ञानिक उड़ीसा की कूजी नस्ल की भेड़ों की मदद से किसानों को मालामाल करेंगे। कूजी नस्ल की भेड़ों में एक खास जीन का पता लगाने के बाद वैज्ञानिक इस नस्ल की मदद से ज्यादा बच्चे पैदा करने और...

उड़ीसा की कूजी भेड़ों में मौजूद है खास जीन, किसानों कर देगी मालामाल
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 28 May 2017 10:13 PM
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आईवीआरआई के वैज्ञानिक उड़ीसा की कूजी नस्ल की भेड़ों की मदद से किसानों को मालामाल करेंगे। कूजी नस्ल की भेड़ों में एक खास जीन का पता लगाने के बाद वैज्ञानिक इस नस्ल की मदद से ज्यादा बच्चे पैदा करने और वजनदार भेड़ की नई नस्ल तैयार करने की योजना पर काम कर रहे हैं। इस खास जीन की वजह से ही कूजी भेड़ें एक व्यांत में दो बच्चे पैदा करती है जबकि अन्य नस्ले एक बच्चे ही पैदा करती है।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की फार्मर फर्स्ट स्कीम के लिए बरेली जोन के प्रधान अन्वेषक बनाए गए एनिमल जेनेटिक्स विभाग के प्रधान वैज्ञानिक डा. रणवीर सिंह नई ब्रीड तैयार करने की योजना पर काम कर रहे हैं। डा. रणवीर सिंह ने बताया कि दो बच्चे पैदा करने का खास जीन रखने वाली कूजी भेड़ों और देश की सबसे ज्यादा वजनदार नस्ल मुजफ्फरनगरी से क्रास कराकर कूजी के जेनेटिक गुण मुजफ्फरनगरी में ट्रांसफर कर नई ब्रीड तैयार करेंगे। यह ब्रीड ज्यादा वजनदार और ज्यादा बच्चे पैदा करने वाली होगी। इससे पशुपालकों की आय में 40 फीसदी इजाफा किया जा सकेगा।

देश में पाई जाती है 42 नस्ले केवल दो देती है दो-दो बच्चे

देश में पाई जानी वाली भेड़ों की 42 नस्लों में से उड़ीसा में पाई जाने वाली कूजी नस्ल की भेड़ें और बंगाल की गैरोल नस्ल ही ऐसी है जो एक व्यांत में दो या इससे अधिक बच्चे पैदा करने की क्षमता रखती है। बाकी 40 नस्ले एक ही बच्चा पैदा करती है। डा. रणवीर सिंह ने बताया कि गैरोल नस्ल का वजन 12 से 14 किलो और कूजी का वजन 25 से 30 किलो होता है। कूजी के दो बच्चे पैदा करने की काबलियत एक खास जीन की वजह से आती है। आईवीआरआई अब आईसीएआर के फार्मर फर्स्ट योजना के तहत किसानों की आय बढ़ाने में नई तकनीकों की मदद ले रहा है।

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बनाया गया कूजी नस्ल को बेहतर बनाने का प्लान

खास जीन वाली कूजी भेड़ों को उड़ीसा से मंगाकर मुजफ्फरनगरी नस्ल से क्रास कराकर बेहतर नस्ल तैयार होगी। इस योजना पर आईवीआरआई ने काम शुरू कर दिया है। यह चरणबद्ध प्रक्रिया भेड़ों की पांच पीढियों तक चलेगी। दो बच्चे पैदा करने वाले जीन के ट्रांसफर के दौरान 4 फोर्स्ड पीसीआर आरपीएलएफ तकनीक की मदद से डीएनए आइसोलेट कर पता लगा लेंगे की कूजी का जीन कितना ट्रांसफर हुआ। कूजी का जीन मुजफ्फरनगरी में आया तो ज्यादा वजन और बच्चे मिलेंगे।

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भारत की भेड़ों से विदेशों तक पहुंचा यह जीन

डा. रणवीर सिंह ने बताया 19 देशों में 48 नस्लों में यह दो बच्चे पैदा करने वाला जीन मिलता है। यह जीन भारत से ही विदेशों में गया। डा. रणवीर सिंह ने बताया कि 1792 में बंगाल शीप जिसे गैरोल कहते हैं वह भारत से आस्ट्रेलिया ले जाई गई। इसमें 10 मादाएं और दो नर थे। दो बच्चे पैदा करने वाला जीन का स्रोत 1980 में आस्ट्रेलिया की एक वैज्ञानिक हेलेन न्यूटन टर्नर ने खोजा। दरअसल 1940 में आस्ट्रेलिया की वोरुला नस्ल की भेड़ दो बच्चे दे रही थी। इसका पता लगाने के बाद टर्नर ने साफ किया कि यह जीन भारत से ही आया था।

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फार्मर फर्स्ट योजना के तहत किसानों की आमदनी बढ़ाने और उनको स्वालंबी बनाने के लिए हर तकनीक का इस्तेमाल वैज्ञानिक करेंगे। कूजी नस्ल की भेड़ों की खासियत का फायदा पशुपालकों को मिलेगा तो उनकी आय बढ़ेगी।

डा. राजकुमार सिंह, निदेशक

आईवीआरआई

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