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हमारी धरोहर हम संभालेंगे

छोटी सी ही वस्तु क्यों न हो, यदि तुम्हें अच्छी लगती है तो तुम उसे आगे तक के लिए संभाल कर रखते हो। नहीं चाहते कि तुम्हारी उस जरूरी वस्तु को कोई भी नुकसान पहुंचाए। इसी तरह दुनियाभर में भी सुंदर और...

हमारी धरोहर हम संभालेंगे
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 15 Apr 2013 10:55 AM
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छोटी सी ही वस्तु क्यों न हो, यदि तुम्हें अच्छी लगती है तो तुम उसे आगे तक के लिए संभाल कर रखते हो। नहीं चाहते कि तुम्हारी उस जरूरी वस्तु को कोई भी नुकसान पहुंचाए। इसी तरह दुनियाभर में भी सुंदर और ऐतिहासिक महत्व वाली कई ऐसी इमारतें हैं, जिनको संभाल कर रखना जरूरी है। विश्व धरोहर दिवस के अवसर पर हम तुम्हें दिल्ली की उन इमारतों की जानकारी दे रहे हैं, जिन्हें यूनेस्को ने विश्व धरोहर की सूची में रखा है। तुम्हें इस विरासत की सैर करा रही हैं अर्चना

दुनियाभर में ऐसी कई इमारतें हैं, जिन्हें देख कर यह यकीन नहीं होता कि उन्हें इंसान ने बनाया है। हैरत तब होती है, जब यह सोचते हैं कि उस समय तो आज की तरह मशीनें और तकनीक भी नहीं थी। ये इमारतें न सिर्फ देखने में सुंदर हैं, बल्कि हमें अपने देश और संस्कृति की जानकारी भी देती हैं। ऐसी ही ऐतिहासिक धरोहरों को बचा कर रखने के लिए यूनेस्को ने चुनिंदा इमारतों को विश्व धरोहर का दर्जा देना शुरू किया है।

कैसे शुरू हुआ विश्व धरोहर दिवस  
सबसे पहले 18 अप्रैल, 1983 को दुनिया भर में एक साथ विश्व धरोहर दिवस मनाया गया। यूनेस्को द्वारा इस सूची में शामिल किए जाने वाले स्थलों का चुनाव विश्व विरासत स्थल समिति द्वारा किया जाता है। कुछ के लिए तो यह संस्था आर्थिक सहायता भी देती है। अब तक पूरी दुनिया में 962 स्थलों को विश्व विरासत स्थल घोषित किया जा चुका है, जिनमें से 745 सांस्कृतिक, 188 प्राकृतिक और 29 अन्य मिले-जुले स्थल हैं।

दिल्ली की सैर कर लो
दिल्ली का गौरवशाली इतिहास रहा है। सबसे पहले इसका उल्लेख महाभारत में मिलता है, जहां इसे इन्द्रप्रस्थ कहा गया है। इन्द्रप्रस्थ पांडवों की राजधानी थी। फिर इसे मुगलों ने अपनी राजधानी बनाया, जिससे यहां के हर कोने में कला-संस्कृति की छाप दिखती है।

यूं तो दिल्ली का चप्पा-चप्पा अपने भीतर कई जानकारियां समेटे है, पर विश्व धरोहर घोषित किए गए तीन स्थल दुनिया भर के पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर खींचते हैं। इस रूप में लाल किला, कुतुब मीनार और  हुमायूं के मकबरे में घूमना एक बड़ा रोमांचक अनुभव होता है। इसके अलावा यहां अनेक प्रकार के संग्रहालय हैं, 1200 के करीब घोषित धरोहर स्थल हैं, जो विश्व में किसी भी शहर से अधिक हैं।  

लाल किला
यूनेस्को द्वारा 2007 में विश्व धरोहर में शामिल किए इस किले को मुगल बादशाह शाहजहां ने बनवाया था। इसे पूरा होने में 9 साल का समय लगा था। इसमें लाहौरी गेट  के अलावा एक और दिल्ली दरवाजा है। इसी दिल्ली दरवाजे को हाथीपोल द्वार भी कहा जाता है। माना जाता है कि यहीं पर राजा और उनके मेहमान हाथियों से उतरा करते थे। इसको अपना नाम लाल बलुआ पत्थर की छत एवं दीवार के कारण मिला है। अंग्रेजों के समय में इस किले में सेनाएं ठहरती थीं। स्वतंत्रता के बाद भी वर्ष 2003 तक  इसके कई भाग सेना के नियंत्रण में रहे। लाल किले के अंदर अन्य प्रमुख आकर्षण हैं- मुमताज महल, रंग महल, खास महल, दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, नाहर-ए-बहिश्त, नक्कारखाना, शाह बुर्ज और हमाम। यहीं पर हमाम के पश्चिम में एक छोटी सी तीन गुम्बद वाली मस्जिद तराशे हुए संगमरमर से बनी हुई है। कहते हैं कि यह औरंगजेब की निजी मस्जिद थी। यहां 15 अगस्त को प्रधानमंत्री भाषण देते हैं।

कुतुब मीनार
कुतुब मीनार दिल्ली के महरौली इलाके में स्थित, ईंट से बनी विश्व की सबसे ऊंची मीनार है, जिसकी ऊंचाई 72.5 मीटर और व्यास 14.3 मीटर है, जो शिखर पर 2.75 मीटर हो जाता है। इसमें 379 सीढियां हैं। इसका निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1199 में शुरू करवाया था, जिसे इल्तुतमिश ने 1368 में पूरा करवाया था। जिन-जिन बादशाहों ने इसकी देखरेख और मरम्मत का काम करवाया उनका उल्लेख इसकी दीवारों पर मिलता है। यह मीनार लाल बलुआ और हल्के पीले पत्थर से बनी है। कुतुबमीनार परिसर में ही भारत की पहली मस्जिद कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद, अलई दरवाजा और इल्तुतमिश का मकबरा बने हुए हैं। मस्जिद के पास ही चौथी शताब्दी में बना लौह स्तंभ भी है। इस इमारत को यूनेस्को ने 1993 में विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया।

हुमायूं का मकबरा
इस मकबरे को हुमायूं की विधवा बेगम हमीदा बानो बेगम के आदेशानुसार 1562 में बनवाया गया था। इस भवन के वास्तुकार सैयद मुबारक इब्न और उनके पिता मिराक को अफगानिस्तान के हेरात शहर से विशेष रूप से बुलवाया गया था। इस मकबरे की मुख्य इमारत लगभग आठ वर्षों में बनकर तैयार हुई और भारतीय उपमहाद्वीप में चारबाग शैली का प्रथम उदाहरण बनी।

फारसी वास्तुकला से प्रभावित ये मकबरा 47 मीटर ऊंचा और 300 फीट चौड़ा है। इमारत पर फारसी बल्बुअस गुम्बद बना है, यह गुम्बद 42.5 मीटर के ऊंचे गर्दन रूपी बेलन पर बना हुआ है। गुम्बद के ऊपर 6 मीटर ऊंचा पीतल का कलश है, जिसके ऊपर चंद्रमा लगा हुआ है। इमारत के अंदर मुख्य केन्द्रीय कक्ष सहित नौ वर्गाकार कक्ष बने हैं। एकदम मध्य में आठ किनारे वाले एक जालीदार घेरे में द्वितीय मुगल सम्राट हुमायूं की कब्र बनी है। इसे 1993 में विश्व विरासत का दर्जा दिया गया था।

तुम भी बन सकते हो रक्षक
ऐतिहासिक स्थलों को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी किसी एक व्यक्ति, संस्था या सरकार की नहीं है। तुम भी अपने स्तर पर इनके रक्षक बन सकते हो। 

खाने-पीने का समान इधर-उधर न फेंककर कूड़ेदान में डालें।
दीवारों पर कुछ न लिखें।
लावारिस वस्तुओं के मिलने पर प्रशासन या पुलिस विभाग को सूचित करें।
पार्किंग स्थल पर ही वाहन को खड़ा करें।
गर्मी के दिनों में हैट, गॉगल्स और पानी की बोतल साथ में जरूर ले जाएं। कैमरा ले जाना भी अच्छा रहेगा।

विश्व की सात प्रमुख धरोहर
चीन की दीवार-
चीन की विशाल दीवार मिट्टी और पत्थर से बनी एक किलेनुमा दीवार है, जिसको चीन के कई शासकों द्वारा उत्तर के हमलों से रक्षा के लिए 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व से 16वीं  शताब्दी में बनवाया गया था। यह मानव निर्मित दीवार अंतरिक्ष से भी देखी जा सकती है। यह 6400 कि.मी. लम्बी है।

गीजा का पिरामिड - मिस्र् के पिरामिड वहां के राजाओं के लिए बनाए गए स्मारक स्थल हैं, जिनमें राजाओं के शवों को दफनाकर सुरक्षित रखते थे। इन शवों को ममी कहते हैं। मिस्र् में 138 पिरामिड हैं और काहिरा के उपनगर गीजा में गीजा का ‘ग्रेट पिरामिड’ है। यह पिरामिड 450 फुट ऊंचा है। इसका आधार 13 एकड़ में है।

ताजमहल - ताजमहल आगरा शहर में स्थित है। इसका निर्माण मुगल सम्राट शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज की याद में (सन् 1632 से 1653 तक) करवाया था। सन् 1983 में ताजमहल को विश्व धरोहर सूची में जगह मिली थी।

स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी - स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी न्यूयॉर्क हार्बर में स्थित एक तांबे की मूर्ति है। चौकी व आधारशिला मिला कर यह मूर्ति 305 फुट ऊंची है। 22 मंजिलों तक पहुंचने के लिए इसमें 354 सीढियां चढ़नी पड़ती हैं। अमेरिकन क्रांति के दौरान फ्रांस और अमेरिका की दोस्ती के प्रतीक के तौर पर ये मूर्ति फ्रांस ने 1886 में अमेरिका को दी थी।

द कोलोजियम - इस भव्य रोमन एम्फीथिएटर का निर्माण ईसा पूर्व 80 में किया गया था। कोलोजियम सम्राट वेस्पेसियन ने इसका निर्माण खजाना रखने के लिए करवाया था। बाद में उसके बेटे टाइटस ने इसे पूरा करवाया था। इसमें 50 हजार लोग बैठ सकते थे। ग्लेडियटर यहां युद्घ कला का प्रदर्शन किया करते थे।

ईस्टर आइलैंड - ईस्टर आइलैंड डरावने स्थल के रूप में मशहूर है। प्रशांत महाद्वीप में सुदूर स्थित ईस्टर द्वीप पर प्राचीनतम विशाल शिलाओं के मानव सिरों वाली प्रतिमाएं आश्चर्य से भरपूर हैं। स्थानीय भाषा में ‘रापा नुई’ कहलाने वाले इस द्वीप पर एक ही पत्थर से तराशी हुई मूर्तियां जगह-जगह बिखरी हैं। सबसे बड़ी मूर्ति 33 फीट ऊंची व 75 टन भारी है।

ऑपेरा हाउस - यह ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर की शान है। 1940 में यूगिन गूसेन ने संगीत और ऑपेरा कार्यक्रमों के लिए नए स्थान का निर्माण करवाने के लिए इस स्थान को बनवाने की बात की थी। इसके डिजाइन के लिए प्रतियोगिता रखी गयी थी।

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