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खूब लहराया भारत का परचम

वर्ष 2009 में कई क्षेत्रों में भारत को सम्मान हासिल हुआ। भारत के कुछ अभियानों और भारतीयों की व्यक्तिगत उपलब्धियों को दुनिया के कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। अतुल्य भारत दुनिया भर...

खूब लहराया भारत का परचम
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 27 Dec 2009 03:05 PM
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वर्ष 2009 में कई क्षेत्रों में भारत को सम्मान हासिल हुआ। भारत के कुछ अभियानों और भारतीयों की व्यक्तिगत उपलब्धियों को दुनिया के कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।

अतुल्य भारत
दुनिया भर के पर्यटकों के समक्ष भारत को एक उत्कृष्ट पर्यटक स्थल के रूप में पेश करने वाले अतुल्य भारत विज्ञापन प्रचार अभियान को ब्रिटेन के सर्वाधिक रचनात्मक मीडिया अभियान के रूप में सम्मानित किया गया। इस अभियान में देश की मूल परंपराओं को आधार बनाया गया है। इस अभियान के लिए ब्रिटेन और आयरलैंड में भारतीय पर्यटन कार्यालय के निदेशक जगदीश चंद्र को ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर की पत्नी चेरी ब्लेयर ने 15 सितंबर को जीजी-2 कैम्पेन ऑफ दी ईयर पुरस्कार प्रदान किया।

वर्ष 2002 में शुरू अतुल्य भारत प्रचार अभियान का मकसद पर्यटकों को भारत की ओर आकर्षित करना था। पुरस्कार के प्रशस्ति पत्र में कहा गया कि शुरू से ही इस मनभावन विज्ञापन ने देश में पर्यटकों की संख्या बढ़ाने में मदद की और कई पुरस्कार जीते। पर्यटन मंत्रालय ने ख्यातिप्राप्त प्रशांत एशिया पर्यटन एसोसिएशन (पाटा) के इस साल के दो स्वर्ण पुरस्कारों को अपने नाम कर लिया। पर्यटन मंत्रालय को ट्रेवल एडवरटिजमेंट ब्रॉडकास्ट मीडिया एवं ट्रैवल पोस्टर श्रेणी में विजेता घोषित किया गया। पाटा का उद्देश्य एशिया प्रशांत क्षेत्र में पर्यटन के सतत विकास को बढ़ावा देना है।

अरविंद अडिगा
बुकर पुरस्कार विजेता अरविंद अडिगा के विजेता उपन्यास द व्हाइट टाइगर के प्रचार अभियान को 2009 का एशियन मल्टीमीडिया पब्लिशिंग पुरस्कार मिला। पुस्तक के प्रचार अभियान को किसी प्रकाशक द्वारा सबसे प्रभावी तरीके से प्रचार करने के लिए इस पुरस्कार के लिए चुना गया। लगभग एक साल चले इस अभियान के दौरान प्रकाशकों ने एसएमएस, मीडिया अभियान और इंटरनेट पर विज्ञापनों का उपयोग किया। अभियान उपन्यास के प्रकाशित होने से पूर्व से लेकर इसे बुकर पुरस्कार मिलने और उसके बाद भी जारी रहा।

नलिन मेहता
पत्रकार नलिन मेहता की किताब इंडिया ऑन टेलीविजन को एशियन मीडिया पर सर्वश्रेष्ठ किताब और सर्वश्रेष्ठ लेखक का पुरस्कार मिला।

दिल्ली की छात्राओं ने बढ़ाया गौरव
संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) के सांस्कृतिक संकाय एवं रूसी इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ नेचर क्रिएटिविटी (आईएएनसी) ने विश्व धरोहरों एवं रचनात्मक कला पर आधारित चित्रों का एल्बम जारी किया, जिसमें राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की चार छात्राओं के बनाए चित्रों को शामिल किया गया। ये छात्राएं फरीदाबाद की अपूर्वा, निकिता दहिया एवं रीमा घोष तथा नेताजी नगर की सौम्या शिवानंदन हैं।

नासा में भारतीय छात्र
गुजरात के सरदार वल्लभ भाई पटेल संस्थान में स्नातक के दो छात्रों को नासा की सुपरसोनिक विमान डिजाइन प्रतियोगिता में गैर-अमेरिकी श्रेणी में रनर अप घोषित किया गया। सहज पंचाल और ध्रुमिर पटेल ने सुपरसोनिक एयरलाइनर का रैस्टोफुस्ट नाम का डिजाइन तैयार किया था।

फ्लोर फेलोशिप में दो भारतीय
कला एवं संस्कृति के क्षेत्र में ब्रिटेन की क्लोर फेलोशिप के लिए चुने गए 19 लोगों में दो भारतीय कला प्रबंधन सलाहकार पूजा सूद और मुंबई के रंगमंच अभिनेता अतुल कुमार मित्तल भी हैं। पूजा खोज इंटरनेशनल आर्टिस्ट एसोसिएशन की निर्देशक हैं। मित्तल द कंपनी थियेटर के रंगमंच निर्देशक और मंचीय कला के अंतरराष्ट्रीय समूह वर्कस्पेस के निर्देशक हैं।

भारतीय अमेरिकी को एमटीवीयू छात्रवृत्ति
मुंबई में वंचित वर्ग के युवाओं पर बॉलीवुड के संगीत के असर को टटोलता एक वृत्तचित्र तैयार करने के लिए एक भारतीय अमेरिकी युवती टीना वाधवा को प्रतिष्ठित फुलब्राइट एमटीवीयू छात्रवृत्ति प्रदान की गई।

टैगोर की श्रेणी में पडगांवकर
मराठी के मशहूर कवि मंगेश पडगांवकर ने इस साल मार्च में अपनी तीन किताबें ब्रिटेन के स्ट्राटफोर्ड शहर में स्थित शेक्सपीयर मेमोरियल को दी है, जिन्हें मेमोरियल के जनसंग्रह वाले हिस्से में रखा गया है। नोबेल पुरस्कार से सम्मानित रवीन्द्रनाथ टैगोर के बाद पडगांवकर दूसरे भारतीय कवि हैं जिनकी किताबें इस मेमोरियल में रखी गई हैं।

मैकआर्थर फेलोशिप पाने वाले भारतीय
प्रतिष्ठित मैकआर्थर फेलोशिप 2009 पाने वाले 24 लोगों में गणितज्ञ एल महादेवन और मनीष अग्रवाल भी शामिल हैं। हावर्ड में एप्लाइड स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एवं एप्लाइड साइंसेज के 44 वर्षीय प्रोफेसर महादेवन को अगले पांच वर्षों तक द जॉन डी एवं कैथरिन टी मैकआर्थर फाउंडेशन की ओर से पांच लाख डॉलर मिलेंगे।
 फेलोशिप पाने वाले दूसरे भारतीय मनीष अग्रवाल (37) हैं, जो बर्कले स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में कंप्यूटर वैज्ञानिक हैं। उन्हें विजुअल इंटरफेसेज की डिजाइनिंग के लिए फेलोशिप मिला है, जिससे लोगों की बड़ी संख्या में जटिल सूचनाओं को समझने की क्षमता बढ़ेगी।

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