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नेपाल की तरह हिंसा छोड़ें नक्सली : जोगी

ांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य एवं सांसद अजीत जोगी ने नक्सलियों से हिंसा छोड़ नेपाल की तरह मुख्यधारा में लौटने की अपील की है। जोगी ने बुधवार को कहा कि नेपाल में माआेवादियों ने जिस तरह से मुख्यधारा में...

 नेपाल की तरह हिंसा छोड़ें नक्सली : जोगी
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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ांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य एवं सांसद अजीत जोगी ने नक्सलियों से हिंसा छोड़ नेपाल की तरह मुख्यधारा में लौटने की अपील की है। जोगी ने बुधवार को कहा कि नेपाल में माआेवादियों ने जिस तरह से मुख्यधारा में लौटकर चुनावी राजनीति में हिस्सा लिया, उसी तरह देश के नक्सलियों को हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में लौटना चाहिए और चुनावों में भी हिस्सा लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि नेपाल में तो माआेवादी राजशाही को समाप्त कर लोकतंत्र स्थापित करने के लिए संघर्षरत थे, जबकि भारत में लोकतंत्र काफी मजबूत है। उन्होंने भारतीय लोकतंत्र को दुनिया का सर्वश्रेष्ठ लोकतंत्र करार देते हुए कहा कि नक्सली जिस कमजोर दबे कुचले लोगों के हितों के लिए संघर्ष की बात करते हैं और उसके लिए हिंसा का रास्ता अख्तियार किए हुए हैं उन्हें समझना चाहिए कि इससे उन्हें कुछ हासिल नहीं होने वाला है। लोकतांत्रिक देश को हिंसा के जरिये कतई नहीं झुकाया जा सकता। नेपाल में संविधान सभा के चुनावों में माआेवादियों की बढ़त को उन्होंने सकारात्मक करार देते हुए कहा कि जिस लड़ाई को माआेवादी वहां पर लड़ रहे हैं और मुकाम हासिल करने के प्रयास में है भारत में तो आजादी के साथ ही हासिल हो चुकी है। जोगी ने व्यक्ितगत रूप से अपना उदाहरण देते हुए कहा कि मजबूत लोकतंत्र के कारण ही वह सुदूर गांव में आदिवासी गरीब परिवार में जन्म लेने के बावजूद भारतीय प्रशासनिक सेवा में चुने गए और मुख्यमंत्री तक बनने में सफल रहे। एक लोकतांत्रिक देश में ही यह संभव है। जोगी ने कहा कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माआेवादी) के आला नेताओं को फिर से बदलते हालात में स्थिति पर विचार करना चाहिए। उन्हें समझना चाहिए कि जिस वर्ग के हित के संघर्ष की बात वह कर रहे है वह कम से कम उनके प्रभाव वाले इलाके में तो लगातार पिछड़ता जा रहा है। विकास कार्य ठप है और शिक्षा की स्थिति बदहाल है। यदाकदा अगर स्कूल और आश्रमशालाएं है भी तो उन्हंे नक्सली नुकसान पहुंचा रहे हैं। छत्तीसगढ़ का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि एक तरफ अबूझमांड में आदिवासी एवं गरीब 18वीं सदी में जी रहे हैं तो दूसरी आेर भिलाई, रायपुर 21वीं सदी में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक समय था कि इन इलाकों के विकास पर किन्ही कारणों से ध्यान नहीं दिया गया। अब जबकि केन्द्र एवं राय सरकारें तेजी से इन इलाकों के विकास के लिए काम करना चाहती है तो हिंसा के कारण कोई काम नहीं हो पा रहा है। परिणामस्वरूप असमानता की खाई और चौड़ी हो रही है और लोकतंत्र का लाभ निचले स्तर तक नहीं पहुंच पा रहा है। उन्होंने छत्तीसगढ़ सहित देश के नौ नक्सल प्रभावित रायों में प्रतिवर्ष हजारों लोगों के मारे जाने का जिक्र करते हुए कहा कि सुरक्षा बल के जवान या आम नागरिक हो या फिर नक्सली सभी अपने ही है। उन्होंने नक्सलियों से मुख्य धारा में लौटने की मार्मिक अपील करते हुए कहा कि अगर आदिवासियों को वह उनका हक दिलाना चाहते है तो नेपाल की तरह ही चुनावी राजनीति में उतरना चाहिए। वह चुने प्रतिनिधि बनकर उनके हित के लिए वह सब कुछ कर सकते हैं जो बंदूकों से उन्हें कभी मौका नहीं मिलने वाला है। जोगी ने कहा कि आंध्रप्रदेश में एक सकारात्मक पहल राय सरकार ने की थी पर नक्सली नेताआें ने उस पर अनुकूल रवैया नहीं अपनाया, पर अब भी इस बारे में किसी न किसी स्तर से पहल हो सकती है। जरूरत माआेवादियों को अपना रूख स्पष्ट करने का है।

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