सरकारी उपक्रमों की हिस्सेदारी बेचकर कम हो सकता है घाटा : एसएमसी
सरकार सभी सूचीबद्ध सरकारी कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी घटाकर 51 फीसद कर चार लाख करोड़ रुपए जुटा सकती है जिससे देश का राजकोषीय घाटा पूरी तरह से खत्म हो सकता है। एसएमसी कैपिटल ने एक रपट में कहा यदि...
सरकार सभी सूचीबद्ध सरकारी कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी घटाकर 51 फीसद कर चार लाख करोड़ रुपए जुटा सकती है जिससे देश का राजकोषीय घाटा पूरी तरह से खत्म हो सकता है।
एसएमसी कैपिटल ने एक रपट में कहा यदि सरकार सूचीबद्ध कंपनियों में अपनी 51 फीसद हिस्सेदारी बरकरार रखते हुए शेष हिस्सेदारी बेचने की योजना बनाती है तो कुल 94.77 अरब डालर (4.46 लाख करोड़ रुपए) जुटाए जा सकते हैं।
पिछले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा बढ़कर 62.26 अरब डालर (2.96 लाख करोड़ रुपए) हो गया है जो जीडीपी का 6 फीसद है। इसलिए संप्रग सरकार द्वारा जुलाई के पहले सप्ताह में पेश होने वाले केंद्रीय बजट में राजकोषीय घाटे पर नियंत्रण पर मुख्य रूप से ध्यान दिया जाएगा।
एसएमसी कैपिटल्स इक्विटी के प्रमुख जगन्नाथम तुनुगुंटला ने कहा यदि सरकार विनिवेश योजना को आगे बढ़ाती है तो बुनियादी ढांचा क्षेत्र को सबसे अधिक लाभ होगा क्योंकि विनिवेश से प्राप्त प्राप्त धन को कंपनियों में ही लगाया जाएगा।
उन्होंने कहा हो सकता है कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का विनिवेश न करे। पर जहाजरानी, लाजिस्टिक्स कंपनियां विनिवेश की पहली कतार में रखी जा सकती हैं तथा सरकार इनकी अपेक्षाकृत कम हिस्सेदारी बेचकर ज्यादा धन जुटा सकती है।
पिछले सप्ताह संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने कहा था मेरी सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की सूचीबद्धता और सार्वजनिक स्वामित्व के लिए खाका तैयार करेगी और साथ ही यह भी सुनिश्चित करेगी कि सरकार की हिस्सेदारी 51 फीसद से कम न हो।
इसके अलावा सरकार एनएचपीसी, ऑयल, कोल इंडिया लिमिटेड, बीएसएनएल, राईटस, इरकान इंटरनेशनल जैसे कई सरकारी उपक्रमों की आरंभिक सार्वजनिक पेशकश लाने पर भी विचार कर रही है।