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लोकसभा में पास हुए मनमोहन, अब राज्यसभा में होगा इम्तिहान

मल्टी ब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) लाने के खिलाफ लोकसभा में पेश विपक्ष का प्रस्ताव बुधवार को गिर गया। प्रस्ताव पर मत विभाजन से पहले ही सरकार को राहत देते हुए सपा और बसपा...

लोकसभा में पास हुए मनमोहन, अब राज्यसभा में होगा इम्तिहान
एजेंसीThu, 06 Dec 2012 12:10 PM
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मल्टी ब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) लाने के खिलाफ लोकसभा में पेश विपक्ष का प्रस्ताव बुधवार को गिर गया। प्रस्ताव पर मत विभाजन से पहले ही सरकार को राहत देते हुए सपा और बसपा सदस्य सदन से वॉकआउट कर गए।

विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज की ओर से रखे गए इस प्रस्ताव कि ये सभा सरकार से सिफारिश करती है कि वह मल्टी ब्रांड खुदरा व्यापार में 51 प्रतिशत विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की अनुमति देने संबंधी अपने निर्णय को तत्काल वापस ले, के पक्ष में 218 जबकि विरोध में 253 मत पड़े।

सदन ने इसके साथ ही तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय की ओर से रखे गए विदेशी मुद्रा प्रबंध कानून (फेमा) में कुछ संशोधन किए जाने संबंधी प्रस्ताव को भी 254 के मुकाबले 224 मतों से नामंजूर कर दिया।

विपक्ष का प्रस्ताव गिरने पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सदन के बाहर संवाददाताओं से बातचीत में प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि सरकार के इस फैसले को अब सदन की मंजूरी भी मिल गई है। विपक्ष के इस प्रस्ताव को परास्त करने में 22 सदस्यों वाली सपा और 21 सदस्यों वाली बसपा की बड़ी भूमिका रही। दोनों पार्टियों ने हालांकि एफडीआई का विरोध किया लेकिन मत विभाजन से पहले ही सदन से वाकआउट कर गए।

इससे पहले खुदरा एफडीआई पर दो दिन चली चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने विपक्ष के इन आरोपों को गलत बताया कि सरकार की ओर से सदन में दिए गए इस आश्वासन का उल्लंघन किया गया है कि एफडीआई के बारे में अंतिम निर्णय करने से पूर्व सभी राजनीतिक दलों, मुख्यमंत्रियों और अन्य संबद्ध पक्षों से विचार विमर्श किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि इस बारे में सभी राजनीतिक दलों से बातचीत या पत्र व्यवहार किया गया। देश भर के किसानों के 12 मान्य संगठनों तथा उपभोक्ताओं के 17 संगठनों को इस बारे में पत्र लिखा गया और इन सभी किसानों और उपभोक्ता संगठनों ने खुदरा क्षेत्र में एफडीआई पर सरकार के फैसले का समर्थन किया था। शर्मा ने कहा कि इसके अलावा 21 राज्यों में से 11 कृषि प्रधान राज्यों ने सरकार के एफडीआई फैसले का समर्थन किया तथा केवल सात राज्यों ने विरोध किया।

सुषमा ने चर्चा का जवाब देते हुए सरकार से सवाल किया कि जब मुख्य विपक्षी दल भाजपा एफडीआई के सरकार के फैसले से सहमत नहीं हुआ तो वह आम सहमति बनने का दावा कैसे कर सकती है। उन्होंने दलील दी कि सदन में इस दो दिन की चर्चा में भी जिन 18 दलों ने हिस्सा लिया उनमें से सपा और बसपा सहित 14 ने एफडीआई का विरोध किया है और अगर उन 14 दलों के सदस्यों की संख्या जोड़ ली जाए तो उनकी संख्या 282 हो जाती है जो बहुमत से कहीं अधिक है, जबकि जिन दलों ने इसका समर्थन किया है उनकी संख्या केवल 224 होती है।

बुधवार को समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सांसदों ने अपनी-अपनी मांगों को लेकर राज्यसभा में हंगामा किया, जिसके कारण सदन की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित करनी पड़ी। इसे देखते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सहित विपक्ष को आज चर्चा के दौरान हंगामे के आसार हैं, जहां सरकार के पास पर्याप्त संख्या बल नहीं है।

भाजपा नेता अरुण जेटली ने आरोप लगाया कि केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार और इसे समर्थन देने वाली पार्टियां जानबूझकर राज्यसभा की कार्यवाही बाधित कर रही हैं और इसकी वजह खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेशी (एफडीआई) पर राज्यसभा में मतदान को लेकर सरकार के पास पर्याप्त संख्या बल का नहीं होना है।

भाजपा ने कहा कि अब इस बात पर भी शंका है कि सरकार गुरुवार को सदन में खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) पर चर्चा होने देगी।

राज्यसभा में विपक्ष के नेता जेटली ने संवाददाताओं से कहा कि पहले दिन से ही सरकार खासकर राज्यसभा में कामकाज को लेकर गम्भीर नहीं है। जेटली ने कहा कि मुझे लगता है कि सरकार इस बात को लेकर अनिश्चित है कि राज्यसभा में किस तरह मतदान होगा। इसलिए वह सदन की कार्यवाही नहीं चलने दे रही।

मुझे संदेह है कि सत्तारूढ़ पार्टी तथा इसके समर्थक गुरुवार को भी एफडीआई पर बहस होने देंगे या नहीं?’ राज्यसभा में चर्चा एवं मतदान नियम 167 एवं 168 के तहत होगी।

सरकार को 244 सदस्यीय सदन में एफडीआई पर विपक्ष के प्रस्ताव को खारिज करने के लिए बहुमत के लिए 123 मतों की जरूरत होगी। कांग्रेस एवं उसके सहयोगियों की संख्या 89 ही पहुंचती है।

राष्ट्रीय जनता दल (राजद), लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा), बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट, नागालैंड पीपल्स फ्रंट और सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट के कुल छह सदस्य सरकार का समर्थन कर रहे हैं। इस प्रकार सदन में सरकार के पक्ष में कुल आंकड़ा 96 तक ही पहुंचता है।

भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के कुल 65 सदस्य हैं। इसके अलावा वामदलों के 14 एवं तृणमूल कांग्रेस के नौ सदस्य भी विपक्ष के साथ हैं। उम्मीद की जा रही है कि बीजू जनता दल के सात, असम गण परिषद के दो, एआईएडीएमके के पांच एवं तेदेपा के पांच सदस्य भी सरकार के विरोध में मतदान करेंगे।

इसे मिलाकर विपक्षी सदस्यों की संख्या 107 पहुंच जाती है। यद्यपि सपा (15) एवं बसपा (नौ) ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं और लगातार सदन की कार्यवाही में बाधा पहुंचा रहे हैं।

सपा नेता रामगोपाल यादव ने पिछले हफ्ते कहा था कि राज्यसभा में पार्टी एफडीआई के खिलाफ मत देगी। हालांकि पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने कहा कि इस बारे में सही वक्त आने पर निर्णय लिया जाएगा। सपा एवं बसपा अगर सदन से बहिर्गमन करती भी हैं तो सरकार को इससे राहत नहीं मिलने वाली। सदन में 10 मनोनीत एवं सात निर्दल सदस्य हैं।

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