आज भी होगी मां शैलपुत्री की आराधना, देखें आरती का वीडियो
शारदीय नवरात्रि शनिवार से प्रारंभ हो गए हैं। इस बार 10 दिन के नवरात्रि हैं इसलिए प्रतिपदा दो दिन है अर्थात देवी के पहले स्वरूप शैलपुत्री की पूजा शनिवार के अलावा रविवार को भी होगी। नवरा
शारदीय नवरात्रि शनिवार से प्रारंभ हो गए हैं। इस बार 10 दिन के नवरात्रि हैं इसलिए प्रतिपदा दो दिन है अर्थात देवी के पहले स्वरूप शैलपुत्री की पूजा शनिवार के अलावा रविवार को भी होगी। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। देवी दुर्गा के नौ रूप हैं शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंधमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री हैं। इन नौ रातों में तीन देवी पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती के नौ रुपों की पूजा होती है जिन्हें नवदुर्गा कहते हैं।
आज livehindustan.com ख़ास आपके लिए लाया है मां शैलपुत्री के सबसे पहले और प्राचीन मंदिर की आरती। ये मंदिर शिव की नगरी वाराणसी में स्थित है और इसके बारे में ये माना जाता है कि यहां पूजा करने पर आपकी हर मनोकामना पूरी होती है। क्लिक कर आरती का VIDEO देखें और मां शैलपुत्री को करें प्रणाम...
आगे की स्लाइड में जानिए पूजन विधि और मां शैलपुत्री की कथा
आज भी होगी मां शैलपुत्री की आराधना, देखें आरती का वीडियो
आइए जानें शैलपुत्री की पूजा का विधि-विधान:
मां शैलपुत्री का दर्शन कलश स्थापना के साथ ही प्रारम्भ हो जाता है। नवरात्र व्रत में नौ दिन व्रत रहकर माता का पूजन बड़े ही श्रद्धा भाव के साथ किया जाता है। लेकिन जो लोग नौ दिन व्रत नहीं रह पाते वे सिर्फ माता शैलपुत्री का पूजन कर नवरात्रि का फल पा सकते है।
ऐसा है मां शैलपुत्री का स्वरुप
आदि शक्ति ने अपने इस रूप में शैलपुत्र हिमालय के घर जन्म लिया था, इसी कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। शैलपुत्री नंदी नाम के वृषभ पर सवार होती हैं और इनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प है।
शैलपुत्री पूजन विधि: दुर्गा को मातृ शक्ति यानी स्नेह, करूणा और ममता का स्वरूप मानकर पूजा की जाती है। कलश स्थापना से इनकी पूजा शुरू की जाती है। इनकी पूजा में सभी तीर्थों, नदियों, समुद्रों, नवग्रहों, दिक्पालों, दिशाओं, नगर देवता, ग्राम देवता सहित सभी योगिनियों को भी आमंत्रित किया जाता और कलश में उन्हें विराजने के लिए प्रार्थना सहित उनका आहवान किया जाता है।
आज भी होगी मां शैलपुत्री की आराधना, देखें आरती का वीडियो
माता की उपासना के लिए मंत्र:
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
ये लगाएं मां शैलपुत्री को भोग: मां शैलपुत्री के चरणों में गाय का घी अर्पित करने से भक्तों को आरोग्य का आशीर्वाद मिलता है और उनका मन एवं शरीर दोनों ही निरोगी रहता है।
आज भी होगी मां शैलपुत्री की आराधना, देखें आरती का वीडियो
वाराणसी में स्थित है मां शैलपुत्री का मंदिर
धर्म नगरी वाराणसी स्थित मां शैलपुत्री का मंदिर बेहद प्रसिद्द है। ये एक प्राचीन मंदिर है और मान्यताओं के मुताबिक यही मां शैलपुत्री का पहला मंदिर है। पहले नवरात्रि के दिन इस मंदिर में पांव रखने की भी जगह नहीं रहती। कहा जाता है कि सुहागनें अपने सुहाग की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थय के लिए मां शैलपुत्री के मंदिर आती हैं। इस मंदिर में भक्तजन लाल फूल, लाल चुनरी और नारियल के साथ सुहाग का सामान चढ़ाते हैं।
यहां कल के दिन महाआरती भी होती और मां शैलपुत्री की कथा भी सुनाई जाती है। यहां लोग काफी दूर-दूर से मन्नत मांगने आते हैं और मन्नत पूरी हो जाने पर पूजा करवाते हैं। कहा जाता है की शिव की धरती वाराणसी में मौजूद माता का यह मंदिर इतना शक्तिशाली है कि यहां मांगी गई हर मुराद पूरी हो जाती है।
आज भी होगी मां शैलपुत्री की आराधना, देखें आरती का वीडियो
क्या है मंदिर से जुड़ी कथा
नवरात्र में इस मंदिर में पूजा करने का खास महत्व होता है। माना जाता है कि अगर आपके दापत्यं जीवन में परेशानी आ रही है तो यहां पर आने से आपको सभी कष्टों से निजात मिल जाता है। इस मंदिर को लेकर एक कथा प्रचलित है। इसके अनुसार माना जाता है कि मां कैलाश से काशी आई थी। जानिए आखिर कथा क्या है।
इसके अनुसार मां पार्वती ने हिमवान की पुत्री के रूप में जन्म लिया और शैलपुत्री कहलाईं एक बार की बात है जब माता किसी बात पर भगवान शिव से नाराज हो गई और कैलाश से काशी आ गईं इसके बाद जब भोलेनाथ उन्हें मनाने आए तो उन्होंने महादेव से आग्रह करते हुए कहा कि यह स्थान उन्हें बेहद प्रिय लगा लग रहा है और वह वहां से जाना नहीं चाहती जिसके बाद से माता यहीं विराजमान हैं माता के दर्शन को आया हर भक्त उनके दिव्य रूप के रंग में रंग जाता है।
यह एक ऐसा मंदिर है जहां पर माता शैलपुत्री की तीन बार आरती होने का साथ-साथ तीन बार सुहाग का सामान भी चढ़ता है। भगवती दुर्गा का पहला स्वरूप शैलपुत्री का है। हिमालय के यहां जन्म लेने से उन्हें शैलपुत्री कहा गया। इनका वाहन वृषभ है।उनके दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल है। इन्हें पार्वती का स्वरूप भी माना गया है। ऐसी मान्यता है कि देवी के इस रूप ने ही शिव की कठोर तपस्या की थी।
आज भी होगी मां शैलपुत्री की आराधना, देखें आरती का वीडियो