ध्यान नहीं दिया आंदोलनकारियों की धमकी पर
सुशीला तिवारी अस्पताल के पिछले छह माह से आंदोलित दिहाड़ी Þामिकों ने 7 जुलाई को सामूहिक आत्महत्या की चेतावनी दे दी थी लेकिन प्रशासन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। इसी वजह से शुक्रवार को 18...
सुशीला तिवारी अस्पताल के पिछले छह माह से आंदोलित दिहाड़ी Þामिकों ने 7 जुलाई को सामूहिक आत्महत्या की चेतावनी दे दी थी लेकिन प्रशासन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। इसी वजह से शुक्रवार को 18 कर्मचारियों ने सल्फास और नुवान गटक लिया। इससे पहले भी दो बार आंदोलनकारी आत्महत्या का प्रयास कर चुके थे।
सुशीला तिवारी अस्पताल में कार्यरत दिहाड़ी Þामिक पिछले छह माह से आंदोलित हैं।
आंदोलन के चलते कई मजदूरों का परिवार सड़क में आ गया है। कई परिवारों को खाने तक के लाले पड़े हुए हैं। कई Þामिकों के बच्चे तो फीस नहीं होने से स्कूल छोड़ चुके हैं। उन्हें दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही थी। प्रबंधन की उपेक्षा के चलते चार जून को राधेश्याम आंदोलन स्थल पर जहर की शीशी लेकर पेड़ पर चढ़ गया। इस दौरान उसने आत्महत्या का प्रयास किया लेकिन जनप्रतिनिधियों ने आश्वासन पर उसने फैसला वापस ले लिया।
काफी दिन बाद आंदोलित महिला गंगा देवी फिर से जहर की बोतल लेकर पेड़ में चढ़ गयी। इस बार वह सांसद केसी सिंह बाबा के आश्वासन के बाद पेड़ से नीचे उतर आई। इसके बाद भी एसटीएच प्रबंधन ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया। प्रबंधन की उपेक्षा से झुब्ध इन आंदोलनकारियों ने 7 जुलाई को बैठक में निर्णय लिया कि वह 8 जुलाई से सामूहिक अनशन शुरू करेंगे। मांगें पूरी न होने पर सामूहिक रूप से जहर खाकर आत्महत्या कर लेंगे। आंदोलनकारियों की इस धमकी को जिला प्रशासन ने कतई गंभीरता से नहीं लिया। इसके चलते शुक्रवार को 18 आंदोलनकारियों ने सल्फास व जहर खा लिया। छह आंदोलनकारियों की हालत गंभीर बनी हुई है। प्रशासन ने आंदोलनकारियों की धमकी को गंभीरता से लिया होता तो उन्हें आत्महत्या करने से रोका ज सकता था।