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Hindi NewsVIDEO: मां शैलपुत्री की आरती से कीजिए नवरात्रि शुरू, पूरी होगी मन की मुराद

VIDEO: मां शैलपुत्री की आरती से कीजिए नवरात्रि शुरू, पूरी होगी मन की मुराद

मां शैलपुत्री पूरी करती हैं हर मुराद..  सुबह 10:30 के मुहूर्त पर घट/कलश की स्थापना और मां शैलपुत्री की पूजा के साथ ही नवरात्रि की शुरूआत हो चुकी है। आज livehindustan.com ख़ास आपके लिए लाय

लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 01 Oct 2016 07:01 PM

मां शैलपुत्री पूरी करती हैं हर मुराद.. 

सुबह 10:30 के मुहूर्त पर घट/कलश की स्थापना और मां शैलपुत्री की पूजा के साथ ही नवरात्रि की शुरूआत हो चुकी है। आज livehindustan.com ख़ास आपके लिए लाया है मां शैलपुत्री के सबसे पहले और प्राचीन मंदिर की आरती। ये मंदिर शिव की नगरी वाराणसी में स्थित है और इसके बारे में ये माना जाता है कि यहां पूजा करने पर आपकी हर मनोकामना पूरी होती है। क्लिक कर आरती का VIDEO देखें और मां शैलपुत्री को करें प्रणाम..


कहां है ये मंदिर

धर्म नगरी वाराणसी स्थित मां शैलपुत्री का मंदिर बेहद प्रसिद्द है। ये एक प्राचीन मंदिर है और मान्यताओं के मुताबिक यही मां शैलपुत्री का पहला मंदिर है। पहले नवरात्रि के दिन इस मंदिर में पांव रखने की भी जगह नहीं रहती। कहा जाता है कि सुहागनें अपने सुहाग की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थय के लिए मां शैलपुत्री के मंदिर आती हैं। इस मंदिर में भक्तजन लाल फूल, लाल चुनरी और नारियल के साथ सुहाग का सामान चढ़ाते हैं।

यहां कल के दिन महाआरती भी होती और मां शैलपुत्री की कथा भी सुनाई जाती है। यहां लोग काफी दूर-दूर से मन्नत मांगने आते हैं और मन्नत पूरी हो जाने पर पूजा करवाते हैं। कहा जाता है की शिव की धरती वाराणसी में मौजूद माता का यह मंदिर इतना शक्तिशाली है कि यहां मांगी गई हर मुराद पूरी हो जाती है। 

अगली स्लाइड में जानिए इस मंदिर से जुड़ी पूरी कहानी...

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क्या है मंदिर से जुड़ी कथा

नवरात्र में इस मंदिर में पूजा करने का खास महत्व होता है। माना जाता है कि अगर आपके दापत्यं जीवन में परेशानी आ रही है तो यहां पर आने से आपको सभी कष्टों से  निजात मिल जाता है।  इस मंदिर को लेकर एक कथा प्रचलित है। इसके अनुसार माना जाता है कि मां कैलाश से काशी आई थी। जानिए आखिर कथा क्या है।

 इसके अनुसार मां पार्वती ने हिमवान की पुत्री के रूप में जन्म लिया और शैलपुत्री कहलाईं एक बार की बात है जब माता किसी बात पर भगवान शिव से नाराज हो गई और कैलाश से काशी आ गईं इसके बाद जब भोलेनाथ उन्हें मनाने आए तो उन्होंने महादेव से आग्रह करते हुए कहा कि यह स्थान उन्हें बेहद प्रिय लगा लग रहा है और वह वहां से जाना नहीं चाहती जिसके बाद से माता यहीं विराजमान हैं माता के दर्शन को आया हर भक्त उनके दिव्य रूप के रंग में रंग जाता है।

यह एक ऐसा मंदिर है जहां पर माता शैलपुत्री की तीन बार आरती होने का साथ-साथ तीन बार सुहाग का सामान भी चढ़ता है। भगवती दुर्गा का पहला स्वरूप शैलपुत्री का है। हिमालय के यहां जन्म लेने से उन्हें शैलपुत्री कहा गया। इनका वाहन वृषभ है।उनके दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल है। इन्हें पार्वती का स्वरूप भी माना गया है। ऐसी मान्यता है कि देवी के इस रूप ने ही शिव की कठोर तपस्या की थी।
 

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