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Hindi Newsजागरूकता के नाम पर महज खानापूर्ति, केंद्रीय स्वास्थ्य योजना में फर्जीवाड़ा

जागरूकता के नाम पर महज खानापूर्ति, केंद्रीय स्वास्थ्य योजना में फर्जीवाड़ा

एड्स, टीबी व मलेरिया के प्रति समाज में जागरूकता फैलाने के लिए केंद्र द्वारा चलाई जा रही गलोबल फंड योजना में सबकुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा है। योजना से जुड़े डाक्टर अवेयरनेस के नाम पर महज खानापूर्ति में...

जागरूकता के नाम पर महज खानापूर्ति, केंद्रीय स्वास्थ्य योजना में फर्जीवाड़ा
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 03 Dec 2009 11:59 PM
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एड्स, टीबी व मलेरिया के प्रति समाज में जागरूकता फैलाने के लिए केंद्र द्वारा चलाई जा रही गलोबल फंड योजना में सबकुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा है। योजना से जुड़े डाक्टर अवेयरनेस के नाम पर महज खानापूर्ति में जुटे हैं। वीरवार को रोहतक आईएमए  हाउस में ऐसा ही हुआ।

जानलेवा रोगों के प्रति आम लोगों को समझाने बुझाने का कार्य नहीं किया जाता बल्कि डाक्टर लोग खुद आपस में बैठक करते हैं, खाते-पीते हैं और अपने-अपने घरों को चले जाते हैं। कुछ इस तरह कागजों में एक सेमिनार पूरा कर लिया जाता है। वीरवार को सोनीपत रोड स्थित आईएमए हाउस में कुछ ऐसा ही हुआ। आईएमए की ओर से एक आयोजन किया गया जिसकी देखरेख गलोबल फंड प्रोजेक्ट के स्टेट कोऑर्डिनेटर डा. एसएल वर्मा ने की।

विषय रखा गया आरएनटीसीपी यानी संशोधित राष्ट्रीय क्षयरोग कार्यक्रम। कथित सेमिनार में पीजीआई से टीबी रोग विभाग के अध्यक्ष डा. केबी गुप्ता, जिला स्वास्थ्य विभाग से टीबी अधिकारी डा. आरके वधवा, वरिष्ठ कंस्लटैंट डा. पंकज गुप्ता व अन्य को बुलाया गया।

सभी को विषय पर बोलेने के लिए आग्रह किया गया था। भवन के हाल में गिनती के डाक्टरों को देखकर डा. गुप्ता तो बीच में ही बैठक छोड़कर चलते बने। कार्यक्रम की शुरुआत में दो दर्जन डाक्टर भी नहीं थे। अंत तक इनकी संख्या आधा दर्जन रह गई। विषय सुनने के लिए किसी के पास टाइम नहीं था। आए, काफी पी, खाना खाया और चलते बने।  जिला टीबी अधिकारी डा. वधवा ने बताया कि डाक्टरों को सलाह दी जानी थी कि टीबी के मरीजों को डाट्स पर अवश्य डालें।

उन्होंने सेमिनार में आए और जो नहीं आए उन डाक्टरों पर नाराजगी जताई। बोले किसी के पास विषय को सुनने का समय नहीं था। स्टेट कार्डिनेटर डा. एसएल वर्मा ने कहा कार्यक्रम अच्छा रहा। बोले  कार्यक्रम में आए डाक्टरों को यह बताया गया कि टीबी की दवाइयां अब केमिस्टों के पास भी निशुल्क मिलेंगी।

उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने एड्स, टीबी व मलेरिया के प्रति अवेयरनेस के नाम पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन को करोड़ों रुपए का बजट दिया है। करीब दो साल से चल रही इस योजना पर क्या हो रहा है और क्या नहीं हो रहा है की जांच करने वाला प्रदेश स्वास्थ्य विभाग में कोई अधिकारी नहीं है।

इस बारे में उच्च अधिकारियों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि आईएमए व केंद्र के बीच कोई इकाई नहीं है। सिविल सर्जन डा. भरत सिंह ने कहा कि आईएमए ने यह प्रोजेक्ट सीधे केंद्र से लिया है। उनको इस बारे में किसी प्रकार से अधिकृत नहीं किया गया। सच्चई यह है कि इस योजना में सबकुछ ठीकठाक नहीं चल रहा है।

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