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इस खतरनाक घास को उखाड़ने के लिए सुबह से ही जुट गए वैज्ञानिक कर्मचारी

आईवीआरआई में रविवार को पार्थेनियम घास उन्मूलन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें आईवीआरआई के वैज्ञानिकों और कर्मचारियों ने परिसर में फैली पार्थेनियम घास...

इस खतरनाक घास को उखाड़ने के लिए सुबह से ही जुट गए वैज्ञानिक कर्मचारी
Sun, 28 May 2017 11:13 PM
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आईवीआरआई में रविवार को पार्थेनियम घास उन्मूलन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें आईवीआरआई के वैज्ञानिकों और कर्मचारियों ने परिसर में फैली पार्थेनियम घास उखाड़ा। इसके एक स्थान पर इकठ्ठा करते हुए इसका निस्तारण भी किया गया। आईसीएआर के निर्देश पर इस अभियान में रविवार को सुबह 7 बजे से 9 बजे तक वैज्ञानिकों ने सैकड़ों एकड़ में फैले कैंपस का कोना-कोना छान मारा और जहां जहां घास दिखी उसको उखाड़ना शुरू कर दिया।

संस्थान निदेशक डा. राजकुमार सिंह की अगुआई में चले कार्यक्रम में कई क्विंटल पार्थेनियम घास उखाड़ी गई। वैज्ञानिकों ने जर्म प्लाज्मा केन्द्र, फार्म, होते, पशुधन उत्पाद प्रौद्योगिकी विभाग तथा अन्य मार्ग सहित कई स्थानों पर उगी घास को उखाड़ा। संयुक्त निदेशक शोध डा. बीपी मिश्रा, संयुक्त निदेशक कैडराड डा. वीके गुप्ता, संयुक्त निदेशक (शैक्षणिक) डा. त्रिवेणी दत्त, डा. अनिल गर्ग, राकेश कुमार, पंकज कुमार, डा.रणवीर सिंह, डा. एके तिवारी सहित,डा. एके शर्मा सहित सभी वैज्ञानिक मौजूद थे।

मनुष्य और पशुओं के लिए खतरनाक है पार्थेनियम

पार्थेनियम घास जिसे गाजर घास भी कहते हैं यह मनुष्य और पशुओं के लिए खतरनाक है। आईवीआरआई निदेशक डा. राजकुमार सिंह ने बताया कि करीब 30 साल पहले विदेशों से आयात गेहूं के साथ इसके बीज आए थे। अब यह जम्मू-कश्मीर से लेकर दक्षिण भारत और पूर्वोत्तर तक फैल चुकी हैं। यह घास फसल की पैदावार में कमी लाता है और इंसान इस घास के संपर्क में आया तो एक्जिमा, एलर्जी, अस्थमा जैसी बीमारियां हो जाती है। दुधारू पशु इसे खा लें तो दूध कड़वा हो जाता है और ज्यादा खा लें तो मृत्यु भी हो जाती है।

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