दृष्टिभ्रम हमें करता है सक्रिय : मनोवैज्ञानिक
एक ताजा अध्ययन के मुताबिक रोएंदार मकड़ी या उन्मादी भीड़ जैसी डराने वाली चीजों के करीब होने का भ्रम हमें तेजी से बचने का उपक्रम करने के लिए तैयार करता...
एक ताजा अध्ययन के मुताबिक रोएंदार मकड़ी या उन्मादी भीड़ जैसी डराने वाली चीजों के करीब होने का भ्रम हमें तेजी से बचने का उपक्रम करने के लिए तैयार करता है।
न्यूयार्क विश्वविद्यालय के इमिली बैल्सेटिस एवं कालिग्स के मनोवैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययन में पाया गया कि हमारा दृष्टिभ्रम असल में हमें नुकसान से बचने के लिए सक्रिय होने में मदद पहुंचाता है। हमारे हृदय के धड़कन की दर और रक्तचाप बढ़ जाता है और हम ज्यादा मात्रा में स्ट्रेस हार्मोन कोर्टिसोल पैदा करने लगते हैं।
अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि भ्रम हमें खतरा पैदा करने वाली चीजों के प्रति सतर्क होने और उससे बचने के लिए सक्रिय होना सिखाता है। मनोवैज्ञानिक विज्ञान पत्रिका में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक यह अवधारणा हमें सिखाता है कि समानरूप से नकारात्मक प्रतिक्रिया पैदा करने वाले गैर खतरनाक चीजों के मुकाबले खतरनाक चीजों को हम ज्यादा करीब समझें।
बैल्सेटिस एवं कालिग्स ने 'आइलैंड लाइफ' के प्रति रुख के लिए अध्ययन में 101 छात्रों को शामिल किया। जिस कमरे में छात्रों को भेजा गया उसमें करीब 396 सेंटीमीटर दूरी पर एक मेज पर जीवित विषली मकड़ी रखी थी।
बाहर आकर छात्रों ने बताया कि मकड़ी को देख कर उन्हें किस तरह के खतरे का अहसास हुआ और उन्होंने खतरे की दूरी का अनुमान लगाया। 'इंप्रेसन' पर अध्ययन में 48 छात्राओं को शामिल किया गया। जब अध्ययन में भाग लेने वाली छात्राएं पहुंचीं तो वहां उनकी मुलाकात एक छात्र से हुई जिससे उनकी पहले कभी मुलाकात ही नहीं हुई थी। फिर उन्हें डरावनी वीडियो दिखाई गई जिसमें वह छात्र डरावनी बातें बता रहा था। उसके बाद अध्ययन में भाग लेने वाली छात्राओं ने अपना अनुभव बताया।