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मां महागौरी की ये कहानी जानिए, होगी मनचाहे जीवनसाथी की मुराद पूरी

नवरात्रि के आठवें दिन मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा की जाती है। नवरात्रि के दौरान इस दिन का विशेष महत्व है। देवी महागौरी का अत्यंत गौर वर्ण हैं। इनके वस्त्र और आभूषण सफेद हैं। इनकी चार भुजाएं...

मां महागौरी की ये कहानी जानिए, होगी मनचाहे जीवनसाथी की मुराद पूरी
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 08 Oct 2016 10:04 PM
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नवरात्रि के आठवें दिन मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा की जाती है। नवरात्रि के दौरान इस दिन का विशेष महत्व है। देवी महागौरी का अत्यंत गौर वर्ण हैं। इनके वस्त्र और आभूषण सफेद हैं। इनकी चार भुजाएं हैं। महागौरी का वाहन बैल है। देवी के दाहिने ओर के ऊपर वाले हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले हाथ में त्रिशूल है। बाएं ओर के ऊपर वाले हाथ में डमरू और नीचे वाले हाथ में वर मुद्रा है। 

कहा जाता है कि भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए इन्होंने कठोर तपस्या की थी, जिससे इनका शरीर काला पड़ गया। इनकी कठोर तपस्या से महादेव प्रसन्न हो गए और इनकी प्रार्थना स्वीकार कर ली। इनके शरीर का रंग तपस्या से काला हो जाने के कारण महादेव ने इन्हें गंगाजल से धोया तो ये फिर से गौर रंग वाली हो गईं। इसी कारण इनका नाम गौरी पड़ गया। इसी कारण कहा जाता है कि अष्टमी के दिन व्रत रखने से भक्तों को उनका मनचाहा जीवनसाथी मिलता है।

महागौरी की एक अन्य कथा भी प्रचलित है। इसके अनुसार जब मां उमा जंगल में तपस्या कर रही थीं, तभी एक शेर वन में भूखा घूम रहा था। खाने की तलाश में वहां पहुंचा जहां मां तपस्या में लीन थी। देवी को देखकर शेर की भूख बढ़ गई और शेर उनके तपस्या पूरी करने का इंतजार करने लगा। इस इंतजार में वह काफी कमजोर हो गया। देवी जब तप से उठी तो शेर की दशा देखकर उन्हें उस पर बहुत दया आई। मां ने उसे अपनी सवारी ली और एक प्रकार से उसने भी मां के साथ तपस्या की थी। इसलिए देवी महागौरी का वाहन बैल और सिंह दोनों ही हैं।

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