जुड़ेंगी सभी नदियां, बनेगा नेशनल वाटर ग्रिड
जल परिवहन सेवा को बढ़ावा देने के लिए नदियों को जोड़कर एक ‘नेशनल वॉटर ग्रिड’ बनेगा। रेल व सड़क मार्ग के समानांतर जल परिवहन सेवा शुरू करने की तैयारी है। भारत सरकार ने पांच जल परिवहन...
जल परिवहन सेवा को बढ़ावा देने के लिए नदियों को जोड़कर एक ‘नेशनल वॉटर ग्रिड’ बनेगा। रेल व सड़क मार्ग के समानांतर जल परिवहन सेवा शुरू करने की तैयारी है।
भारत सरकार ने पांच जल परिवहन मार्गों की रूपरेखा बनाई है जिनमें गंगा, ब्रह्मपुत्र, बराख में जल परिवहन योजना पर काम शुरू हो गया है। वहीं, इंटीग्रेटेड रीवर वॉटर फ्रेट कारीडोर बनाने पर खास जोर है। इससे माल ढुलाई के क्षेत्र में नई पहल होगी। विश्व बैंक के आर्थिक एवं तकनीकी सहयोग से पूरी होने वाली इस परियोजना पर 42 सौ करोड़ रुपये खर्च होंगे।
ये जानकारियां शुक्रवार को होटल क्लार्क्सं में आयोजित पत्रकारवार्ता में अंतरराष्ट्रीय जलमार्ग प्राधिकरण के चेयरमैन अमिताभ वर्मा ने दीं। उन्होंने कहा कि केवल सड़क व रेल मार्ग पर निर्भर नहीं रहा जा सकता। जलपरिवहन सेवा के लाभ को देखते हुए सभी राज्यों में वाटर वेज निदेशालय का भी गठन जरूरी है। इसलिए सभी राज्यों से अनुरोध किया गया है कि वे अपने यहां एक निदेशालय बनाएं जिससे कि जलपरिवहन सेवा को गति मिल सके और राज्यों का भी आर्थिक विकास हो।
अगले तीन साल में कार्गो सेवा शुरू
वर्मा ने बताया कि केंद्र सरकार ने हल्दिया से इलाहाबाद तक जलपरिवहन सेवा शुरू करने के लिए 42 सौ करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। 1620 किमी लंबे मार्ग पर अगले पांच साल के अंदर जलपरिवहन शुरू करने की योजना है लेकिन निवेशकों, उद्यमियों, शिपिंग एवं अन्य सेक्टर से जुड़े लोगों के उत्साह को देखते हुए यह सेवा अगले तीन साल में शुरू कर दी जाएगी।
‘नेशनल इंडस्ट्रियल कारीडोर’ बनेगा
उन्होंने बताया कि गंगा जल परिवहन सेवा शुरू हो जाने पर 70 हजार करोड़ का निजी निवेश होगा। 60 हजार को प्रत्यक्ष एवं 40 हजार लोगों को परोक्ष तौर पर रोजगार मिलेगा। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने अमृतसर, दिल्ली, इलाहाबाद, वाराणसी, पटना, कोलकाता के बीच ‘नेशनल इंडस्ट्रियल कारीडोर’ बनाने की योजना तैयार की है। यह योजना अगले चार सालों में मूर्त रूप ले लेगी। नदी किनारे नए उद्योग स्थापित होंगे। इस कारीडोर के बनने के बाद गंगा जल मार्ग से माल की ढुलाई बहुत की सुव्यस्थित एवं सस्ता हो जाएगा।