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डॉग ग्रूमिंग का मनोरंजक कार्य

कुत्तों की देखभाल में मन रमाने वाली पूजा साठे अपने काम को नित नए रूप देने का प्रयास करती हैं। यदि आपको कुत्ते अच्छे लगते हैं तो पूजा साठे का काम आपको पसंद...

डॉग ग्रूमिंग का मनोरंजक कार्य
Tue, 18 Dec 2012 12:29 PM
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कुत्तों की देखभाल में मन रमाने वाली पूजा साठे अपने काम को नित नए रूप देने का प्रयास करती हैं।
यदि आपको कुत्ते अच्छे लगते हैं तो पूजा साठे का काम आपको पसंद आएगा। पच्चीस वर्षीय पूजा हर सुबह कुत्तों को फिटनेस ट्रेनिंग देती हैं, उसके बाद वह मुंबई स्थित अपने दफ्तर टेलवैगर्स सैलून जाती हैं, जहां अनेक लैब्राडोर्स, स्पेनियल्स, जर्मन शेफर्डस और पॉमेरियंस को नहलाने और उनकी ग्रूमिंग का काम करती हैं। शाम के समय वह कुत्ते पालने वाले लोगों को उनके पपीज को ठीक से रखने और नई नस्ल के पैदा होने पर बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में बताती हैं। इतना ही नहीं, पूजा सप्ताहांत पर दूर खुले स्थानों में कुत्तों और उनके मालिकों को बुला कर खेल खेलने और ट्रैकिंग के रोचक अवसर भी उपलब्ध कराती हैं।

पूजा को शुरू से ही जानवरों से स्नेह था और एक एनजीओ- इन डिफेंस ऑफ एनिमल्स से एक स्वयंसेवी के तौर पर जुड़ कर अपने करियर की शुरुआत की थी। इसके बाद उन्होंने अमेरिका और इंग्लैंड जाकर इस क्षेत्र के प्रशिक्षण में कुछ समय बिताया और अब गत चार वर्षों से डॉग ग्रूमिंग का कार्य कर रही हैं। टेलवैगर्स में उनके डॉग ग्रूमिंग के कार्य की शुरुआत गत छह माह से हुई है, क्योंकि वह सीधे-सीधे कुत्तों के पालन-पोषण का काम करना चाहती थीं। वह बताती हैं, ‘ग्रूमिंग के समय जानवरों का एक बिल्कुल नया रूप सामने आता है। मुख्यत: सारा ध्यान उनके आराम पर दिया जाता है, केवल उन्हें देखने या उनकी साफ-सफाई करने में नहीं।’ पूजा के कार्य में जानवरों को नहलाना, त्वचा रोगों के लिए दवा देना और बाल काटना जुड़ा होता है। बड़े और मजबूत कुत्तों के उनके समस्त ट्रेनिंग अनुभव के बाद पूजा का कहना है, ‘कुत्तों के साथ कोई समस्या नहीं होती, समस्या उनके मालिकों के साथ होती है।’

अपने सैलून में बाल काटने का सबसे पसंदीदा प्रत्याशी पूजा की नजर में लहासा है। वह बताती हैं, ‘लंबे बालों वाले इस जानवर के बालों को मनचाहा आकार दे सकते हैं।’ अनेक नस्लों के कुत्तों को अलग-अलग ग्रूमिंग कराने के बाद पूजा अपने पालतू लैबड्रोर जैज के साथ समय बिताती हैं। जैज के बारे में वह बताती हैं,‘पहले 15 मिनट तक वह मुझे सूंघता है और फिर चाहता है कि मैं उसके साथ खेलूं। उसे इस बात से कोई मतलब नहीं होता कि मैं थकी हुई हूं या नहीं।’

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