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दोष ईवीएम पर

अगर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को पूरी तरह निर्दोष न भी माना जाए तो भी उसमें दोष निकालने वाले नेता और पार्टियां वही हैं, जिन्हें इस चुनाव में करारी शिकस्त मिली है। इसलिए संभव है कि आंतरिक घमासान से जूझ...

दोष ईवीएम पर
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 07 Jul 2009 09:51 PM
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अगर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को पूरी तरह निर्दोष न भी माना जाए तो भी उसमें दोष निकालने वाले नेता और पार्टियां वही हैं, जिन्हें इस चुनाव में करारी शिकस्त मिली है। इसलिए संभव है कि आंतरिक घमासान से जूझ रही पार्टियों ने कलह को शांत करने और आगामी विधानसभा चुनावों में आसन्न हार के दोष से बचने के लिए ईवीएम के सिर ठीकरा फोड़ने की ठान ली हो। दिल्ली के एक अधिकारी की शिकायत के बाद दक्षिणपंथ से वामपंथ तक सभी ने उसे देशनिकाला देने या अग्निपरीक्षा लेने का राग छेड़ दिया है।

विपक्ष के नेता लालकृष्ण आडवाणी ने तो महाराष्ट्र विधानसभा का चुनाव मशीन के बजय मतपत्रों से कराने की मांग कर डाली है। संयोग से इसी समय आयरलैंड के अधिकारियों और जर्मनी की सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम के उपयोग पर रोक लगा दी है। सही है कि दुनिया के सभी लोकतांत्रिक देशों के चुनावों में ईवीएम का प्रयोग सर्वमान्य नहीं है। पर भारत के दो आमचुनाव पूरी तरह इसी मशीन के मार्फत संपन्न हुए हैं और उस पर मीडिया, चुनाव पर्यवेक्षक या चुनाव विश्लेषक किसी ने संदेह व्यक्त नहीं किया है।

इसे लागू किए जाने से पहले डीआरडीओ और आईआईटी के वैज्ञानिकों ने इसकी विधिवत जांच की थी और इसे सर्वथा निरापद पाया था। बाद में कर्नाटक हाई कोर्ट ने भी इसके खिलाफ एक याचिका खारिज करते हुए इसे राष्ट्रीय गौरव की संज्ञा दी थी। आज ईवीएम के नाते मतदान और मतगणना की प्रक्रिया बेहद सरल और तीव्र हो गई है। इस लिहाज से इस मशीन ने भारतीय लोकतंत्र के लिए उस देवी की भूमिका निभाई है, जिसने अपनी आंखों पर पट्टी बांध कर भी न्याय और निष्पक्षता को सुनिश्चित किया है।

इस मशीन ने भारतीय लोकतंत्र को ढेर सारे कागज और स्याही के खर्चे से तो निकाला ही है, हाहाकारी चुनाव धांधलियों के उस युग से भी उबारा है जब बड़े पैमाने पर बूथ छापे या लूटे जाते थे। इसलिए जब भी कोई नेता मतपत्रों के युग में लौटने की बात करता है तो एक तरफ तो वे बुरी यादें ताज हो जती हैं और दूसरी तरफ उसकी नीयत पर भी संदेह पैदा होता है। वे मशीन पर संदेह तो कर रहे हैं पर अभी तक उन्होंने इसके दोष को चुनाव आयोग के सामने प्रमाणित नहीं किया है। फिर भी लोकतंत्र को संदेह से परे बनाए रखने के लिए मशीन की तकनीकी दिक्कतों का तुरंत समाधान होना चाहिए, बशर्ते यह संदेह निहित स्वार्थ की राजनीति से प्रेरित न हो।

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