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अजरुन के इमरचोंसी विरोध का पता नही

मानव संसाधन विकास मंत्री अजरुन सिंह के एक तरफा ‘सीजफायर’ के बावजूद कांग्रेस ने आपातकाल के संबंध में उनके बयान पर सवाल खड़ा कर साफ संकेत दिया कि मामला अभी पूरी तरह रफा-दफा नहीं हुआ है और श्री सिंह हों...

 अजरुन के इमरचोंसी विरोध का पता नही
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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मानव संसाधन विकास मंत्री अजरुन सिंह के एक तरफा ‘सीजफायर’ के बावजूद कांग्रेस ने आपातकाल के संबंध में उनके बयान पर सवाल खड़ा कर साफ संकेत दिया कि मामला अभी पूरी तरह रफा-दफा नहीं हुआ है और श्री सिंह हों अथवा कोई और, पार्टी किसी को भी ‘हिट ऐंड रन’ की क्षाजत नहीं दे सकती। कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी के अनुसार उन्हें याद नहीं आता कि पिछले 30 वर्षो में श्री सिंह ने कभी आपातकाल के विरोध में कुछ कहा हो। गौरतलब है कि श्री सिंह ने उनके ऊपर लिखी पुस्तक ‘मोहि कहां विश्राम’ के विमोचन के समय कहा था कि वह आपातकाल के कायल नहीं थे। श्री सिंघवी के अनुसार पार्टी पहले ही श्री सिंह के इस बयान को गलत बता चुकी है कि पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र की कमी है और निर्णय लेने की प्रक्रिया में बिखराव आ गया है। इसके उलट, उन्होंने बताया कि पार्टी में कुछ ज्यादा ही आंतरिक लोकतंत्र है। प्राय: सभी महत्वपूर्ण फैसले व्यापक विचार विमर्श के बाद ही लिए जाते हैं। श्री सिंह जसे पार्टी के वरिष्ठ एवं सम्मानित नेता को कार्य समिति की बैठकों का भी अनुभव है। श्री सिंह के बयानों को लेकर उठे विवाद एवं उनकी सफाई के बार में कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि उन्होंने ही किताब खोली थी और अब उन्होंने ही यह अध्याय समाप्त करने की बात कही है। लिहाजा अब पार्टी को भी इस पर कुछ नहीं कहना है। यह पूछे जाने पर कि श्री सिंह ने अपने बयानों को वापस नहीं लिया तो अध्याय कैसे समाप्त माना जाए? श्री सिंघवी ने कहा कि उन्हें जो कहना था, कह दिया। इससे अधिक उन्हें कुछ नहीं कहना। श्री सिंह के आज के इस बयान की ओर ध्यान खींचे जाने पर कि वह वफादार हैं, चापलूस नहीं। श्री सिंघवी ने कहा कि पार्टी ने किसी को चापलूस नहीं बताया था सिर्फ यही कहा था कि पार्टी और इसकी अध्यक्ष को चापलूसी पसंद नहीं है। श्री सिंह के विरुद्ध पार्टी के कुछ नेताओं की ओर से हुई बयानबाजी के बारे में श्री सिंघवी ने कहा कि कोई बयान आने पर जवाबी प्रतिक्रिया स्वाभाविक है। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार श्री सिंह द्वारा बार बार नेहरू-गांधी परिवार के प्रति निष्ठावान हाने का ढिंढोरा पीटने का औचित्य समझ से पर है। किसी ने उनसे वफादारी का सर्टिफिकेट तो मांगा नहीं और ना ही किसी को उनकी वफादारी पर संदेह है। ं

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