फोटो गैलरी

Hindi Newsknow all about 2016 ahoi ashtami vrat kartik krishna paksh ashtami

संतान के लिए रखा जाता है अहोई अष्टमी का व्रत

कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष अष्टमी को अहोई अष्टमी के रूप में मनाते है, जो इस वर्ष 22 अक्टूबर को है। इस दिन स्त्रियां अपनी संतान के लिए उपवास करती है और बिना अन्न-जल ग्रहण किये निर्जल व्रत...

संतान के लिए रखा जाता है अहोई अष्टमी का व्रत
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 21 Oct 2016 08:03 PM
ऐप पर पढ़ें

कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष अष्टमी को अहोई अष्टमी के रूप में मनाते है, जो इस वर्ष 22 अक्टूबर को है। इस दिन स्त्रियां अपनी संतान के लिए उपवास करती है और बिना अन्न-जल ग्रहण किये निर्जल व्रत रखती है। सांयकाल को कुछ महिलएं तारों को अर्घ्य देकर और कुछ लोग चन्द्रमा को अर्घ्य देकर व्रत को पूर्ण करती है।

ज्योतिषाचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि इस दिन सायंकाल दीवार पर आठ कोणों वाली एक पुतली बनाई जाती है और पुतली के पास ही स्याऊ माता और उनके बच्चे बनाये जाते है। ये व्रत संतान सुख और संतान की कामना के लिए किया जाता है। शाम को व्रत कथा का पाठ किया जाता है। जिन महिलाओं के संतान नहीं है वे भी संतान की कामना के लिए अहोई अष्टमी का व्रत रख सकती हैं।  

इस दिन अगर आप चांदी का अहोई बनाकर पूजा करते है। इसके लिए चांदी के दो मोती डालकर विशेष पूजा करें। इसके लिए एक धागें में अहोई और दोनों चांदी के दानें डाल लें। और हर साल इसमें दाने जोड़ते जाएं और अहोई माता की रोली, चावल और दूध से पूजा करें। 

इस दिन भगवती माता की शरण लेकर सेह और सेह के बच्चों का चित्र बना कर उनकी पूजा की जाती है। इस व्रत में उपवास करने वाली महिलाएं पूरे दिन निर्जला रहती हैं। और शाम को गेरू से अहोई माता का चित्र और साथ में सेई-साही के बच्चों बनाकर इसकी पूजा करती हैं। पूजा के समय कलश स्थापना कर गणेश पूजा के बाद अहोई माता की कथा सुनी जाती है।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें