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लक्ष्मी जी विराजेंगी आपके घर

दीपावली में मां लक्ष्मी आपके घर आए, इसके लिए सही तरीके से पूजा-पाठ के साथ-साथ वास्तु से जुड़ी कुछ और चीजों को ध्यान में रखना जरूरी होता है। मां लक्ष्मी की आराधना के दौरान किन बातों का ध्यान रखें, बता...

लक्ष्मी जी विराजेंगी आपके घर
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 01 Nov 2013 10:46 AM
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दीपावली में मां लक्ष्मी आपके घर आए, इसके लिए सही तरीके से पूजा-पाठ के साथ-साथ वास्तु से जुड़ी कुछ और चीजों को ध्यान में रखना जरूरी होता है। मां लक्ष्मी की आराधना के दौरान किन बातों का ध्यान रखें, बता रहे हैं वास्तुशास्त्री नरेश सिंगल

दीपावली मनाने के पीछे कई मान्यताएं हैं, लेकिन उद्देश्य एक ही है। परिवार, समाज और विश्व के लिए सुख, समृद्घि और शांति की मंगल कामना। यही सब पाने के लिए दीपावली पर वैभव की देवी माता लक्ष्मी का पूजन किया जाता है। जहां धन-धान्य और समृद्घि निवास करती है, वहां सुख और खुशियां अपने आ जाती हैं। शास्त्रों  में पूजा के पांच प्रकारों का वर्णन आता है- अभिगमन, उपादान, योग, स्वाध्याय व इज्याक। पूजा स्थल की साफ-सफाई, देव प्रतिमा को नहलाना आदि अभिगमन कहलाता है। पूजन सामग्री फल-फूल, रोली, सुपारी, अगरबत्ती जुटाने को उपादान कहते हैं। अपने इष्ट के ध्यान व स्मरण को योग, तथा जाप, मंत्रोचार आदि को स्वाध्याय कहा जाता है। उपरोक्त सभी प्रकारों से विधि पूर्वक अपने इष्ट का पूजन इज्याक कहलाता है।
आपका पूजन फलदायी बनें, इसके लिए इन बातों को भी ध्यान में रखें:

1.घर से अवांछित सामान, पुराने कपड़े, जूते, डिब्बे आदि तुरंत हटा दें। ये सामान नकारात्मक ऊर्जा के स्त्रोत होते हैं और आर्थिक अवसरों पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। दीपावली से पूर्व घर व दफ्तरों की जो साफ-सफाई की जाती है, वह वास्तव में माता लक्ष्मी को आमंत्रित करने का ही प्रतीक है।

2. लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए अच्छी तरह से पूजा करना आवश्यक है। जिस कक्ष में पूजा स्थल बनाएं, वहां ताजा हवा व रोशनी का पर्याप्त प्रबंध होना चाहिए।

3. बड़ी प्रतिमाओं की स्थापना पूजा स्थल में न करें। गृहस्थों को अंगूठे के एक पर्व से लेकर एक बलिश्त तक की प्रतिमा की स्थापना करनी चाहिए।

4. पूजन कक्ष में चमडे़ का सामान, जूते-चप्पल आदि न ले जाएं।

5. पूजन में अर्पण करने के लिए जहां तक संभव हो सके, ताजे फल व फूलों का उपयोग ही करें। भूमि पर गिरा हुआ फूल, जिसकी पंखुडियां टूटी हुई हों, आग में झुलसा हुआ फूल व सूंघा हुआ फूल पूजा में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

6. बासी फूल, पत्ते व जल पूजन में इस्तेमाल नहीं करें। पर, तुलसी और गंगाजल कभी बासी नहीं होते।

7. फल-फूल जैसे उगते हैं, उन्हें वैसे ही चढ़ाना चाहिए, यानी उन्हें तोड़ना या काटना नहीं चाहिए। ऐसा करना वास्तु सम्मत नहीं होता।

8. पूजन के दौरान ध्वनि का विशेष महत्व है। शंख व घंटनाद न सिर्फ देवों को प्रिय है, इससे वातावरण शुद्घ भी होता है। यह वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित हो चुका है कि शंख की ध्वनि से बैक्टीरिया नष्ट होते हैं।

9. पूजा स्थल के लिए सर्वोत्तम स्थान ईशान कोण अर्थात उत्तर व पूर्व का समागम स्थल है।

10. पूजन में देवी-देवताओं की प्रतिमाओं-चित्रों के साथ मृतकों-पूर्वजों के चित्र न रखें।

11. अगर आप लक्ष्मी को प्रसन्न करना चाहते हैं तो सबसे पहले घर की महिलाओं का आदर-मान करना सीखें।

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