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10 दिन की होगी नवरात्रि: राम की शक्ति पूजा जैसे योग, घोड़े पर सवार होकर आएंगी मां

  शारदीय नवरात्र शनिवार से प्रारम्भ हो रहे हैं। ब्रह्मा, विष्णु और महेश को भी सामर्थ्य प्रदान करने वाली मां भगवती इस बार दस दिन तक देवी मंडपों में रहेंगी। चूंकि भगवती अश्व पर सवार होकर आ

लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 30 Sep 2016 10:16 PM

 

शारदीय नवरात्र शनिवार से प्रारम्भ हो रहे हैं। ब्रह्मा, विष्णु और महेश को भी सामर्थ्य प्रदान करने वाली मां भगवती इस बार दस दिन तक देवी मंडपों में रहेंगी। चूंकि भगवती अश्व पर सवार होकर आ रही हैं, इसलिए ज्योतिषियों के अनुसार अपराजिता देवी के रूप में वह विराजमान रहेंगी। लंका पर विजय प्राप्त करने के लिए भगवान राम ने अपराजिता देवी की ही पूजा की थी। प्रतिपदा इस बार दो दिन है अर्थात देवी के पहले स्वरूप शैलपुत्री की पूजा शनिवार और रविवार दोनों दिन रहेगी। लेकिन घट-स्थापना शनिवार एक अक्तूबर को होगी। 

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10 दिन की होगी नवरात्रि: राम की शक्ति पूजा जैसे योग, घोड़े पर सवार होकर आएंगी मां

 

शैलपुत्री की पूजा दो दिन

इस बार नवरात्रे नौ के बजाय दस दिन तक होंगे तथा प्रतिपदा तिथि दो दिन रहेगी। इसलिए नवरात्र के प्रथम दो दिन माँ शैलपुत्री की ही पूजा होगी। एक अक्तूबर को ही  प्रतिपदा के दिन जब घट स्थापना होगी। उस दिन बृहस्पति चन्द्रमा और सूर्य एक ही राशि (कन्या) में होंगे जिससे गजकेसरी योग बनेगा।

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10 दिन की होगी नवरात्रि: राम की शक्ति पूजा जैसे योग, घोड़े पर सवार होकर आएंगी मां

 

घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं मां
जिस दिन से नवरात्र प्रारम्भ होते हैं, उसी दिन देवी की अपनी सवारी भी तय होती है। इस बार शनिवार से नवरात्र का प्रारम्भ हो रहा है। इसलिए देवी भगवती अश्व यानी घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं। घोड़ा शक्ति और युद्ध का प्रतीक है। योग भी उसी प्रकार बनते हैं। 

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10 दिन की होगी नवरात्रि: राम की शक्ति पूजा जैसे योग, घोड़े पर सवार होकर आएंगी मां

 

16 साल बाद दस नवरात्र

इस बार श्राद्ध एक कम हुआ है और नवरात्र दस दिन के हो रहे हैं। सन 2000 में भी दस नवरात्र हुए थे, लेकिन तब नवमी तिथि दो दिन थी। नवरात्र 28 सितंबर से सात अक्तूबर तक चले थे। बहुत साल प्रतिपदा दो दिन हो रही है

घट स्थापना का मूहूर्त

एक अक्टूबर,प्रतिपदा, शनिवार
प्रात: 7 बजकर 47 मिनट से 9.15 तक ( चोघड़िया मूहूर्त)
प्रात: 10.30 से 12.08 बजे तक ( स्थिर लग्न वृश्चिक)
इस काल में न करें घट स्थापना
शनिवार एक अक्तूबर को 9 बजे से 10.30 बजे तक राहु काल रहेगा। इससे स्थिर लग्न का कुछ भाग राहुकाल से ग्रसित होगा। इस अवधि में घट स्थापना न करें।
किस दिशा में करें घट-स्थापना
वास्तुशास्त्र के अनुसार घर के ईशान कोण (पूर्व व उत्तर के बीच का स्थान) को धार्मिक क्रियाओं और पूजा करने के लिए श्रेष्ठ माना गया है। अतः ईशान कोण घट स्थापना के लिए श्रेष्ठ दिशा है इसके अलावा पूर्व तथा उत्तर दिशा भी घट स्थापना के लिए शुभ हैं।

घट स्थापना इस प्रकार करें

1. घड़े में गंगाजल डालकर उसको पूरा भर लें।
2. जल में काले तिल, चावल, जौं, पीली सरसो ( यदि पीताबंरा की पूजा करते हैं), सिक्का
3. पांच या सात आम के पत्ते
4. जटाजूट नारियल लें।
5. उस पर पान लगाएं। फिर लाल कपड़ा या चुनरी लपेट लें।
6. फिर कलावा लें और सात या नौ फेर लगा दें
घट-स्थापना
श्री गणेश, भगवान शंकर, भगवान विष्णु और नवग्रह-वरुण का ध्यान करते हुए नारियल को माथे पर लगाएं। देवी की आराधना करें और कलश पर नारियल स्थापित कर दें।
दीप ज्योति
दीप ऊं दुं दुर्गायै नम: का मंत्र जाप करते हुए देवी भगवती की अखंड ज्योति प्रज्ज्वलित करें। काली जी की ज्योति ओउम ऐं ह्वीं क्लीं चामुंडाये विच्चै
से करें। इसके बाद ही जौं बोएं।

नवरात्र-संकल्प

बिना संकल्प के कोई कार्य नहीं होता। हाथ में पीले चावल लें और नवरात्र का संकल्प लें। हे मां, आप हमारे यहां घर में विराजमान हों। समस्त ग्रह-नक्षत्र, द्वारपाल के साथ हमको आशीर्वाद प्रदान करो। उसके बाद अन्य देवी-देवताओं का ध्यान करें।

देवी का स्थान: देवी की प्रतिष्ठापना- मध्य में प्रतिष्ठापित करें। इनके दायीं ओर महालक्ष्मी, श्री गणेष और विजया नामक योगिनी का स्थान होना चाहिए। जिन घरों में लड्डू गोपाल प्रतिष्ठापित हैं, वे उनको देवी के आगे विराजमान करें। श्रीनारायण, भगवान शंकर और महासरस्वती बायीं ओर रहेंगे। काली जी का भी स्थान यहीं पर होगा।

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श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ
सरल उपाय- दुर्गा सप्तशती का पांचवा या ग्यारहवां अध्याय या सिद्ध कुंजिका स्तोत्रम्, या श्री देवी सूक्तम
या सप्तश्लोकी दुर्गा में से किसी एक का पाठ कर लें।
पंचपाठ- श्री देवी कवच, श्री अर्गलास्तोत्रम्, कीलक, देवी सूक्तम और सिद्धकुंजिका स्तोत्रम्
सप्तपाठ- श्रीदेवी कवच, श्री अर्गलास्तोत्रम्, कीलक, देवी सूक्तम, सिद्ध कुंजिका स्तोत्रम्, सप्तश्लोकी दुर्गा, ग्यारहवां अध्याय
संपूर्ण पाठ-सभी अध्यायों का पाठ। सम-विषम रूप में।  
किसके लिए कौन सा अध्याय
-व्यापारी, नौकरीपेशा, के लिए-11 वां अध्याय
-संकट निवारण के लिए-पांचवा अध्याय, सातवां अध्याय
-धन प्राप्ति के लिए- 11 वां अध्याय
-रक्षा के लिए-देवी कवच, श्री अर्गला स्तोत्रम।
-महिलाओं के लिए- देवी सूक्तम का पाठ।  

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