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इस बार कोसी की राह बनने को सुरक्षित हैं दो नए ठिकाने

32 किलोमीटर लंबे पूर्वी एफलक्स बांध के अंतिम छोर से थोड़ा पहले 26वें किलोमीटर पर राजबास गांव है। इसके ठीक पहले है प्रकाशपुर। ठीक-ठाक आबादी है। जिस तरह इन दिनों कुसहा फिर अचानक ‘दर्शनीय’...

इस बार कोसी की राह बनने को सुरक्षित हैं दो नए ठिकाने
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 02 Jun 2009 08:28 PM
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32 किलोमीटर लंबे पूर्वी एफलक्स बांध के अंतिम छोर से थोड़ा पहले 26वें किलोमीटर पर राजबास गांव है। इसके ठीक पहले है प्रकाशपुर। ठीक-ठाक आबादी है। जिस तरह इन दिनों कुसहा फिर अचानक ‘दर्शनीय’ हो उठा है, यहां वालों के चेहरे चमके हुए हैं। इनकी छोटी-छोटी दुकानें चल पड़ी हैं। ये कोसी को लंबे समय से देखते आ रहे हैं। पिछला तांडव तो काफी करीब से देखा। इस बार कोसी इनके बिल्कुल करीब है। तटबंध जिसपर इनकी दुनिया बसी हुई है, उसे छूती हुई बह रही है। यहां पानी का स्तर अभी बहुत न हो पर वेग खासा है।

जंगल में गुम हो गए स्परों के अलावा इस बार के लिए यह दोनों बिंदु बड़ा खतरा हैं। अभी दो-चार दिन पहले तक यहां कोई खास हलचल नहीं थी। अचानक सक्रियता बढ़ी है। रविवार की शाम राजबास यानी स्पर नंबर 26/88 के बगल में पहला परकोपाइन नाव से गिराया ज रहा था। ‘परकोपाइन’ पुणो में हुए शोध से तैयार प्रिज्म आकार का कंक्रीट के पिलरों से बना अवरोधक है जिसे किनारों के थोड़ा पहले क्रमबद्ध जोड़कर कोसी जसी विकराल नदी का वेग रोकने का उपक्रम हो रहा है।

माना ज रहा है कि इनके लगने से कोसी का वेग अवरुद्ध होगा और वह इधर-उधर न भटककर सीधी राह चलने को विवश होगी। ये अवरोधक कोसी के साथ आई सिल्ट को रोककर तटबंधों को मजबूती देंगे आदि..आदि..। हालांकि निर्माण प्रक्रिया से जुड़े एक जिम्मेदार ने यह स्वीकार किया कि यह प्रयोग कितना कारगर होगा, इसके प्रति वे भी बहुत आश्वस्त नहीं हैं। नेपाल का राजबास और प्रकाशपुर वह जगहें हैं जहां अबतक कभी खतरा नहीं हुआ। कोसी यहां पहली बार इतने करीब आई है।

मुख्य धारा तो तीन किलोमीटर दूर है लेकिन तय है कि अगले कुछ दिनों में जब कोसी चढ़ेगी यह दूरी ख्त्म होते देर नहीं लगेगी। राजबास में तो इसने काफी मिट्टी काटी है। ये ‘परकोपाइन बांध’ इसे कितना सुरक्षित बना पाएंगे इसमें भी संदेह है। इन दोनों जगहों पर हालात बहुत अच्छे नहीं हैं। प्रकाशपुर में थोड़ा काम हुआ है, राजाबास में तो अभी शुरुआत ही हुई है। यदि ‘परकोपाइन बांध’ की विधि पर ही भरोसा करना है तो भी इसकी गति काफी धीमी है। मानसून यदि निर्धारित तारीख से पहले नहीं आया तब राजबास और प्रकाशपुर के पास तैयारी के लिए महज 15 दिन का वक्त है।

इस दौरान पहले युद्ध गति से काम करना होगा तब जकर यह कोसी के अगले चार माह के वेग को ङोलने लायक शायद बन पाए। यहां जंगल बचाओ आंदोलन के रघु भट्टाराई मिलते हैं जो इस बात से आक्रोशित हैं कि मीडिया वाले खासकर चैनल वाले कुछ भी चला देते हैं। उनका मानना है कि पूर्वी एफलक्स पर जो काम हुआ है वह मजबूत है और कोसी को बांधने में सक्षम है। लेकिन इन दो नए मुहानों को लेकर वे भी बहुत आश्वस्त नहीं हैं। मानते हैं कि कोसी है तो खतरा, कभी भी आ सकता है। यहीं काम कर रहे विश्वनाथ मंडल बोले.. ‘बाबू..कोसी किसी के बांधे बंधी है कभी, जो इस बार बंधेगी।’  

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