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VIDEO: पढ़ें दिवाली में लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त

कार्तिक मास की अमावस्या को मां लक्ष्मी भगवान गणेश का पूजन करने का विधान है। कहा जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी का पूजन स्थिर लग्न में करना चाहिए। स्थिर लग्न में पूजन करने से मां लक्ष्मी का आ

लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 28 Oct 2016 05:56 PM

कार्तिक मास की अमावस्या को मां लक्ष्मी भगवान गणेश का पूजन करने का विधान है। कहा जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी का पूजन स्थिर लग्न में करना चाहिए। स्थिर लग्न में पूजन करने से मां लक्ष्मी का आपके घर में वास होता है।

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इस वर्ष श्री शुभ संवत् 2073 शाके 1938 कार्तिक कृष्ण अमावस्या तिथि 30 अक्टूबर 2016 दिन रविवार को दिवाली मनाई जाएगी। अमावस्या तिथि 29 अक्टूबर दिन शनिवार को ही रात में 07 बजकर 52 मिनट से लग रही है जो 30 अक्टूबर 2016 दिन रविवार को रात में 09 बजकर 44 मिनट तक रहेगी। इस प्रकार उदया तिथि में अमावस्या का मान सूर्योदय से ही मिल रहा है। साथ ही प्रदोष काल का भी बहुत ही उत्तम योग मिल रहा है।

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दीपावली के दिन श्री महागणपति, महालक्ष्मी एवं महाकाली की पौराणिक और तांत्रिक विधि से साधना-उपासना का विधान है। दिवाली के दिन उद्योग-धंधों के साथ-साथ नवीन कार्य करने एवं पुराने व्यापार में खाता पूजन का विशेष विधान है।

दिवाली के मैसेजे यहां देखें

ज्योतिर्विद पं.दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली के अनुसार धर्म शास्त्रों में दीपावली के पूजन में प्रदोष काल अति महत्त्व पूर्ण होता है। इसके अतिरिक्त इस दिन चित्रा नक्षत्र सूर्योदय से दिन में 9 बजकर 02 मिनट तक व्याप्त रहेगा, तत्पश्चात स्वाती नक्षत्र लग जाएगा। साथ ही सूर्योदय से रात 10:41 तक प्रीति योग और पदम योगा व्याप्त रहेगा जो एक अति उत्तम संयोग है। 

ज्योतिर्विद् पं.दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली के अनुसार धर्मशास्त्रोक्त दीपावली 'प्रदोष काल एवं महानिशीथ काल व्यापिनी अमावस्या में है, जिसमें प्रदोष काल का महत्त्व गृहस्थों एवं व्यापारियों के लिए महत्त्वपूर्ण होता है और महानिशीथ काल का तान्त्रिकों के लिए उपयुक्त होता है। लेकिन इस साल अमावस्या व्यापिनी महानिशिथ काल का आभाव है। वैसे महानिशीथ काल की पूजा मध्यरात्रि 12:40 से 2:00 बजे के मध्य की जा सकती है।

क्या है प्रदोष काल:  दिन-रात के संयोग काल को ही प्रदोष काल कहते है, जहां दिन विष्णु स्वरुप है वहीँ रात माता लक्ष्मी स्वरुपा है, दोनों के संयोग काल को ही प्रदोष काल कहा जाता है। इस प्रकार प्रदोष काल में दीपावली पूजन का श्रेष्ठ विधान है और प्रदोष काल में ही दीप प्रज्वलित करना उत्तम फल दायक होता है।

प्रदोष काल शाम 05:19 से 07:53 बजे तक रहेगा। पूजन एवं खाता पूजन हेतु शुभ मुहूर्त्त प्रदोष काल व्यापिनी स्थिर लग्न वृष शाम को 06:29 बजे से लेकर 07:53 तक विद्यमान रहेगा। वैसे स्थिर लग्न वृष रात 08:11 बजे तक रहेगा।
 सरी स्थिर लग्न सिंह रात में 12:35 से 02:50 बजे तक रहेगा। लेकिन इस मुहूर्त्त में अमावस्या तिथि का अभाव रहेगा और प्रतिपदा तिथि लग जाएगी अतः पूजन हेतु पूर्ण उपयुक्त मुहूर्त्त नही है।

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VIDEO: पढ़ें दिवाली में लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त

मां लक्ष्मी की आरती का वीडियो: 

अमावस्या तिथि 30 अक्टूबर 2016 दिन रविवार को दोपहर में 01:36 बजे से 03:08 बजे तक एक अन्य स्थिर लग्न कुम्भ का मुहूर्त्त पूजन हेतु मिल रहा है, जिसमे खाता बही के पूजन किया जा सकता है।

ज्योतिर्विद् पं.दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली के अनुसार महानिशीथ काल में तान्त्रिक पूजन करने वालो के लिए इस दिन महानिशीथ काल लगभग रात 12:40 से 02:00 बजे तक व्याप्त रहेगा लेकिन अमावस्या व्यापिनी महानिशीथ काल का पूर्णतः अभाव है।

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VIDEO: पढ़ें दिवाली में लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त