मां शैलपुत्री की पूजा से नवरात्रि शुरू, ऐसे करें आरती और विधि-विधान
नवरात्रि के नौ दिन मां भगवती की उपासना कर मां की विशेष कृपा पाई जा सकती है। नवरात्रि के पहले दिन मां के रूप शैलपुत्री की पूजा की जाती है। माता आदि शक्ति के पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री के...
नवरात्रि के नौ दिन मां भगवती की उपासना कर मां की विशेष कृपा पाई जा सकती है। नवरात्रि के पहले दिन मां के रूप शैलपुत्री की पूजा की जाती है। माता आदि शक्ति के पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। इस बार दस दिन के नवरात्रि हैं इसलिए प्रतिपदा दो दिन है अर्थात देवी के पहले स्वरूप शैलपुत्री की पूजा शनिवार और रविवार दोनों दिन होगी। लेकिन घट-स्थापना शनिवार एक अक्तूटर को होगी।
आइए जानें शैलपुत्री की पूजा का विधि-विधान:
मां शैलपुत्री का दर्शन कलश स्थापना के साथ ही प्रारम्भ हो जाता है। नवरात्र व्रत में नौ दिन व्रत रहकर माता का पूजन बड़े ही श्रद्धा भाव के साथ किया जाता है। लेकिन जो लोग नौ दिन व्रत नहीं रह पाते वे सिर्फ माता शैलपुत्री का पूजन कर नवरात्रि का फल पा सकते है।
ऐसा है मां शैलपुत्री का स्वरुप
आदि शक्ति ने अपने इस रूप में शैलपुत्र हिमालय के घर जन्म लिया था, इसी कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। शैलपुत्री नंदी नाम के वृषभ पर सवार होती हैं और इनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प है।
शैलपुत्री पूजन विधि: दुर्गा को मातृ शक्ति यानी स्नेह, करूणा और ममता का स्वरूप मानकर पूजा की जाती है। कलश स्थापना से इनकी पूजा शुरू की जाती है। इनकी पूजा में सभी तीर्थों, नदियों, समुद्रों, नवग्रहों, दिक्पालों, दिशाओं, नगर देवता, ग्राम देवता सहित सभी योगिनियों को भी आमंत्रित किया जाता और कलश में उन्हें विराजने के लिए प्रार्थना सहित उनका आहवान किया जाता है।
घट स्थापना का मूहूर्त
एक अक्टूबर,प्रतिपदा, शनिवार प्रात: 7 बजकर 47 मिनट से 9.15 तक ( चोघड़िया मूहूर्त)
प्रात: 10.30 से 12.08 बजे तक ( स्थिर लग्न वृश्चिक)
माता की उपासना के लिए मंत्र:
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
ये लगाएं मां शैलपुत्री को भोग: मां शैलपुत्री के चरणों में गाय का घी अर्पित करने से भक्तों को आरोग्य का आशीर्वाद मिलता है और उनका मन एवं शरीर दोनों ही निरोगी रहता है।