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महिला आरक्षण पर कांग्रेस में भी दुविधा

लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण दिलाने के लिए कांग्रेस भले ही बढ़-चढ़कर दावे करे लेकिन वास्तविकता यही है कि उसके अंदर भी इस पर दुविधा है कि क्या यह क्रांतिकारी कदम सही मायनों...

महिला आरक्षण पर कांग्रेस में भी दुविधा
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 28 Jun 2009 08:06 PM
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लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण दिलाने के लिए कांग्रेस भले ही बढ़-चढ़कर दावे करे लेकिन वास्तविकता यही है कि उसके अंदर भी इस पर दुविधा है कि क्या यह क्रांतिकारी कदम सही मायनों में प्रतिभावान और सक्षम महिलाओं को आगे बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगा।

कांग्रेस शुरू से ही लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीट आरक्षित करने का समर्थन कर रही है तथा इसने 2009 के अपने घोषणा पत्र में इससे संबंधित विधेयक जल्द से जल्द पारित करने का वादा किया है। इसी के अनुरूप मनमोहन सरकार ने अपने पहले 100 दिन के कामकाज में इस विधेयक को पारित कराने की दिशा में कदम उठाने की घोषणा की है। लेकिन पार्टी के अंदर यह आशंका उठ रही है कि महिला आरक्षण विधेयक का मौजूदा स्वरूप शायद प्रतिभावान और सक्षम महिलाओं को आगे लाने में सहायक सिद्ध नहीं हो।


मौजूदा विधेयक में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटों को बारी-बारी से बदलने की व्यवस्था को लेकर कांग्रेस के अंदर प्रश्न उठाए जा रहे हैं। इस पर प्रश्न उठाने वाले नेताओं का मानना है कि कहीं आरक्षण का लाभ स्थापित नेताओं की पत्नियों और पुत्रियों तक ही सिमटकर न रह जाए। उनका कहना है कि अक्सर यह देखने में आया कि किसी नेता पर भ्रष्टाचार या अन्य तरह के आरोप लगने पर उनके परिवार के सदस्य उसकी निर्धारित सीट पर चुनाव लड़ते और जीतते हैं। चूंकि यह सीट अगली बार आरक्षित नहीं होगी इसलिए संभव है कि उस पर चुनाव जीतने वाली महिला अपने चुनाव क्षेत्र के प्रति उतनी प्रतिबद्धता न दिखाए जितनी आमतौर पर किसी एक सीट से लगातार चुनाव लड़ने वाले नेता दिखाते हैं।


पार्टी के एक पदाधिकारी का कहना है कि मौजूदा व्यवस्था की बजाय कानून बनाकर राजनीतिक दलों के लिए हर चुनाव में 33 प्रतिशत टिकट महिलाओं को देने को अनिवार्य करना बेहतर विकल्प हो सकता है। इस कानून के तहत चुनाव आयोग को इस प्रावधान का उल्लंघन करने वाले दल की मान्यता रद्द करने का अधिकार दिया जाए। पार्टी के इस वरिष्ठ नेता ने इस बात को खारिज कर दिया कि राजनीतिक दल ऐसे स्थानों से महिलाओं को टिकट देकर इस बाध्यता को पूरी कर सकते हैं जहां उनकी पकड़ नहीं है। उन्होंने इस दलील को भी खारिज किया कि कोई दल कमजोर या हारने वाली सीटों से महिलाओं को टिकट देकर काम चला सकता है।

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