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...हकीकत से ज्यादा दूर नहीं है, सेमी हाईस्पीड रेल सेवा

देश में सेमीहाई स्पीड ट्रेन असलियत से मात्र चंद कदम ही दूर है। रेलवे ने 180 किलोमीटर प्रतिघांटा की रफ्तार से गाडी चलाने का ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। उम्मीद है कि अगले वर्ष के अंत तक देश को...

...हकीकत से ज्यादा दूर नहीं है, सेमी हाईस्पीड रेल सेवा
एजेंसीTue, 05 Nov 2013 01:33 PM
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देश में सेमीहाई स्पीड ट्रेन असलियत से मात्र चंद कदम ही दूर है। रेलवे ने 180 किलोमीटर प्रतिघांटा की रफ्तार से गाडी चलाने का ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। उम्मीद है कि अगले वर्ष के अंत तक देश को कम से कम एक गाडी ऐसी मिल जायेगी जो 160 किलोमीटर प्रतिघांटा से अधिक गति से दौड़ने लगेगी।

रेलवे ने देश में हाईस्पीड रेल सेवा परियोजनाओं के क्रियान्वयनके लिये एक पृथक कंपनी का गठन किया है। यह हाईस्पीड रेल कारपोरेशन आफ इंडिया हाईस्पीड रेल कारीडोर बनाने के साथ ही वर्तमान रेलमार्ग में मामूली सुधार करके उन्हें 160 से 200 किलोमीटर की गति से गाडियों के दौड़ने लायक बनायेगा। बाद में और सुधार करके प्रमुख मागरें को 300 से 350 किलोमीटर प्रतिघांटा की गति से गाडियां दौडा़ने लायक बनाया जा सकेगा।

रेल मंत्री मल्लिकार्जुन खरगे जापान एवं अन्य देशों द्वारा भारत में हाईस्पीड रेल परियोजनाओं के लिये दबाव डालने से उखडे हुए हैं। वह मानते हैं कि भारत में द्रुतगति वाली रेल सेवा काफी महंगी होगी जिसके लिये संसाधन जुटाना रेलवे के अकेले बूते की बात नहीं है। इसके लिये बडे पैमाने पर निजी निवेश की जरूरत होगी। यदि यह हो भी गया तो परियोजना शुरू होने के लगभग दस वर्ष बाद यह परिचालन में आती है। इस हिसाब से देखें तो इसका तुरंत लाभ नहीं होता है जबकि सेमी हाईस्पीड के मामले में ऐसा नहीं है।

रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष अरूणेन्द्र कुमार के मुताबिक दिल्ली-मुंबई, दिल्ली-हावडा्  मुंबई-अहमदाबाद, चेन्नई-बेंगलुरु-तिरुवनंतपुरम, हावडा-भुवनेश्वर-पुरी, हावडा-जमशदेपुर, दिल्ली-लुधियाना-अमृतसर जैसे रेलर्गों पर मामूली सुधार करके उसे सेमीहाईस्पीड ट्रेनों के परिचालन लायक बनाया जा सकता है। उनका कहना है कि रेलवे के नये रोलिंग स्टॉकस यानी पहियों पर दौड़ने वाले संसाधन जैसे इंजन, कोच इत्यादि भी इतनी गति के लिहाज से सक्षम हैं।

नयी कंपनी से जुडे एक उच्चाधिकारी ने बताया कि रेलवे ने हालही उत्तर मध्य रेलवे में कानपुर, इलाहाबाद, मुगलसराय मार्ग पर 180 किलोमीटर प्रतिघांटा की स्पीड से गाडी के परिचालन का परीक्षण किया था जो सफल रहा है। इससे आशा बंधी है कि चुनींदा गाडियां इस गति से चलायी जा सकतीं हैं।

रेलवे अधिकारियों के अनुसार हाई स्पीड रेल परियोजना के लिये सिगनलिंग, ट्रैक, रोलिंग स्टॉकस और फेन्सिंग प्रमुख बिन्दु होते हैं। उनका कहना है कि 60 किलोग्राम प्रति फुट वजन वाली और भिलाई स्टील प्लांट में बन रहीं 260 मीटर की लंबी पटरियां 200 किलोमीटर की रफ्तार के लिये उपयुक्त हैं। चितरंजन में बनने वाले नये लोकोमोटिव्स और कपूरथला एवं पेराम्बूर चेन्नई की कोच फैकटरियों में बनने वाले कम वजन वाले एलबीएच कोच अभी 0की रफ्तार से दौड़ने में सक्षम है। हालांकि कोच फैकटरियों के इंजीनियरों का कहना है कि पहियों के एकसल लोड फैकटर और ब्रेकिंग प्रणाली में थोडा सा सुधर करके एलबीएच कोचों को 200 किलोमीटर प्रतिघांटा की गति की क्षमता में लाना कोई मुश्किल काम नहीं है। अब सिगनलिंग और फैन्सिंग के काम के साथ लोको पायलट एवं अन्य परिचालन संबंधी कर्मचारियों को प्राशिक्षण देने का काम करना होगा।

रेलवे अधिकारियों का कहना है कि सेमी हाईस्पीड रेलपरिचालन के लिये इमरजेंसी ब्रेकिंग प्रणाली बहुत महत्वपूर्ण तत्व होता है। इसमें एक अन्य महत्वपूर्ण मुद्दा कोच में आपात स्थिति में यात्रियों के प्रयोग के लिये लगाई गई जंजीर खींचने की प्रणाली भी है। अचानक आपात स्थिति में गाडी रोकने की स्थिति का कैसे सामना किया जाये। इसके लिये इंजन एवं कोच की ब्रेकिंग प्रणाली और सिगनलिंग प्रणाली दोनों का उपयुक्त होना जरूरी है। हाईस्पीड रेल परिचालन के लिये डबल डिस्टेंस सिगनल लगाना होगा। रोलिंग स्टॉकस की ब्रेकिंग प्रणाली के इस्तेमाल के लिये लोको पायलट एवं परिचालन कर्मियों को प्रशिक्षित करना होगा। 


रेल अधिकारियों के मुताबिक रेलवे ट्रैक पर आपात स्थिति पैदा नहो और गाडी की गति को प्रभावित करने वाले बाहरी कारक न्यूनतम हों, इसके लिये रेलवे ट्रैक के दोनों ओर फेन्सिंग करनी होगी। इसके अलावा दोनों ओर चौकीदार रहित समपार क्रोसिंग बंद करना और चौकीदार वाली क्रोसिंग को अधिक सुरक्षित बनाना होगा।

अब सवाल आता है कि सेमी हाईस्पीड के लिये फे न्सिंग सहितसभी उपाय करने में कितना वक्त और कितनी लागत आयेगी। रेल अधिकारियों का कहना है कि इसके लिये हाई स्पीड रेल कॉरीडोर बिछाने की तुलना में बहुत कम लागत आयेगी। उनका कहना है कि सेमीहाईस्पीड रेल परिचालन के लिये सभी प्रमुख मार्गों को सुसज्जित करने में तो पांच छह साल या अधिक का समय लगेगा लेकिन एक दो साल के अंदर कुछ छोटे मार्गों को तैयार किया जा सकता है।

हाल ही में आयोजित सेमी हाईस्पीड रेल सेवा. कम लागत मेंसमाधन विषय पर एक अंतर्राट्रीय सम्मेलन में इस विषय पर गहन विचार मंथन किया गया। इसमें भारतीय रेलवे और विभिन्न अंतर्राट्रीय रेलवे विशेषज्ञों ने इलाहाबाद रेल मंडल में 180 किलोमीटर प्रतिघांटा की गति पर परिचालन के परीक्षण और आगे की कार्ययोजना के तकनीकी पहलुओं पर चर्चा की गई।

रेल अधिकारी मानते हैं कि हाई स्पीड रेल सेवा की तुलना मेंसेमी हाईस्पीड रेल सेवा की परियोजना अधिक व्यावहारिक और कम खर्चीली है। इसे लागू करने में किसी विदेशी एजेंसी की ओर मुंह ताकने की जरूरत नहीं है। इसके लिये देश में हर तरह के संसाधन मौजूद हैं। यानी मौजूदा रेल मंत्री के भावों में कहें तो सेमी हाईस्पीड रेल सेवा देश की अपनी परिस्थितियों और आर्थिक एवं तकनीकी क्षमता के अनुरूप है जिस पर रेलवे को तेजी से काम करने की जरूरत है। 

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