फोटो गैलरी

Hindi Newsशिव के गण चंडीश ने बसाया था इस नगर को, यहां है बागनाथ मंदिर

शिव के गण चंडीश ने बसाया था इस नगर को, यहां है बागनाथ मंदिर

शैलराज हिमालय की गोद में गोमती सरयू नदी के संगम पर स्थित बागेश्वर का बागनाथ मंदिर धर्म के साथ पुरातात्विक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। नगर को मार्केंडेय ऋषि की तपोभूमि के नाम से जाना जाता है। भगव

लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 23 Feb 2017 11:45 PM


 बागनाथ की कथा:

शिव पुराण के मानस खंड के अनुसार इस नगर को शिव के गण चंडीश ने शिवजी की इच्छा के अनुसार बसाया था। चंडीश द्वारा बसाए गया नगर शिव को भा गया और उन्होंने नगर को उत्तर की काशी का नाम दिया। पहले मंदिर बहुत छोटा था। बाद में चंद वंशीय राजा लक्ष्मी चंद्र ने 1602 में मंदिर को भव्य रूप दिया। पुराण के अनुसार अनादिकाल में मुनि वशिष्ठ अपने कठोर तपबल से ब्रह्मा के कमंडल से निकली मां सरयू को ला रहे थे। यहां ब्रह्मकपाली के समीप ऋषि मार्कण्डेय तपस्या में लीन थे।

वशिष्ट जी को उनकी तपस्या को भंग होने का खतरा सताने लगा। देखते देखते वहां जल भराव होने लगा। सरयू आगे नहीं बढ़ सकी। उन्होंने शिवजी की आराधना की। शिवजी ने बाघ का रूप रख कर पार्वती को गाय बना दिया और ब्रह्मकपाली के समीप गाय पर झपटने का प्रयास किया। गाय के रंभाने से मार्कण्डेय मुनि की आंखें खुल गई। व्याघ्र को गाय को मुक्त करने के लिए जैसे ही दौड़े तो व्याघ्र ने शिव और गाय ने पार्वती का रूप धरकर मार्कण्डेय को दर्शन देकर इच्छित वर दिया और मुनि वशिष्ठ को आशीर्वाद दिया।

इसके बाद सरयू आगे बढ़ सकी। बागनाथ मंदिर में मुख्य रूप से बेलपत्री से पूजा होती है। कुमकुम, चंदन, बछड़े और बताशे चढ़ाने की भी परंपरा है। खीर और खिचड़ी का भोग लगाया जाता है। बागनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी रावल जाति के लोग होते हैं, जबकि अनुष्ठान कराने वाले पुरोहित चौरासी के पांडे होते थे, बाद में उन्होंने यह काम छोड़ दिया और अपने रिश्तेदार चौरासी के जोशी लोगों को यह काम सौंप दिया।

बागनाथ मंदिर:
बागनाथ मंदिर 29.8370 डिग्री उत्तर और 79.7725 पूर्व में स्थित है। यह सरयू और गोमती नदियों के संगम पर स्थित है। समुद्र तल से ऊंचाई 1004 मीटर है।  

कैसे पहुंचे:

बागनाथ मंदिर पहुंचने के लिए दिल्ली से 502 किमी और देहरादून से 470 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है। दिल्ली से बस और ट्रेन से यहां पहुंचा जा सकता है। आनंद विहार बस स्टेशन से बस और पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन से ट्रेन में हल्द्वानी पहुंचा जा सकता है। जहां से बस या टैक्सी से अल्मोड़ा होते बागेश्वर पहुंचा जा सकता है। देहरादून से गढ़वाल और हल्द्वानी के रास्ते रोडवेज की बस और टैक्सी के जरिए मंदिर के दर्शन किए जा सकते हैं।

महाशिवरात्रि से जुडी खबरों के लिए यहां क्लिक करें

शिव के गण चंडीश ने बसाया था इस नगर को, यहां है बागनाथ मंदिर2 / 2

शिव के गण चंडीश ने बसाया था इस नगर को, यहां है बागनाथ मंदिर