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एशियाई खेल : मैरी कॉम ने लगाया 'गोल्डन पंच'

ओलंपिक कांस्य पदक विजेता महिला मुक्केबाज एम सी मैरी कॉम ने अपने जोरदार पंचों की धमक दिखाते हुये इंचियोन एशियाई खेलों में 48 से 51 किग्रा फ्लाईवेट स्पर्धा में कजाखिस्तान की झैना शैकेरबेकोवा को 2-0 से...

एशियाई खेल : मैरी कॉम ने लगाया 'गोल्डन पंच'
एजेंसीWed, 01 Oct 2014 06:10 PM
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ओलंपिक कांस्य पदक विजेता महिला मुक्केबाज एम सी मैरी कॉम ने अपने जोरदार पंचों की धमक दिखाते हुये इंचियोन एशियाई खेलों में 48 से 51 किग्रा फ्लाईवेट स्पर्धा में कजाखिस्तान की झैना शैकेरबेकोवा को 2-0 से पीटकर स्वर्ण पदक जीत लिया। 
      
भारत का इंचियोन एशियाड में मुक्केबाजी में यह पहला स्वर्ण और ओवरऑल यह सातवां स्वर्ण है। मैरी कॉम और कजाक मुक्केबाज के बीच जबरदस्त मुकाबले में दो जजों ने भारतीय मुक्केबाज के पक्ष में फैसला दिया जबकि एक जज ने दोनों का स्कोर बराबर रखा। 
         
मैरी कॉम ने यह मुकाबला 39-37, 38-38, 39-37 से जीता। रेफरी ने जैसे ही मैरी कॉम को विजेता घोषित किया पूरा भारतीय खेमा खुशी से उछल पड़ा। एल सरिता देवी और एल देवेंद्रो सिंह के मंगलवार विवादास्पद मुकाबलों में हारने से भारतीय खेमे में जो मायूसी छायी हुई थी उसे मैरी कॉम की सुनहरी चमक ने दूर कर दिया।
      
लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने के बाद 31 वर्षीय मैरी कॉम लंबे समय तक रिंग से दूर रही थी और आलोचक भी कह रहे थे कि मैरी कॉम का समय समाप्त हो गया है। लेकिन मणिपुर की इस पांच बार की विश्व चैंपियन मुक्केबाज ने एशियाई खेलों में उतरने से पहले ही कह दिया था कि वह अपने आलोचकों को गलत साबित करने जा रही हैं। उन्होंने ट्रायल जीते, एशियाड के लिये क्वालिफाई किया और अब स्वर्ण जीतकर साबित कर दिया कि वह निर्विवाद रूप से देश की सर्वश्रेष्ठ महिला मुक्केबाज हैं।    
      
सियोनहाक जिम्नेजियम में बैठे मैरी कॉम के समर्थकों ने मैरी, मैरी के नारों और तिरंगे के साथ भारतीय मुक्केबाज की हौंसला अफजाई की और मैच के दौरान यह जबरदस्त समर्थन मैरी कॉम के लिये ऊर्जा का काम करता रहा। हालांकि पहले राउंड में मैरी को विपक्षी मुक्केबाज से काफी जबरदस्त पंचों का सामना करना पड़ा। 
       
पहले राउंड के बाद दूसरे राउंड में भी भारतीय मुक्केबाज काफी मजबूत दिखाई दे रही थी लेकिन झैना ने उन पर काफी पंचों की बरसात की और मैरी उसके जवाब में कुछ कमजोर ही दिखाई दी। हालांकि उन्होंने वापसी करते हुये झैना को सिर पर और चेहरे पर कुछ जबरदस्त पंच लगाकर दबाव बनाया। 
         
अभी तक रिंग में भारतीय और कजाक मुक्केबाज मुकाबले में बराबर ही मजबूत लग रही थी कि मैरी ने झैना पर एक के बाद एक मुक्के बरसाते हुये अंक बटोरे। चौथे और निर्णायक राउंड में भी मैरी ने फिर बेहतरीन प्रदर्शन किया और आक्रामकता के साथ प्रदर्शन कर मुकाबला अपने नाम कर लिया।
         
मुकाबले के पहले राउंड में तीनों जजों ने 10-9 के समान अंतर से कजाक मुक्केबाज के हक में फैसला लिया। दूसरे राउंड में दो जजों ने 10.9 से मैरी कॉम को आगे रखा जबकि एक जज ने 10-9 से झैना को आगे किया।
        
तीसरा और चौथा राउंड पूरी तरह मैरी कॉम के नाम रहा। इन दोनों राउंड में तीनों जजों ने 10-9 के समान अंतर से मैरी कॉम के लिये अपना निर्णय लिया। मुकाबला समाप्त होने के बाद मैरी कॉम के भाव दिखा रहे थे कि उन्हें स्वर्ण पदक जीतने का भरोसा हो गया है। लेकिन कल जिस तरह सरिता और देवेंद्रो के मुकाबलों में फैसले दिये गये थे उसे देखने के बाद जब तक अंतिम निर्णय नहीं आता असमंजस बना हुआ था। 
      
लेकिन रेफरी ने जब विजेता के रूप में मैरी कॉम का हाथ उठाया तो पूरे स्टेडियम में भारतीय समर्थक खुशी से झूम उठे। मैरी कॉम ने वो काम कर दिखाया जिसका सपना उन्होंने संजोया था। मुकाबले के बाद पदक वितरण समारोह में मैरी कॉम अपने कंधों पर तिरंगा लपेटे पहुंची और अपने पदक को बार-बार चूम कर खुशी का इजहार किया। आखिर यह मैरी कॉम का एशियाई खेलों में पहला स्वर्ण पदक था। 
      
'मैग्निफिशेंट मैरी कॉम' और 'सुपर मॉम' के नाम से मशहूर तीन बच्चों की मां मैरी कॉम ने इससे पहले 2010 के ग्वांगझू एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीता था। वह एशियाई चैंपियनशिप में चार बार की स्वर्ण विजेता और एक बार की रजत विजेता रह चुकी हैं। उन्होंने छह विश्व चैंपियनशिप में पांच स्वर्ण और एक रजत जीता है।
       
इंडोर एशियाई खेलों में मैरी कॉम के नाम स्वर्ण पदक दर्ज है। वह एशिया कप में भी स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं। मैरी कॉम ग्वांगझू एशियाई खेलों के लिये क्वालिफाई नहीं कर पाई थी। उन्होंने तब ट्रायल को लेकर सवाल उठाये थे। मैरीकॉम ने एशियाई खेलों का ट्रायल जीतकर इंचियोन का टिकट पाया और पूरे टूर्नामेंट में उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया। 
       
मैरीकॉम ने राउंड-16 में कोरिया की किम येजी को 3-0 से क्वार्टरफाइनल में चीन की सी हेईजुआन को 3-0 से सेमीफाइनल में वियतनाम की ली थी बेंग को 3-0 से और अब फाइनल में कजाखिस्तान की झैना शैकेरबेकोवा को 2-0 से हराकर स्वर्ण पदक भारत की झोली में डाल दिया।

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