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कहां फेल हुई भाजपा की रणनीति

विधानसभा चुनाव में भाजपा औंधे मुंह गिरी। पूर्ण बहुमत हासिल करने का दावा खोखला साबित हुआ। भाजपा की रणनीति बुरी तरह फेल हुई। राज्य की जनता ने साफ कर दिया कि भाजपा को किसी को भ्रष्ट कहने का अधिकार नहीं...

कहां फेल हुई भाजपा की रणनीति
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 23 Dec 2009 07:18 PM
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विधानसभा चुनाव में भाजपा औंधे मुंह गिरी। पूर्ण बहुमत हासिल करने का दावा खोखला साबित हुआ। भाजपा की रणनीति बुरी तरह फेल हुई। राज्य की जनता ने साफ कर दिया कि भाजपा को किसी को भ्रष्ट कहने का अधिकार नहीं है।

हर तरह का खेल खेलनेवाली भाजपा भी विश्वसनीय नहीं है। शीर्ष स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक इसके नेताओं के बीच का विवाद भी कहीं न कहीं चुनाव को प्रभावित किया। एक रुपए किलो चावल या गेंहू देने की घोषणा भी जनता को प्रभावित नहीं कर सकी।

जनता इसे भुलने का काम नहीं की कि राज्य गठन के बाद लगभग छह वर्षो तक राज्य में एनडीए का ही शासन रहा था। नवगठित राज्य में विकास या भ्रष्टाचार की नींव रखने का काम भाजपा ने ही की थी। एनोस एक्का और हरिनारायण राय को गाली देनेवाली भाजपा, सबसे पहले इन्हें भगा कर जयपुर ले गयी थी।

कमलेश सिंह को मंत्री बनाने के लिए जमशेदपुर में रोका गया था। उन्हें अजरुन मुंडा मंत्रिमंडल में सम्मान के साथ मंत्री बनाया गया था। विधानसभा में भ्रष्टाचार हो या जेपीएससी में गड़बड़ी, यहां की सबसे ऊंची कुर्सियों पर भाजपा ने ही अंपायरों को बैठाया था।

भाजपा के राष्ट्रीय स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक के शीर्ष नेताओं के बीच का विवाद भी महत्वपूर्ण कारक बना। चुनाव से पूर्व और चुनाव के दौरान लालकृष्ण आडवाणी और राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह को हटाये जाने की चर्चा का जबरदस्त असर पड़ा। प्रदेश स्तर पर भी रघुवर दास, अजरुन मुंडा और यशवंत सिन्हा सरीखे नेताओं के बीच बेहतर मतैक्य नहीं रहने का खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ा।

चुनाव के समय दिल्ली से आकर रांची बैठनेवाले पार्टी के शीर्ष नेता भी इन पर लगाम नहीं रख सके। गुटों में बंटी रही भाजपा को जनता ने भी बांट दिया। एक रुपए किलो गेंहू चावल और गेंहू देने की घोषणा भी झारखंड की गरीब जनता को प्रभावित नहीं कर सकी। भाजपा की घोषणा पर जनता को विश्वास नहीं हुआ।

छात्रओं के लिए मुफ्त साइकिल और बच्चाियों के जन्म के समय ही शादी के लिए आवश्यक राशि जमा करने की घोषणा का भी असर नहीं हुआ। वैसे पार्टी के जानकारों का कहना है कि कुछ सीटें तो गलत टिकट बंटवारे से भी प्रभावित हुई। चतरा और सिमरिया की सीटें भी उसमें शामिल रहीं। सत्यानंद भोक्ता को चतरा की जगह सिमरिया भेजना गलत साबित हुआ। चाईबासा में

 

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