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Hindi Newsवीडियो : यहां होते हैं भगवान शिव के पांच विग्रहों के दर्शन

वीडियो : यहां होते हैं भगवान शिव के पांच विग्रहों के दर्शन

देवभूमि उत्तराखंड में पंच बदरी, पंच केदार और पंच प्रयाग हैं। पंच केदार भगवान शिव के पवित्र स्थान हैं, जहां भगवान शंकर के पांच विग्रहों की पूजा होती है। पंच केदार का वर्णन स्कंद पुराण के केदारखंड

लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 23 Feb 2017 12:50 PM

देवभूमि उत्तराखंड में पंच बदरी, पंच केदार और पंच प्रयाग हैं। पंच केदार भगवान शिव के पवित्र स्थान हैं, जहां भगवान शंकर के पांच विग्रहों की पूजा होती है। पंच केदार का वर्णन स्कंद पुराण के केदारखंड में स्पष्ट रूप से वर्णित है। पंच केदार में प्रथम केदार भगवान केदारनाथ हैं। द्वितीय केदार मद्महेश्वर हैं। तृतीय केदार तुंगनाथ, चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ और पंचम केदार कल्पेश्वर है। महाशिवरात्रि पर जानिए पंच केदार का महत्व।

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पंच केदार की कथा

महाभारत में विजयी होने पर पांडव भ्रातृहत्या के पाप से मुक्ति पाना चाहते थे। पांडव भगवान शिव को खोजते हुए हिमालय पहुंचे। भगवान शंकर पांडवों को दर्शन नहीं देना चाहते थे, इसलिए वे अंतरध्यान होकर केदार में जा बसे। पांडव भी केदार पहुंच गए। भगवान शंकर ने बैल का रूप धारण कर लिया।

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पांडवों को संदेह हुआ तो भीम ने विशाल रूप धारण कर लिया। भीम ने दो पहाड़ों पर पैर फैला दिए। अन्य सब पशु तो निकल गए पर भगवान शंकर रूपी बैल नहीं गया। भीम झपटे तो बैल भूमि में अंतरध्यान होने लगा। भीम ने बैल की त्रिकोणात्मक पीठ का भाग पकड़ लिया।

भगवान शंकर पांडवों की भक्ति और दृढ़ संकल्प से प्रसन्न हो गए। उन्होंने दर्शन देकर पांडवों को पाप मुक्त कर दिया। उसी समय से भगवान शंकर बैल की पीठ की आकृति-पिंड के रूप में श्री केदारनाथ में पूजे जाते हैं। माना जाता है कि शिव की भुजाएं तुंगनाथ में, मुख रुद्रनाथ में, नाभि मद्महेश्वर में और जटा कल्पेश्वर में प्रकट हुईं। इसलिए इन स्थानों को पंचकेदार कहा जाता है। केदारनाथ, मद्महेश्वर और तुंगनाथ धाम रुद्रप्रयाग जिले में हैं। जबकि रुद्रनाथ और कल्पेश्वर धाम उत्तराखंड के चमोली जिले में हैं।

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