बड़ी-बड़ी बातें, फिर भी अंधेरी रातें
बिजली संकट पर राज्य की सबसे बड़ी पंचायत विधानसभा में पिछले आठ साल के दौरान करायी गयी विशेष चर्चा का हासिल जीरो रहा। बातें बड़ी-बड़ी हुईं, लेकिन ‘अंधेरी रातें’ आज भी झारखंड की नियति बनी हैं। हाल में...
बिजली संकट पर राज्य की सबसे बड़ी पंचायत विधानसभा में पिछले आठ साल के दौरान करायी गयी विशेष चर्चा का हासिल जीरो रहा। बातें बड़ी-बड़ी हुईं, लेकिन ‘अंधेरी रातें’ आज भी झारखंड की नियति बनी हैं। हाल में निपटे बजट सत्र में भी इस मुद्दे पर बहस हुई। सत्ता-विपक्ष ने शासन को घेरा, तो सरकार ने जवाब दिया: बिजली संकट दूर करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। सरकार किसी की हो- सदन में अमूमन जवाब ऐसा ही आया। पर विशेष चर्चा के परिणाम आठ साल में सरामीन पर नहीं उतर।ड्ढr पूर्व स्पीकर इंदर सिंह नामधारी दो टूक कहते हैं: चर्चाएं सदन के बिजनेस और प्रोसिडिंग्स का हिस्सा बन गयी हैं। विभाग संभाल रहे हैं मुख्यमंत्री और जवाब दिलाते हैं मंत्री से। फॉलोअप एक्शन के बार में सदन को कोई जानकारी नहीं देना इनकी शगल है। सरकार की इच्छा शक्ित ऐसे ही समय में परखी जाती है।ड्ढr कांग्रेस विधायक सुखदेव भगत कहते हैं: सदन में विशेष चर्चा औपचारिकता भर है। स्टेट जिन हालात से गुजर रहा है, वाकई बाल नोचने वाली स्थिति है। सीपी सिंह कहते हैं: पावर सिस्टम ध्वस्त हो गया है। सरकार अपनी जिम्मेदारी से भाग रही है। विधानसभा में करायी गयी विशेष चर्चा सरकार के लिए कोई मायने नहीं रखती।