फोटो गैलरी

Hindi Newsजरबेरा के मनमोहक फूल

जरबेरा के मनमोहक फूल

अफ्रीका से आए कम्पोजिट परिवार का पुष्प जरबेरा लगभग पूरे वर्ष खिलते रहने के कारण बहुत पसन्द किया जता है। इसे बार्बटन डेजी  व ट्रांसवाल डेजी नाम से भी पुकारते हैं। मूल रूप से यह एकदम पतली-लम्बी...

जरबेरा के मनमोहक फूल
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 03 Jun 2009 03:42 PM
ऐप पर पढ़ें

अफ्रीका से आए कम्पोजिट परिवार का पुष्प जरबेरा लगभग पूरे वर्ष खिलते रहने के कारण बहुत पसन्द किया जता है। इसे बार्बटन डेजी  व ट्रांसवाल डेजी नाम से भी पुकारते हैं। मूल रूप से यह एकदम पतली-लम्बी पंखुड़ियों वाला लाल रंग का फूल ही था, जिसमें लाल के साथ-साथ सफेद, पीले, नारंगी रंग के फूल भी मिलते थे। बाद में इसके संकरण द्वारा बहुत सारे रंग व आकार की विविध किस्में विकसित की गईं।


 मूल जरबेरा के मुकाबले में संकरण द्वारा विकसित किस्म की पंखुड़ियां बड़ी, फूल भी अपेक्षाकृत बड़े, बीच का चन्द्र भाग बहुत ही चटकीला व बड़े आकार का व विविध रंगों में होता है। परन्तु जो कमनीयता व मनोहरता मूल जरबेरा में मिलती है, इस नई किस्म में नहीं होती। आज व्यावसायिक दृष्टि से इसकी खेती जगह-जगह पर की जा रही है। फूलदान में काट कर लगाने पर इसके फूल काफी समय तक तरोताज बने रहते हैं। यही कारण है कि आज जरबेरा अत्यन्त लोकप्रिय पुष्प बन गया है।

जरबेरा को जड़ों के विभाजन द्वारा तैयार किया जाता है, परन्तु इसके पौधों को जल्दी-जल्दी अलग करना व स्थानान्तरित करना ठीक नहीं। जड़ों को बचाते हुए पौधे के चारों तरफ गुड़ाई करनी चाहिए और वर्षा के बाद गोबर की पुरानी खाद में हड्डी का चूना व नीम की खली मिलाकर एक खुराक अवश्य दें। दिसम्बर के अंत में भी खाद देने से फूल स्वस्थ व संख्या में अधिक आते हैं। वर्षा के दिनों में अधिक पानी व उमस से इसकी जड़ें गलने लगती हैं। पानी रोक दें व ध्यान दें कि पानी खड़ा न रहे। वर्षा की समाप्ति के बाद खाद अवश्य मिलाएं और पुराने अस्वस्थ पौधे ही नहीं, पूरे पौधे को जड़ों के ऊपर से काट दें। नए पत्ते स्वस्थ आएंगे। इसके गोलाकार लम्बे पतले जड़ों के समीप से चक्राकार रूप में चारों ओर फैलकर निकलते हैं। जड़ों के ठीक बीच से पत्तों के मध्य से एक लम्बी पतली टहनी निकलती है, जिसके ऊपर नाजुक पंखुड़ियों वाला फूल खिलता है। फूल के मुरझते ही टहनी को नीचे से काट देना चाहिए।

इसे क्यारी व गमले दोनों में लगा सकते हैं। सुबह की धूप मिलने पर इसे बालकनी व खिड़की के आगे के बक्सों आदि में लगाया जा सकता है। तेज गरमी में इसे ऐसे स्थान पर रखें, जहां केवल सुबह की धूप मिलती हो। कई बार इसके पत्तों पर धब्बे हो जाते हैं व पत्ते मुड़कर सड़ने लगते हैं। ऐसी स्थिति में जड़ों वाले अंश को छोड़कर पौधा पूरा काट कर पत्ते जला दें। यह पौधा सर्दी व गर्मी दोनों को ही आसानी से झेल लेता है।अफ्रीका से आए कम्पोजिट परिवार का पुष्प जरबेरा लगभग पूरे वर्ष खिलते रहने के कारण बहुत पसन्द किया जता है। इसे बार्बटन डेजी  व ट्रांसवाल डेजी नाम से भी पुकारते हैं। मूल रूप से यह एकदम पतली-लम्बी पंखुड़ियों वाला लाल रंग का फूल ही था, जिसमें लाल के साथ-साथ सफेद, पीले, नारंगी रंग के फूल भी मिलते थे। बाद में इसके संकरण द्वारा बहुत सारे रंग व आकार की विविध किस्में विकसित की गईं।


   मूल जरबेरा के मुकाबले में संकरण द्वारा विकसित किस्म की पंखुड़ियां बड़ी, फूल भी अपेक्षाकृत बड़े, बीच का चन्द्र भाग बहुत ही चटकीला व बड़े आकार का व विविध रंगों में होता है। परन्तु जो कमनीयता व मनोहरता मूल जरबेरा में मिलती है, इस नई किस्म में नहीं होती। आज व्यावसायिक दृष्टि से इसकी खेती जगह-जगह पर की जा रही है। फूलदान में काट कर लगाने पर इसके फूल काफी समय तक तरोताज बने रहते हैं। यही कारण है कि आज जरबेरा अत्यन्त लोकप्रिय पुष्प बन गया है।

जरबेरा को जड़ों के विभाजन द्वारा तैयार किया जाता है, परन्तु इसके पौधों को जल्दी-जल्दी अलग करना व स्थानान्तरित करना ठीक नहीं। जड़ों को बचाते हुए पौधे के चारों तरफ गुड़ाई करनी चाहिए और वर्षा के बाद गोबर की पुरानी खाद में हड्डी का चूना व नीम की खली मिलाकर एक खुराक अवश्य दें। दिसम्बर के अंत में भी खाद देने से फूल स्वस्थ व संख्या में अधिक आते हैं। वर्षा के दिनों में अधिक पानी व उमस से इसकी जड़ें गलने लगती हैं। पानी रोक दें व ध्यान दें कि पानी खड़ा न रहे। वर्षा की समाप्ति के बाद खाद अवश्य मिलाएं और पुराने अस्वस्थ पौधे ही नहीं, पूरे पौधे को जड़ों के ऊपर से काट दें। नए पत्ते स्वस्थ आएंगे। इसके गोलाकार लम्बे पतले जड़ों के समीप से चक्राकार रूप में चारों ओर फैलकर निकलते हैं। जड़ों के ठीक बीच से पत्तों के मध्य से एक लम्बी पतली टहनी निकलती है, जिसके ऊपर नाजुक पंखुड़ियों वाला फूल खिलता है। फूल के मुरझते ही टहनी को नीचे से काट देना चाहिए।

इसे क्यारी व गमले दोनों में लगा सकते हैं। सुबह की धूप मिलने पर इसे बालकनी व खिड़की के आगे के बक्सों आदि में लगाया जा सकता है। तेज गरमी में इसे ऐसे स्थान पर रखें, जहां केवल सुबह की धूप मिलती हो। कई बार इसके पत्तों पर धब्बे हो जाते हैं व पत्ते मुड़कर सड़ने लगते हैं। ऐसी स्थिति में जड़ों वाले अंश को छोड़कर पौधा पूरा काट कर पत्ते जला दें। यह पौधा सर्दी व गर्मी दोनों को ही आसानी से झेल लेता है।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें