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तिरंगे की चमक

भारतीय नागरिकों को अब रात में भी राष्ट्रध्वज फहराने की इजाजत मिलना व्यावहारिक रूप से कितना ही अमहत्वपूर्ण लगे लेकिन उसका बहुत बड़ा प्रतीकात्मक महत्व है। व्यावहारिक रूप से अमहत्वपूर्ण इसलिए कि रात में...

तिरंगे की चमक
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 24 Dec 2009 10:33 PM
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भारतीय नागरिकों को अब रात में भी राष्ट्रध्वज फहराने की इजाजत मिलना व्यावहारिक रूप से कितना ही अमहत्वपूर्ण लगे लेकिन उसका बहुत बड़ा प्रतीकात्मक महत्व है। व्यावहारिक रूप से अमहत्वपूर्ण इसलिए कि रात में फहराने की जो शर्ते हैं, उन्हें पूरा करना सभी के लिए संभव नहीं है। इसके लिए कम से कम 100 फीट ऊंचा ध्वजदंड होना जरूरी है और यह भी अनिवार्य है कि जहां झंडा हो उस जगह पर पर्याप्त रोशनी हो, लेकिन इसका प्रतीकात्मक अर्थ इसलिए बड़ा है क्योंकि यह सिद्ध करता है कि हम अपनी राष्ट्रीयता के साथ सहज और आत्मविश्वासी होते जा रहे हैं।

जब राष्ट्रध्वज को लेकर सख्त नियम बने थे वह वक्त भी अलग था और उसकी मान्यताएं भी अलग थीं। दूसरे, हम नए-नए आजाद हुए थे और स्वतंत्र राष्ट्र की तरह अपनी पहचान को लेकर कुछ ज्यादा सजग और सशंकित भी थे। लेकिन इक्कीसवीं शताब्दी आते-आते दुनिया में राष्ट्रीयता की अवधारणा भी ज्यादा अनौपचारिक हो गई और हमारे यहां भी राष्ट्र को शासन के साथ ही जोड़ कर देखने की आदत भी कुछ कम हो गई। ऐसे में ही उद्योगपति नवीन जिंदल ने आम भारतीयों के लिए राष्ट्रध्वज फहराने की इजाजत के लिए मुहिम चलाई और उसमें सफल भी हुए। रात में राष्ट्रध्वज फहराने की इजाजत के लिए भी मुहिम उन्होंने ही चलाई है।

राष्ट्रध्वज के बारे में आम नियम तो यही है कि उसे सूर्योदय से सूर्यास्त तक ही फहराया जाए और सूर्यास्त होने पर ससम्मान उतार लिया जाए। इसके पीछे व्यावहारिक कारण यही है कि रात में ध्वज की सुरक्षा और सम्मान को लेकर बहुत आश्वस्त नहीं रहा जा सकता और अंधेरे में उसे फहराने से उसका असम्मान होता है। अगर रात में पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था की जाए और ध्वज में सम्मान के प्रति आश्वस्त हुआ जा सके तो उसे फहराने में कोई हर्ज नहीं है। संभव है कि राष्ट्रीय प्रतीकों के लिए बने सख्त नियम वक्त के साथ और सरल हो जाएं। आखिरकार राष्ट्र तो नागरिकों से बनता है और राष्ट्रीय प्रतीकों पर उनका हक है। उन प्रतीकों का सम्मान करना एक ऐसी जिम्मेदारी है जिसे नागरिकों को ही सौंपी जानी चाहिए। लेकिन यह भी समझना होगा कि जैसे-जैसे नियम ढीले होंगे, नागरिकों की जिम्मेदारी बढ़ती जाएगी। अंधेरे में तिरंगे की चमक कम न हो, इसका ख्याल तो हमें ही रखना होगा।

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