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कहीं स्वाइन फ्लू न हो जाए। इस खौफ की इंतहा क्या है। वायरस का डर है तो उससे बचने के लिए मास्क है। अब लोगों को आदमी भी डरा रहे हैं। फ्लू से बीमार आदमी। तो खौफ, नफरत में बदल रही है। मुंबई और लखनऊ जैसे...

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लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 18 Aug 2009 12:44 AM
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कहीं स्वाइन फ्लू न हो जाए। इस खौफ की इंतहा क्या है। वायरस का डर है तो उससे बचने के लिए मास्क है। अब लोगों को आदमी भी डरा रहे हैं। फ्लू से बीमार आदमी। तो खौफ, नफरत में बदल रही है। मुंबई और लखनऊ जैसे शहरों में कुछ ऐसा ही दिख रहा है। वायरस से लड़कर चंगा होने वाले अब सामाजिक बहिष्कार से लड़ रहे हैं।

रिश्तेदार मिलने नहीं आ रहे। पड़ोसी कन्नी काट रहे। भाई बीमार था, बहन की जांच हो चुकी है, फिर भी उसे स्कूल से निकालने का दबाव पड़ा। आखिर यह कौन सा समाज है? कम से कम पढ़ा-लिखा समझदार समाज तो ऐसा नहीं करता। घर में किसी को स्वाइन फ्लू हो जाए तो क्या करेंगे? सड़क पर फेंक देंगे? और डॉक्टर, उनकी क्यों नहीं सोचते? बस इतना याद रखिए, बीमारी से डरिए, बीमार से नहीं।

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