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नवसाम्राज्यवाद के खिलाफ शंखनाद

थाकार कमलेश्वर नगर गोदरगावां में प्रलेस के 14वें राष्ट्रीय अधिवेशन के मौके पर देश के कोने-कोने से जुटे लेखकों ने बुधवार को नवसाम्राज्यवाद के खिलाफ सांस्कृति प्रतिरोध का शंखनाद किया। जिले के एक छोटे...

 नवसाम्राज्यवाद के खिलाफ शंखनाद
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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थाकार कमलेश्वर नगर गोदरगावां में प्रलेस के 14वें राष्ट्रीय अधिवेशन के मौके पर देश के कोने-कोने से जुटे लेखकों ने बुधवार को नवसाम्राज्यवाद के खिलाफ सांस्कृति प्रतिरोध का शंखनाद किया। जिले के एक छोटे से गांव में आयोजित प्रलेस के तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन की शुरूआत आमसभा से हुई। उद्घाटन प्रख्यात रंगकर्मी हवीब तनवीर ने किया।ड्ढr ड्ढr आमसभा से पूर्व अभिव्यक्ति की आजादी कायम रहे व अप संस्कृति का नाश हो के नारों के साथ गोदरगावां की सड़कों पर लेखकों ने सांस्कृतिक मार्च निकाला। मार्च का नेतृत्व प्रलेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा.नामवर सिंह, भाकपा नेता शत्रुघ्न प्रसाद सिंह आदि ने किया। अधिवेशन का उद्घाटन करते हुए देश के प्रख्यात रंगकर्मी हबीब तनवीर ने कहा कि भूमंडलीकरण के दौर में बाजार पर किसी का नियंत्रण नहीं है। कीमतें बढ़ रही है। फीस में बढ़ोतरी के कारण शिक्षा आज उपभोक्ता सामग्री बन गई है। बेरोगारी बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि कीमतों के बिना पर आज सरकार जाती नजर आ रही है। विशिष्ट अतिथि असगर अली इांीनियर ने कहा कि आजादी के 60 वर्ष बाद भी चुनौतियां ज्यों की त्यों है। साम्राज्यवाद के खिलाफ आजादी की लड़ाई लड़ी गई और आज नव साम्राज्यवाद की चुनौतियां सामने है। साम्राज्यवाद की तुलना में नवसाम्राज्यवाद से लड़ना मुश्किल है। साम्राज्यवाद सामने नजर आता है लेकिन नवसाम्राज्यवाद ने बिना नजर आए कहीं अन्यत्र और बैठकर देश की आर्थिक व्यवस्था व नीतियों पर नियंत्रण कर रखा है। इसमें वैश्वीकरण को जोड़ दें तो यह चुनौती और भी गंभीर हो जाती है। इससे लेखकों के भी प्रभावित होने का भी खतरा है क्योंकि अधिकांश लेखक मध्यम वर्ग से आते हैं और यह वर्ग इससे सर्वाधिक प्रभावित हो रहा है।ड्ढr ड्ढr उन्होंने कहा कि लेखक मूल्यों के वारिस हैं मूल्यों व सच्चाई को लिखकर चेतना जागृत करना होगा और तभी आजादी कायम रह सकती है। कलम से समझौता करने वाला कभी लेखक नहीं हो सकता। विशिष्ट अतिथि तुलसी राम ने कहा कि भूमंडलीकरण मानसिकता की गुलामी में जकड़ने का दर्शन है। डा.नामवर सिंह ने कहा कि आज स्थिति ऐसी हो गई है कि अपने ही मुल्क में हम विदेशी होते जा रहे हैं। राष्ट्रीय एकता कमजोर हो रही है। इस स्थिति में लेखकों का दायित्व और भी बढ़ गया है। अपनी रचनाओं के माध्यम से राष्ट्र को हम एक सूत्र में पिरो सकते हैं। स्वागत बरौनी विधायक राजेन्द्र प्रसाद सिंह ने किया व संचालन प्रलेस के प्रदेश महासचिव राजेन्द्र राजन ने। राष्ट्रीय महासचिव डा.कमला प्रसाद ने प्रलेस की भावी योजनाओं पर प्रकाश डाला। बांगला देश के लेखक बादिउर रहमान, अलीगढ़ के वेदप्रकाश व दिल्ली के विश्वनाथ त्रिपाठी समेत देश के कोने-कोने से 200 से अधिक प्रतिनिधि अधिवेशन के पहले दिन गोदरगावां विप्लवी पुस्तकालय पहुंच चुके थे। श्री राजन ने इस सम्मेलन को रामधारी सिंह दिनकर शताब्दी वर्ष के मौके पर समर्पित बताया।

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