चाणक्य नीति: किस प्रकार का इंसान रहता है दुखी
आचार्य चाणक्य ने कई ऐसे विचार दिए हैं जो जिन्हें अपनाकर जीवन में कई तरह की पेरशानियों का सामना किया जा सकता है। चाणक्य नीति 13/6 श्लोक में बताया गया है कि किस प्रकार के व्यक्ति सुखी रहते हैं और
आचार्य चाणक्य ने कई ऐसे विचार दिए हैं जो जिन्हें अपनाकर जीवन में कई तरह की पेरशानियों का सामना किया जा सकता है। चाणक्य नीति 13/6 श्लोक में बताया गया है कि किस प्रकार के व्यक्ति सुखी रहते हैं और किस प्रकार के व्यक्ति दुखी रहते हैं। आचार्य चाणक्य ने अपने इस श्लोक के माध्यम से बताया है कि दो प्रकार के लोग सुखी रहते हैं और कुछ लोग दुखी रहते हैं। आचार्य चाणक्य की ये बातें आज के जीवन में भी बहुत सटीक बैठती हैं और हमें सही रास्ते का ज्ञान कराती हैं। आज हम आपको बता रहे हैं इनके श्लोक से जुड़ी बाते:
अनागतविधाता च प्रत्युत्पन्न मतिस्तथा।
द्वावेतौ सुखमेधेते यद्भविष्यो विनश्यति।।
चाणक्य नीति: किस प्रकार का इंसान रहता है दुखी
इस श्लोक में बताया गया है कि जो इंसान मुसीबत का समय आने पर अपने बचने के रास्ते खोज लेता है और ठीक समय पर खुद को और अपने परिवार को मुसीबत से बचा निकालता है वो इंसान हमेशा सुखी रहता है। चाणक्य की यह बात आज भी सटीक बैठती है।
इसके अलावा उन्होंने कहा है कि जो लोग ठीक समय पर अपनी आत्मरक्षा के उपाय कर लेते हैं और वो भी सुखी रहते हैं। यानी किसी भी विपत्ति के समय अगर व्यक्ति खुद को सुरक्षित कर लेता है वो ही आगे जाकर सुखी रह सकता है।
चाणक्य ने कहा है कि इन दो प्रकार के लोग सुखी रहते हैं लेकिन जो लोग भाग्य के भरोसे रहते हैं और मुसीबत के समय पर ऐसा सोचते हैं कि जो भाग्य में लिखा होगा वही होगा ऐसे व्यक्ति हमेशा दुखी रहता है।
चाणक्य नीति: किस प्रकार का इंसान रहता है दुखी