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सत्ता पक्ष खुश, विपक्ष ने कहा वायदों का पिटारा

केन्द्रीय रेलमंत्री ममता बनर्जी द्वारा शुक्रवार को संसद में पेश रेल बजट को सत्तारुढ़ संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के नेताओं ने समाज के सभी वर्गो के हितों का रखवाला बताया है जबकि विपक्ष ने इसे...

सत्ता पक्ष खुश, विपक्ष ने कहा वायदों का पिटारा
एजेंसीFri, 03 Jul 2009 04:53 PM
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केन्द्रीय रेलमंत्री ममता बनर्जी द्वारा शुक्रवार को संसद में पेश रेल बजट को सत्तारुढ़ संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के नेताओं ने समाज के सभी वर्गो के हितों का रखवाला बताया है जबकि विपक्ष ने इसे महज वायदों का पिटारा करार दिया।

भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा कि इस रेल बजट में वायदे तो खूब किए गए हैं लेकिन सबसे महत्वपूर्ण यह है कि ये वायदे पूरे होते है या नहीं। उन्होंने कहा कि यह रेल बजट तभी सार्थक माना जाएगा जब इसमें किए गए वायदों को समय पर पूरा किया
जाए। अन्यथा इस रेल बजट का कोई मतलब नहीं है।

राजनाथ ने कहा कि संप्रग सरकार ने कई वायदे किए हैं जिनमें 100 दिनों के भीतर आवश्यक उपभोक्ता वस्तुओं के दामों पर नियंत्रण पाना भी शामिल था लेकिन वास्तविकता यह है कि आज सभी वस्तुओं के दाम तेजी से बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर इस रेल बजट में किए गए वायदों को पूरा किया जाता है तभी इसका स्वागत किया जाना चाहिए।

पूर्व केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीस जनता दल के नेता रघुवंश प्रसाद ने बजट में बिहार की पूरी अनदेखी करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इस बजट में बिहार के लिए कुछ नहीं है इसे देखकर ऐसा लगता है कि बिहार से दुश्मनी निकाली गई।

भाजपा के नेता सैयद शाहनवाज हुसैन ने भी बजट में बिहार विरोधी बताते हुए कहा कि पूर्व रेल मंत्रियों द्वारा बिहार के बारे में घोषितपरियोजनाओं पर यह बजट मौन है। उदाहरण के लिए भागलपुर में डीआरएम आफिस बनाने का प्रस्ताव है लेकिन उस पर मौन साधा गया। दरअसल, ऐसी योजनाओं को खत्म करने का यह षड़यंत्र है।


भाजपा नेता हरेन पाठक ने कहा कि गुजरात की ओर से एक माह पूर्व रेल मंत्री ममता बनर्जी को राज्य की लंबित परियोजनाएं पूरी करने और कुछ नई रेल लाइन के लिए ज्ञापन दिया गया था लेकिन इस बारे में बजट में कोई उल्लेख तक नहीं है।

केन्द्रीय कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जयसवाल ने इस रेल बजट को शानदार बताया है।
 भारतीय जनता पार्टी के श्री गोपीनाथ मुंडे ने कहा कि रेल बजट में महाराष्ट्र के साथ अन्याय किया गया है। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी का रेल बजट भाषण तो बहुत फास्ट था जिसमें सपने तो खूब दिखाए गए लेकिन सपनों और वायदों से भरी रेल बजट की रेल गाड़ी किसी गरीब के स्टेशन पर नहीं रुकी। उन्होंने कहा कि रेल मंत्री ने महाराष्ट्र के लोगों तथा मुंबई में लोकल ट्रेनों से यात्रा करने वाले 50 लाख यात्रियों की मुसीबतों का ध्यान नहीं रखा गया है। उन्होंने कहा कि हालांकि बजट भाषण में गरीबों और मजदूरों की बातें तो खूब की गई है लेकिन रेल बजट के प्रस्तावों में गरीबों का प्रतिनिधित्व नहीं है।


पहली बार झांसी से लोकसभा में चुनकर आए ग्रामीण विकास राज्य मंत्री प्रदीप जैन ने इस रेल बजट को आम आदमी का बजट बताते हुए
कहा कि ममता बनर्जी ने समाज के सभी वर्गो के हितों का ध्यान रखा है। उन्होंने इस बजट को उम्मीदों के मुताबिक बताते हुए कहा कि इस रेल बजट में बुंदेलखंड के पिछड़े क्षेत्रों का भी ध्यान रखा गया है।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की वृंदा करात ने रेल बजट पर मिली जुली प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा रेलमंत्री सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र से सहभागिता (पीपीपी) पर ब्रेक लगाने में तो कामयाब नहीं हो सकी लेकिन असंगठित क्षेत्र और महिलाओं के लिए जो कुछ किया गया हे वह निश्चितरुप से स्वागतयोग्य है। उन्होंने कहा कि रेलमंत्री से उम्मीद की जा रही थी कि वह आउट सोर्सिंग तथा पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप पर कुछ लगाम जरूर लगाएगी लेकिन उनहोंने इस पर ब्रेक लगाने के बजाय उसे जारी रखा है।

भारतीय जनता पार्टी के नेता और पूर्व मंत्री मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि बजट में एक तरह से नया कुछ नहीं है। यह अंतरिम बजट को ही रंग रोगन के साथ नए रुप में पेश किया है। उन्होंने कहा कि इसमें नया कुछ नहीं है। यह पूछे जाने पर कि बजट में गरीबों का पूरा ख्याल रखा गया है तो उन्होंने कहा कि यह तो समय ही बताएगा कि बजट में की गई घोषणाओं में से कितने को अमली जामा पहनाया जा सकेगा।

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