पढ़ें मां लक्ष्मी की पहले पूजा किसने की और कैसे हुई उनकी उत्पत्ति
दीप, उत्सव और उल्लास का पर्व दीपावली। इस दिन मां लक्ष्मी से निवेदन किया जाता है कि वो पूरे साल घर में विराजें। जानिए कैसे हुई थी लक्ष्मी जी की उत्पत्ति लक्ष्मी जी की स्वर्ग में सर्वप्रथम पूजा कौन से
दीप, उत्सव और उल्लास का पर्व दीपावली। इस दिन मां लक्ष्मी से निवेदन किया जाता है कि वो पूरे साल घर में विराजें। जानिए कैसे हुई थी लक्ष्मी जी की उत्पत्ति लक्ष्मी जी की स्वर्ग में सर्वप्रथम पूजा कौन से भगवान ने की:
ऐसे हुई थी लक्ष्मी जी की उत्पत्ति
लक्ष्मी जी के विषय में शतपथ ब्राह्मण में एक रोचक कथा है, जिससे पता चलता है कि प्रजापति ब्रह्मा ने उनकी उत्पत्ति की। वह अति सुंदर और गुणवती होने के साथ-साथ बहुत बुद्धिमान भी थीं। जैसे-जैसे उनके गुणों और सुंदरता की चर्चा चारों तरफ फैलने लगी, वैसे- वैसे उनसे विवाह करने के लिए देवताओं में उत्सुकता जाग उठी। इससे देवताओं में एक-दूसरे के प्रति ईर्ष्या और द्वेष भाव पनपने लगा। जब सब आपस में ही लड़ने लगे, तब उन्होंने तय कि उनमें फूट डालने वाली लक्ष्मी को ही समाप्त कर दिया जाए। लक्ष्मी जी के कारण फैली आपसी फूट से देवताओं की शक्ति क्षीण हो रही है। अपनी एकता को बरकरार रखने के लिए देवताओं ने उनके वध को ही उचित माना। अपनी पुत्री लक्ष्मी की जान खतरे में देखकर प्रजापति ने देवताओं से प्रार्थना की।
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उन्होंने कहा कि आप सब मेरी पुत्री लक्ष्मी का वध ना करें। इसके बदले आप उसके गुणों को ले लें। तब देवताओं ने राज्य, सत्ता, सृष्टि, शक्ति, धन, वैभव और सौंदर्य समेत सभी गुणों को लक्ष्मी जी से ले लिया। लक्ष्मी जी को इससे बड़ा दुख हुआ। उनकी सभी शक्तियां उनसे ली जा चुकी थीं। उनका मन विचलित हो उठा और उन्होंने अपने सभी गुणों को पुन: पाने का निश्चय किया। तब प्रजापति ने उन्हें देवताओं को प्रसन्न करने के लिए तप का दुर्गम मार्ग बताया। लक्ष्मी जी को तप करना ठीक लगा। बरसों तपस्या करने के बाद उन्होंने स्वयं से नाराज देवताओं को प्रसन्न करने में कामयाबी हासिल की और वरदान स्वरूप उनसे अपनी सभी शक्तियां, सभी गुण वापस ले लिए। लक्ष्मी जी ने जिस तरह से अपने गुणों की प्राप्ति की, उसी तरह से हर मनुष्य को खासकर महिलाओं को कठोर परिश्रम और भगवान की पूजा से लक्ष्मी जी को प्राप्त करना चाहिए। लक्ष्मी जी सत्य, दान, व्रत, तप और धर्म में निवास करती हैं।
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पढ़ें मां लक्ष्मी की पहले पूजा किसने की और कैसे हुई उनकी उत्पत्ति
मार्कण्डेय पुराण में इस बात का उल्लेख है कि लक्ष्मी जी की स्वर्ग में सर्वप्रथम पूजा नारायण ने की, तो दूसरी बार ब्रह्मा ने की। इसके बाद शिव जी ने उनकी पूजा की। समुद्र मंथन के समय विष्णु जी, मनु, नागों और फिर मनुष्यों ने लक्ष्मी जी की पूजा शुरू की। यूं तो उल्लू को इनका वाहन माना जाता है, पर महालक्ष्मी स्तोत्र में इनका वाहन गरुड़ को बताया गया है। कुछ ग्रंथों में इनका वाहन हाथी को भी स्वीकारा गया है। ब्रह्मवैवर्त पुराण में आदि शक्ति के दो प्रमुख रूपों के विषय में बताते हुए कहा गया है कि यह दोनों रूप, रंग, तेज, गुण और आयु में समान ही हैं। इनके बाएं भाग में लक्ष्मी जी हैं तो दाएं भाग में श्री राधा जी-
एकैव सा द्विधाभूता वर्णरूपवयास्त्विशा। समा वामाषंतो लक्ष्मीर्दक्षिणांषाच्च राधिका॥
श्री राधा भगवान कृष्ण के साथ दो भुजाधारी रूप में विराजमान हैं तो श्री लक्ष्मी चतुभुर्ज रूप में भगवान श्री विष्णु के साथ सबकी इच्छाएं पूरी करती हैं।
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