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पेप्टिक अल्सर

मानसिक तनाव से गुजर रहे लोगों में पेप्टिक अल्सर होना आम बात है, लेकिन योग की मदद से इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार आज के दौड़भाग वाले जीवन में मानसिक तनाव, बैचेनी तथा अवसाद आदि...

पेप्टिक अल्सर
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 16 Dec 2009 11:01 PM
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मानसिक तनाव से गुजर रहे लोगों में पेप्टिक अल्सर होना आम बात है, लेकिन योग की मदद से इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार आज के दौड़भाग वाले जीवन में मानसिक तनाव, बैचेनी तथा अवसाद आदि बीमारियां बहुत घर कर लेती हैं। ऐसी स्थिति में एडीनो कोर्टिको ट्रोफिक नामक रसायन का स्त्रव बढ़ जाता है। यह अन्य हार्मोन कोर्टिको स्टीरॉयड को उत्तेजित करता है। कुछ अन्य क्रियाओं के बाद यह हार्मोन आमाशय में पाचक रस व अम्ल की मात्र बढ़ा देता है। इससे पेप्टिक अल्सर का जन्म होता है।

नियमित योग से मानसिक तनाव कम होता है और दिमाग एवं मन की इंद्रियों में शिथिलता आती है जिससे मरीज में बेचैनी और अवसाद की शिकायतें कम होती हैं। इसका असर यह पड़ता है कि एडीनो का स्त्राव कम होने लगता है और स्टीरायड भी कम हो जाता है जिससे पाचक रस एवं अम्ल की मात्र कम हो जाती है और पेप्टिक अल्सर में लाभ मिलता है।

रोगी को ध्यान की विधियों में श्वास प्रश्वास पर ध्यान देना चाहिए। इसके अलावा उसे पुष्प या ज्योति पर ध्यान लगाना चाहिए। इसके अतिरिक्त प्राणायाम में दांतों को आपस में जोड़ कर मुंह से श्वास भरना फिर नासिका से छोड़ने पर भी शीतलता प्राप्त होती है।

रोगी को ध्यान और योग करने के अलावा अपने आहार में भी सुधार करना चाहिए। रोगी को प्रत्येक घंटे ठंडे दूध का सेवन करना चाहिए। ठंडा दूध अम्ल के असर को कम करने में सहायक है। रोग में सुधार के लक्षणों के बाद अनार, आंवले, कच्चे नारियल का पानी लिया जा सकता है। रोगी को गेंहू और जौ से बनी रोटी, मसूर की पतली दाल तथा मुनक्का लेना चाहिए। पत्ता गोभी का ताजा रस एक गिलास दिन में तीन-चार बार लेने पर भी पेप्टिक एल्सर से पेट में हुए घाव में आराम मिलता है। रोगियों को अधिक देर तक खाली पेट नहीं रहना चाहिए और ठोस आहार से बचना चाहिए। हर घंटे बाद तरल आहार के सेवन को प्राथमिकता दें।

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