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उर्दू मीडिया : चीन के जुल्म पर चिंता

चीन में मारे जा रहे मुसलमानों पर ‘हिन्दुस्तान एक्सप्रेस’ ने ‘बेचारे चीनी मुसलमान’ के शीर्षक से अपने सम्पादकीय में लिखा है कि एक ऐसा देश जहां मुसलमानों की जनसंख्या 6-7 करोड़ से...

उर्दू मीडिया : चीन के जुल्म पर चिंता
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 12 Jul 2009 09:55 PM
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चीन में मारे जा रहे मुसलमानों पर ‘हिन्दुस्तान एक्सप्रेस’ ने ‘बेचारे चीनी मुसलमान’ के शीर्षक से अपने सम्पादकीय में लिखा है कि एक ऐसा देश जहां मुसलमानों की जनसंख्या 6-7 करोड़ से कम नहीं होगी लेकिन, ये वे अभागे और मजलूम मुसलमान हैं जो इस्लामी दुनिया से बिल्कुल ही कटे हुए हैं। बाहरी दुनिया को इनकी खबर ही नहीं होती कि बेचारे किस हाल में जी रहे हैं।

इन पर कैसे-कैसे अत्याचार हो रहे हैं। चीन में लाल क्रांति के आने और कम्युनिस्ट व्यवस्था की स्थापना के बाद इस देश के मुसलमानों ने जिन परेशानियों का सामना किया उसकी कल्पना भी अत्यधिक तकलीफ देने वाली है। इनको धार्मिक कार्यो का निर्वाह, उपासना और धार्मिक पुस्तकों पर पाबंदी लगाकर इनके सामूहिक अस्तित्व और मिल्ली पहचान को खत्म करने की हर संभव प्रयास किए गए, इन पर हर तरह का अत्याचार किया गया, ताकि वह इस्लाम को छोड़कर चीन के आम समाज में घुल मिल जएं, सांप, बिच्छू से लेकर सूअर तक को अपने भोजन का हिस्सा बनाएं, लेकिन इन मुसलमानों ने हर तरह का अत्याचार बर्दाश्त किया लेकिन अपना ईमान नहीं छोड़ा।

अफसोस तो यह है कि विश्व भर के दजर्नों मुस्लिम देशों से चीन के गहरे संबंध और व्यापारिक लेन-देन हैं, लेकिन इनमें से किसी ने भी चीनी मुसलमानों की खबर लेने अथवा चीनी सरकार से इस बाबत कुछ पूछने की जरूरत नहीं समझी।

दैनिक ‘मुनसिफ’ ने ‘शिनजियांग के मुस्लिम विरोधी दंगे’ के शीर्षक से लिखा है कि हम नहीं जनते कि यह प्रदर्शन किस तरह हिंसक हो गया और किस पर इसकी जिम्मेदारी है। सरकार इसकी निष्पक्ष जंच कराएगी या नहीं। लेकिन यह सही है कि शिनजियांग के मुसलमान जिन्हें स्थानीय भाषा में उइगर कहा जाता है, उनके साथ लम्बे समय से खराब व्यवहार किया जा रहा है।

यह क्षेत्र गैस और तेल के प्राकृतिक भंडार से भरा हुआ है और इसको हासिल करने के लिए चीन ने इस क्षेत्र का शोषण किया और काफी निवेश किया है। इसी के साथ क्षेत्र में हान चीनी भी आ गए हैं। एमनेस्टी इंटरनेशनल का कहना है कि सरकारी नीति के तहत सुनियोजित तौर पर उइगर मुसलमानों की पहचान और सम्पन्नता को खत्म करने की कोशिश की जा रही है, उनकी भाषा को सीमित कर दिया गया, धार्मिक स्वतंत्रता को भी सीमित कर दिया। नौकरियों में भेदभाव किया जा रहा है।

महाराष्ट्र में मराठी और गैर मराठी के बाद शिव सेना और कांग्रेस को एक नया मुद्दा हाथ आ गया है। ‘मुस्लिम लड़कों से हिन्दू लड़कियों की शादी कांग्रेस और शिव सेना का मुस्लिमों के खिलाफ षड्यंत्र’ के शीर्षक से साप्ताहिक ‘नई दुनिया’ ने लिखा है कि भारतीय जनता पार्टी के विधायक और भाजपा शिव सेना सरकार में रहे महाराष्ट्र के वित्त और सिंचाई मंत्री एम. नाथ खडसे ने मुस्लिम युवाओं पर यह आरोप लगाया है कि वह हिन्दू लड़कियों को अपने जाल में फंसा रहे हैं और उनसे झूठे प्रेम के वादे करके उनका शोषण कर रहे हैं वह मुस्लिम लड़कियों के बजाए हिन्दू लड़कियों को बहला-फुसला कर शादी कर रहे हैं ताकि मुसलमानों की जनसंख्या में वृद्धि हो। उन्होंने यह कह कर हालात को और पेचीदा कर दिया कि कुछ हिन्दू लड़कियों को खाड़ी देशों में भेज जा रहा है।

अखबार आगे लिखता है कि शिव सेना और कांग्रेस के पास वोट बैंक को एकजुट रखने का कोई तरीका दिखाई नहीं पड़ रहा है, जबकि विधानसभा चुनाव जल्द होने वाले हैं। मराठी और गैर मराठी का मुद्दा तो राज ठाकरे और उनकी पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ले उड़ी। रह गया केवल हिन्दू-मुस्लिम नफरत फैलाकर कुर्सी पर कब्जा करने का खेल तो इस खेल को आगे बढ़ाने के लिए कांग्रेस और शिव सेना ने मुसलमानों के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है।

‘भारतीय समाज का गिरता स्तर’ के शीर्षक से ‘हमारा समाज’ ने लिखा है कि पिछले दिनों आई खबरों ने हमारे समाज की जो तस्वीर पेश की है, उसका कम से कम बीते वर्षो में तो कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। समाज के जिस पहलू पर नजर डालते हैं वहां निराशा ही हाथ आती है। रिश्तों का कोई ख्याल नहीं रह गया, मान-मर्यादा खत्म हो गई है। मुस्लिम समाज भी इससे अछूता नहीं रहा। बाप ने हज पर जाने के लिए अपनी जमीन का थोड़ा सा टुकड़ा बेच दिया तो उसके ‘सुपुत्रों’ ने उसे मौत के घाट उतार दिया। मां ने बेटे को शराब पीने से मना किया तो कलयुगी बेटे ने मां को ही मार दिया। बुराइयों को रोकने के लिए सख्त से सख्त कानून बनाकर उन्हें लागू किया जाए, अन्यथा हमारे समाज को तबाही से कोई नहीं बचा सकता।

लेखक स्तंभकार हैं

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