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बड़े उद्योगों की जगह सूक्ष्य धंधे को मिलेगी तरजीह

लंबे समय से उद्योग और सरकार के बीच चल रहे कम्युनिकेशन गैप की शायद अब शुरुआत हो जए। इस दिशा में इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड ने सकारात्मक पहल की है। अब उद्योगपतियों ने बड़े उद्योगों की जगह...

बड़े उद्योगों की जगह सूक्ष्य धंधे को मिलेगी तरजीह
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 07 Jun 2009 09:11 PM
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लंबे समय से उद्योग और सरकार के बीच चल रहे कम्युनिकेशन गैप की शायद अब शुरुआत हो जए। इस दिशा में इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड ने सकारात्मक पहल की है। अब उद्योगपतियों ने बड़े उद्योगों की जगह माइक्रो-स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइज को प्रोत्साहित करने पर बल दिया।


मुख्यमंत्री बीसी खंडूड़ी ने भी उद्योग जगत को पर्वतीय क्षेत्रों में औद्योगिक विकास के साथ ही एमएसएमई सेक्टर को बढ़ावा देने की सलाह दी। उन्होंने आज परोक्ष रूप से गांधीवादी अर्थशास्त्र पर बल दिया। आज आश्वासन दिया गया है कि राज्य न्यूनतम वेतन सलाहकार परिषद में उद्यमियों को नामित किया जएगा। इसके साथ ही जिला स्तर उद्योग बंधु व उद्योग परिषद को सशक्त भी किया जएगा। इसके अलावा लालफीताशी को खत्म करने संबंधी दिया गया आश्वासन काफी आश्वस्तकारी था। इस कार्यक्रम को प्रदेश में औद्योगिक नजरिए से नई शुरु आत माना ज रहा है।
एसोसिएशन के अध्यक्ष पंकज गुप्ता और सचिव अनिल गोयल ने बताया कि अगर विशेष औद्योगिक पैकेज को 2013 तक विस्तार नहीं मिला तो काफी दिक्कतें खड़ी हो जएंगी। इसलिए सरकार और उद्योग जगत को कुछ मुद्दों पर संयुक्त रूप से ठोस कार्रवाई करनी होगी। स्किल डेवलपमेंट के लिए इंडस्ट्री और शिक्षा महकमें को मिलकर काम करना होगा। बिना स्थानीय युवाओं के कौशल प्राप्त किए उद्योग भी कंपेटेटिव नहीं हो सकते। इसलिए इंडस्ट्री ओरियेंटेंड स्किल प्रोग्राम चलाने होंगे।


बिजली संकट को हर हाल में मैनेज करना आवश्यक है। अगर उद्योग जगत को बिजली नहीं मिली तो उत्पादन प्रभावित होगा। इसके खतरनाक परिणाम सामने आएंगे। इसलिए प्रोडक्शन-ट्रांसमिशन के स्तर पर सुधार जरूरी है।
इसी तरह सीआईआई के अध्यक्ष राकेश ओबराय और कुमाऊं गढ़वाल चैंबर ऑफ कामर्स एं़ इंडस्ट्री के अध्यक्ष राजीव गई ने औद्योगिकरण तेज करने के लिए तमाम सुझव दिए।

ये मांगे रखी गई

 

 

...एमएसएमई सेक्टर के लिए प्राइस प्रीफरेंस पॉलिसी बने
...एमएसएमई सेक्टर के लिए परचेज प्रीफरेंश पॉलिसी भी बने
....राज्य के एमएसएमई सेक्टर के लिए कोई मानेटरी सीमा न हो
.....बीमार इकाइयों को रीहैबलीटेट किया जए
....देहरादून और कालसी में नये औद्योगिक इकाइयां स्थापित हो
......लांघा रोड-सेलाकुई औद्योगिक क्षेत्रों में ट्रांसपोर्ट यूनियन द्वारा की ज रही अवध वसूली बंद हो
.....एकल खिड़की प्रणाली को अधिक शक्ितशाली बनाने की मांग
...एजुकेशन नगरों-उपनगरों की स्थापना हो।
...ईस्र्टन फ्रेट्ठ कौरिडोर बनाने की मांग
...स्टांप डच्यूटी पांच फीसदी तक कम की जए
...ऊज्र उत्पादन के क्षेत्र में बड़ी पहल हो
....ईएसआई न होने से कामगारों को दिक्कत।
....बिजली चोरी रोकने में उद्योग करेंगे सहयोग

 

 

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