अलविदा गणेश पाइन
मशहूर चित्रकार गणेश पाइन का मंगलवार को कोलकाता में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो...
मशहूर चित्रकार गणेश पाइन का मंगलवार को कोलकाता में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। 1937 में जन्मे पाइन आजादी के बाद की दूसरी पीढ़ी के कलाकार थे और कई मामले में अपने समकालीनों में सर्वथा अलग थे। अपनी कला के प्रचार के प्रति प्राय: उदासीन रहने वाले पाइन लोक-स्मृतियों, परंपरा व जनजीवन को एक कलाकार की कल्पना से जोड़कर पेश करने के लिए चर्चित रहे। उन्होंने इसका जिक्र कई बार किया कि कैसे उन्होंने एक बूढ़े मोची का चित्र बनाया, तो पूरा होने पर ध्यान में डूबे किसी दार्शनिक की तरह लगने लगा; कैसे किसी सफाई मजदूर का चित्र उन्होंने बनाया, तो उसका चेहरा कवि की तरह नजर आने लगा। पाइन बताते थे कि बचपन में दादी मां के मुंह से सुनी कहानियों का असर उनके चित्रों पर था। उन्हें ‘पेंटर ऑफ डार्कनेस’ यानी अंधेरे का चित्रकार भी कहा गया, क्योंकि मौत की छाया उनके कई चित्रों में दिखती है। इसका कारण वह बताते थे कि नौ साल की उम्र में ही उन्होंने दंगे में मारे गए लोगों को करीब से देखा था, जिसका प्रभाव उनके चित्रों पर पड़ा। पाइन का मानना था कि ‘कला समाज का सौंदर्य है। अगर कला की उपेक्षा हुई, तो समाज का सौंदर्य और संतुलन नष्ट हो जाएगा।’ बाजार के तमाम दबावों के बीच अपनी ही शर्तो पर खामोशी से अपना काम करने वाले और बाजार की शर्तो को नामंजूर करते हुए कला और स्मृति की अपनी परंपरा के साथ अविचल सृजनरत इस विलक्षण भारतीय चित्रकार को विनम्र नमन।
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