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लश्कर पर नजर

पश्चिमी दुनिया की नजर में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ने में लगा पाकिस्तान आतंकियों के सशक्तीकरण से भी बाज नहीं आ रहा है। अगर अफगानिस्तान में अमेरिकी नेतृत्व में चल रही सैन्य कार्रवाई से अलकायदा कमजोर...

लश्कर पर नजर
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 05 Jul 2009 09:23 PM
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पश्चिमी दुनिया की नजर में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ने में लगा पाकिस्तान आतंकियों के सशक्तीकरण से भी बाज नहीं आ रहा है। अगर अफगानिस्तान में अमेरिकी नेतृत्व में चल रही सैन्य कार्रवाई से अलकायदा कमजोर हो रहा है तो पाकिस्तान में वह लश्करे-तैयबा के शरीर में प्रवेश कर अपना वजूद बचा रहा है। इस तरह कभी कश्मीर के बहाने भारत तक ही केंद्रित बताया जने वाला लश्करे-तैयबा अब अंतरराष्ट्रीय संगठन बन कर पूरी दुनिया के लिए खतरा बन रहा है।

यह बात 29 जून को अपनाए गए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के उस प्रस्ताव से जहिर होती है, जिसमें लश्कर के तीन आतंकियों को अलकायदा से संबद्ध बताया है। इससे लगता है कि पाकिस्तान आतंकवाद की जिनेटिक इंजीनिय¨रग करने वाला देश है, जहां से आतंकियों की नई-नई किस्में तैयार की जा रही हैं, ताकि आतंक की फसल हर तरह के मौसम में लहलहाती रहे। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से सूचीबद्ध आरिफ कसमानी, मोहम्मद याहिया मुजहिद और अबू मोहम्मद अमीन नाम के आतंकी भारत में खलीफा राज कायम करने के लिए उसे अपना निशाना बनाए हुए हैं, पर अब उनके काम का दायरा व्यापक हो चला है।

उन्हें एक तरफ दाऊद इब्राहीम जैसे तस्कर और आतंकी से आर्थिक मदद मिल रही है तो दूसरी तरफ पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई से प्रशिक्षण। कसमानी ने इसी नेटवर्क के सहारे सन् 2006 में मुंबई की ट्रेनों में बम विस्फोट करवाए थे और सन् 2007 में पानीपत में समझोता एक्सप्रेस में। इस बात की भी पर्याप्त सूचनाएं हैं कि मुंबई में पिछले साल 26 नवंबर को हुए आतंकी हमले को अंजाम देने वाले लश्कर के आतंकियों को आईएसआई ने प्रशिक्षित किया था, जिसमें जमात-उद-दावा के प्रमुख और लश्करे-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद की प्रमुख भूमिका रही है।

हालांकि लाहौर हाईकोर्ट की तरफ से हाफिज सईद की नजरबंदी खत्म किए जाने के खिलाफ पाकिस्तान सरकार ने सुप्रीमकोर्ट में अपील की है और हो सकता है हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लग भी जाए। लेकिन इतने भर से कुछ नहीं होगा। सुरक्षा परिषद और अमेरिकी संस्थाओं को लश्कर के साथ आईएसआई पर नियंत्रण के बारे में भी सोचना होगा। इसी में भारत समेत शेष दुनिया ही नहीं पाकिस्तान की भी भलाई है।

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