धनतेरस पर क्यों खरीदे जाते हैं पीतल और चांदी के बर्तन?
कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन ही भगवान धनवंतरी का जन्म हुआ था, इसलिए इस तिथि को धन त्रयोदशी या धनतेरस के रूप में जाना जाता है। भगवान धनवंतरी जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथों में अमृत से भरा...
कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन ही भगवान धनवंतरी का जन्म हुआ था, इसलिए इस तिथि को धन त्रयोदशी या धनतेरस के रूप में जाना जाता है। भगवान धनवंतरी जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथों में अमृत से भरा कलश था। भगवान धनवंतरी चूंकि कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परंपरा है। आइए आज हम आपको बताते हैं कि धनतेरस के दिन क्यों खरीदे जाते हैं पीतल, चांदी और स्टील के बर्तन। साथ ही जानिए कि घर में बर्तन लाना शुभ क्यों माना जाता है?
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इसलिए खरीदे जाते हैं पीतल के बर्तन
भगवान धनवंतरी नारायण भगवान विष्णु का ही एक रूप माना जाता है। इनकी चार भुजाएं हैं, जिनमें से दो भुजाओं में वे शंख और चक्र धारण किए हुए हैं। दूसरी दो भुजाओं में औषधि के साथ वे अमृत कलश लिए हुए हैं। ऐसा माना जाता है कि यह अमृत कलश पीतल का बना हुआ है क्योंकि पीतल भगवान धनवंतरी की प्रिय धातु है। इसलिए दिवाली के पूर्व धनतेरस के दिन लोग अपने घरों में नए पीतल के बर्तन खरीदकर लाते हैं।
चांदी के बर्तन भी होते हैं शुभ
कहीं-कहीं लोकमतानुसार कहा जाता है कि इस दिन बर्तन, चांदी की वस्तु आदि की खरीदारी करने से उसमें तेरह गुना वृद्धि होती है। इस मान्यता के अनुसार लोगों में अब परंपरा बन गई है कि धनतेरस के दिन छोटा या बड़ा एक चांदी का बर्तन खरीदना चाहिए। धनतेरस के दिन चांदी के बर्तन या जेवर खरीदने का भी प्रचलन है। माना जाता है कि यह चन्द्रमा का प्रतीक है, जो शीतलता प्रदान करता है और इसी दिन चन्द्र का हस्त नक्षत्र भी है। इस दिन चांदी की खरीदी गई कोई भी वस्तु शुभ फल प्रदान करती है और लंबे समय तक चलती है।
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स्टील के बर्तन भी खरीदा जाना शुभ
किचन के लिए धनतेरस पर काफी खरीदारी की जाती है। मान्यता के अनुसार इस दिन चांदी के बर्तन खरीदना चाहिए, लेकिन सभी लोग चांदी के बर्तनों का प्रयोग घर पर रेगुलर यूज के लिए नहीं कर सकते। इन्हीं कारणों से लोग धनतेरस के दिन चांदी की जगह स्टील के बर्तन खरीदते हैं। ऐसा माना जाता है कि स्टील के बर्तन भी चांदी की तरह स्वच्छ और शुद्ध होते हैं। जिसे खाने को परोसकर खाया जा सकता है।
इस दिन खरीदा जाता है धनिया का बीज
देश में कुछ ही जगहों पर यह भी मान्यता है कि धनतेरस पर धनिया के बीज खरीद कर भी लोग घर में रखते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि दिवाली के बाद इन बीजों को लोग अपने खेतों में बोते हैं। कुछ लोग क्यारियों में भी बोते है। धनिया स्वास्थ्य के लिए उत्तम तो होता ही है, इसे स्वाद को बढ़ाने वाला भी माना गया है।
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धनतेरस पर ये भी हैं मान्यताएं
- धनवंतरी आयुर्वेद के जनक हैं। वे सुख, स्वास्थ्य और दीर्घायु का वरदान देते हैं।
- सागर मंथन से ही देवी लक्ष्मी का आविर्भाव हुआ था। यह तिथि भगवान धनवंतरी के जन्म के दो दिन बाद आई थी। इसीलिए दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजन की परंपरा शुरू हुई।
- भगवान धनवंतरी जीवन और स्वास्थ्य के रक्षक माने जाते हैं, इसलिए उनके हाथ में अमृत से भरा कलश है। इस कलश के कारण ही धनतेरस के दिन नए बर्तन खरीदे जाते हैं। मान्यता है कि ये उस परिवार के लिए शुभ होते हैं।
- इसी प्रकार धनतेरस के दिन चांदी के बर्तन, आभूषण और चांदी के सिक्के खरीदने का भी प्रचलन है। चांदी का संबंध ज्योतिष से है। यह चंद्रमा तथा मन से जुड़ी है। माना जाता है कि धनतेरस के दिन चांदी या पीतल के बर्तन खरीदने से घर में समृद्धि और सफलता लेकर आती है।